ऐतिहासिक परिदृश्य (उत्तराखंड)

Total Questions: 50

31. कालू महरा संबंधित है [Uttarakhand P.C.S. (Pre), 2021]

Correct Answer: (b) 1857 के विद्रोह से
Solution:कालू महरा (1831-1906 ई.) का जन्म काली कुमाऊं में कुटौलगढ़ क्षेत्र के एक गांव में हुआ था। 1857 के विद्रोह में ये वीर, साहसी और देशभक्त जननायक बनकर उभरे।

32. जनवरी, 1921 में निम्न में से किस स्थान पर सरयू नदी के तट पर 'कुली बेगार' न देने की शपथ ली गई? [Uttarakhand P.C.S. (Mains), 2006]

Correct Answer: (c) बागेश्वर
Solution:कुमाऊं मंडल के चालीस हजार स्वतंत्रता सेनानियों ने जनवरी, 1921 में बागेश्वर में सरयू के तट पर कुली बेगार के रजिस्टर बहाकर कुली बेगार न करने की शपथ ली। बद्रीदत्त पांडेय, हरगोविंद पंत और चिरंजीलाल के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध इस मुहिम में ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर डायबिल को अपनी असफलता स्वीकार कर वापस लौटना पड़ा। बद्रीदत्त पांडेय के इस आंदोलन में अद्वितीय योगदान के लिए जनमानस में इन्हें 'कुमाऊं केसरी' (कूर्मांचल केसरी) के नाम से जाना जाता है।

33. 'कूर्माचल केसरी' के नाम से जाना जाता है- [Uttarakhand P.C.S. (Mains), 2002]

Correct Answer: (c) बद्रीदत्त पांडेय को
Solution:कुमाऊं मंडल के चालीस हजार स्वतंत्रता सेनानियों ने जनवरी, 1921 में बागेश्वर में सरयू के तट पर कुली बेगार के रजिस्टर बहाकर कुली बेगार न करने की शपथ ली। बद्रीदत्त पांडेय, हरगोविंद पंत और चिरंजीलाल के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध इस मुहिम में ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर डायबिल को अपनी असफलता स्वीकार कर वापस लौटना पड़ा। बद्रीदत्त पांडेय के इस आंदोलन में अद्वितीय योगदान के लिए जनमानस में इन्हें 'कुमाऊं केसरी' (कूर्मांचल केसरी) के नाम से जाना जाता है।

34. 1946 में पर्वतीय क्षेत्र के लिए अलग प्रशासनिक भाग बनाने की मांग किसने की? [Uttarakhand P.C.S. (Pre), 2016]

Correct Answer: (b) बद्रीदत्त पांडे
Solution:बद्रीदत्त पांडे भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। तत्कालीन संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तराखंड) में अल्मोड़ा से स्वतंत्र भारत में सांसद चुने गए थे। वर्ष 1946 में पर्वतीय क्षेत्र के अलग प्रशासनिक भाग बनाने की मांग सर्वप्रथम बद्रीदत्त पांडे द्वारा की गई थी।

35. बद्रीदत्त पांडेय थे- [Uttarakhand P.C.S. (Mains), 2002]

1. कुली-बेगार आंदोलन के नायक

2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सदस्य

3. हिंदू महासभा के सदस्य

नीचे दिए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए।

कूट :

Correct Answer: (a) 1 व 2
Solution:बद्रीदत्त पांडेय कुली-बेगार आंदोलन के नायक और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। इनकी मुहिम से ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर डायबिल को अपनी असफलता स्वीकार कर वापस लौटना पड़ा।

36. वह व्यक्ति जिसे 'उत्तराखंड का गांधी' कहा जाता है, थे- [Uttarakhand P.C.S. (Mains), 2002]

Correct Answer: (b) स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी
Solution:

इंद्रमणि बडोनी को उत्तराखंड का गांधी' कहा जाता है। इनका जन्म 24 दिसंबर, 1925 को टिहरी गढ़‌वाल रियासत के अखोड़ी गांव में हुआ था। ये पहली बार वर्ष 1967 में देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। वे पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर 2 अगस्त, 1994 को आमरण अनशन पर बैठे थे। दुर्भाग्य यह रहा कि स्वतंत्र राज्य घोषित होने से पहले ही वे अगस्त, 1999 में दिवंगत हो गए।

37. 'उत्तराखंड के गांधी' के रूप में किसे जाना जाता है? [Uttarakhand P.C.S. (Pre), 2012]

Correct Answer: (d) इंद्रमणि बडोनी
Solution:इंद्रमणि बडोनी को उत्तराखंड का गांधी' कहा जाता है। इनका जन्म 24 दिसंबर, 1925 को टिहरी गढ़‌वाल रियासत के अखोड़ी गांव में हुआ था। ये पहली बार वर्ष 1967 में देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। वे पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर 2 अगस्त, 1994 को आमरण अनशन पर बैठे थे। दुर्भाग्य यह रहा कि स्वतंत्र राज्य घोषित होने से पहले ही वे अगस्त, 1999 में दिवंगत हो गए।

38. अल्मोड़ा सिक्कों में उल्लिखित नाम हैं- [Uttarakhand P.C.S. (Pre), 2012]

Correct Answer: (c) शिवदत्त, शिवपालित और हरिदत्त
Solution:अल्मोड़ा सिक्कों में मुख्य रूप से असेका, गोमितरा, शिवदत्त, शिवपालित, हरिदत्त, शिवरकसिता तथा शिलावर्मन का नाम उल्लिखित है। यह कुछ ऐसे नाम हैं, जिनके विषय में हमें मात्र इन सिक्कों से जानकारी प्राप्त होती है।

39. 'चारण' उपनाम से जाने जाते हैं, उत्तरांचल के इतिहासकार- [Uttarakhand P.C.S. (Mains), 2002]

Correct Answer: (d) शिव प्रसाद डबराल
Solution:शिव प्रसाद डबराल को 'चारण' उपनाम से भी जाना जाता है। इतिहासकार के रूप में विख्यात डबराल ने 'उत्तराखंड का इतिहास नामक पुस्तक भी लिखी है।

40. शिव प्रसाद डबराल कौन थे? [Uttarakhand P.C.S. (Pre), 2005]

Correct Answer: (a) इतिहासकार
Solution:शिव प्रसाद डबराल को 'चारण' उपनाम से भी जाना जाता है। इतिहासकार के रूप में विख्यात डबराल ने 'उत्तराखंड का इतिहास नामक पुस्तक भी लिखी है।