कला एवं संस्कृति (राजस्थान)

Total Questions: 55

1. सुमेलित कीजिए- [R.A.S./R.T.S. (Pre), 2012]

हस्तकला (Hastkala)जिले (Jile)
A. नमदा (Namda)1. जयपुर (Jaipur)
B. डोरिया (Doria)2. टोंक
C. अजरका (Ajraka)3. बाड़मेर (Barmer)
D. मार्बल-मूर्ति निर्माण (Marble-Murti Nirman)4. बीकानेर (Bikaner)
5. कोटा (Kota)

 

ABCD
(a)4531
(b)4325
(c)3254
(d)1432

 

Correct Answer: (a)
Solution:
हस्तकला (Hastkala)जिले (Jile)
नमदा (Namda)बीकानेर (Bikaner)
डोरिया (Doria)कोटा (Kota)
अजरका (Ajraka)बाड़मेर (Barmer)
मार्बल-मूर्ति निर्माण (Marble-Murti Nirman)जयपुर (Jaipur)

2. प्रसिद्ध मीनाकारी 'थेवा कला' का संबंध है- [R.A.S./R.T.S. (Pre), 1996]

Correct Answer: (d) प्रतापगढ़ से
Solution:राजस्थान राज्य के जयपुर, बीकानेर, नाथद्वारा, प्रतापगढ़ आदि स्थानों में मीनाकारी का कार्य किया जाता है। मीनाकारी का ही एक रूप 'थेवा कला' प्रतापगढ़ में सर्वाधिक प्रचलित है।

3. राजस्थान में कहां पर प्रसिद्ध मीनाकारी गहने बनाए जाते हैं? [R.A.S./R.T.S. (Pre), 2003]

Correct Answer: (a) जयपुर
Solution:राजस्थान राज्य के जयपुर, बीकानेर, नाथद्वारा, प्रतापगढ़ आदि स्थानों में मीनाकारी का कार्य किया जाता है। मीनाकारी का ही एक रूप 'थेवा कला' प्रतापगढ़ में सर्वाधिक प्रचलित है।

4. संगमरमर की मूर्तियां राजस्थान में कहां बनती हैं? [R.A.S./R.T.S. (Pre), 1999]

Correct Answer: (a) जयपुर में
Solution:जयपुर में संगमरमर की मूर्तियां सर्वाधिक संख्या में बनती हैं। इसके अलावा उदयपुर, मकराना एवं अलवर भी मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध हैं। जयपुर में सिलावट जाति के लोग मूर्तियां बनाते हैं।

5. मंडन द्वारा रचित वास्तुकला के जिस ग्रंथ में मूर्तिकला की जानकारी मिलती है, वह है- [R.A.S./R.T.S. (Pre), 1993]

Correct Answer: (b) रूप मंडन
Solution:मेवाड़ से संबंधित शिल्पी मंडन ने वास्तुकला से संबंधित पांच प्रमुख ग्रंथ लिखे थे, जिनमें रूप मंडन से मूर्तिकला की जानकारी प्राप्त होती है।

6. स्थान, जो अपने मृदा शिल्प के लिए विख्यात है- [R.A.S./R.T.S. (Pre), 2013]

Correct Answer: (b) मोलेला
Solution:राजस्थान में मृदा शिल्प के लिए कई स्थान विख्यात हैं। इनमें मोलेला, अहोर, मुंडवा, बलोतरा, सातिन आदि स्थान प्रमुख हैं। उदयपुर के निकट स्थित मोलेला अपने टेराकोटा चित्रों और चिह्नों के लिए प्रसिद्ध है। यह आकर्षक शिल्प आदिवासियों की धार्मिक भावनाओं एवं ग्रामीण जनसंख्या के कारण बचा हुआ है। यहां विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं।

7. मेवाड़ में रागमाला, रसिक प्रिया, गीत गोविंद जैसे विषयों पर लघु चित्र शैली किस शासक के काल में चरम सीमा पर पहुंची ? [R.A.S./R.T.S. (Pre), 1999]

Correct Answer: (b) महाराणा अमरसिंह प्रथम (1597-1620)
Solution:महाराणा अमरसिंह प्रथम के शासनकाल को मेवाड़ की चित्रकला के इतिहास में स्वर्ण युग माना जाता है। पंचतंत्र, गीत गोविंद, रस मंजरी, महाभारत, रामायण तथा रसिक प्रिया से संबंधित चित्र मेवाड़ शैली के प्रमुख चित्रों में शामिल हैं।

8. राजस्थानी विचारधारा की चित्रकला का आरंभिक मुख्य केंद्र था- [R.A.S./R.T.S. (Pre), 2003]

Correct Answer: (c) बूंदी
Solution:बूंदी शैली को राजस्थानी विचारधारा की चित्रकला का आरंभिक बिंदु माना जाता है। बूंदी शैली का सर्वाधिक निकटतम उदाहरण चुनर रागमाला (Chunar Ragamala) है।

9. पशु-पक्षियों को महत्त्व देने वाले स्कूल ऑफ पेंटिंग का नाम है- [R.A.S./R.T.S. (Pre), 1996, 1992]

Correct Answer: (a) बूंदी शैली
Solution:राजस्थान की बूंदी शैली में कृष्ण लीला, रामलीला, तीज-त्योहार, हाथियों की लड़ाई, घुड़दौड़, राग-रंग, फल-फूल, वृक्ष, पशु-पक्षी आदि का चित्रण किया गया है। इस शैली का सर्वाधिक विकास राव सुरजन सिंह के समय में हुआ।

10. 'पिछवाई' कलाकृतियों में बने चित्र उद्धृत किए गए हैं- [R.A.S./R.T.S. (Pre), 2003]

Correct Answer: (c) भगवान कृष्ण के जीवन से
Solution:श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अंकन 'पिछवाई' कलाकृतियों में किया गया है। यह कलाकृतियां नाथद्वारा शैली के अंतर्गत बनाई गई हैं।