कांग्रेस का कराची अधिवेशन (1931) (UPPCS)

Total Questions: 8

1. निम्नलिखित में से किसने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन का सभापतित्व किया था? [U.P. P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (d) वल्लभभाई पटेल
Solution:गांधी-इर्विन समझौते (दिल्ली समझौते) को मंजूरी देने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में 29-31 मार्च, 1931 को कांग्रेस का कराची अधिवेशन हुआ। इसी अधिवेशन में पहली बार कांग्रेस ने मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों से संबद्ध प्रस्ताव पारित किए। इसी अधिवेशन में कुछ लोगों के विरोध करने पर गांधी जी ने कहा था "गांधी मर सकता है, गांधीवाद नहीं।" यह पहला अवसर था जब 'पूर्ण स्वराज्य' को कांग्रेस द्वारा परिभाषित किया गया।

2. वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन के लिए, जिसकी अध्यक्षता सरदार पटेल कर रहे थे, किसने मूल अधिकारों तथा आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प प्रारूपित किया था? [I.A.S. (Pre) 2010 I.A.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (b) पंडित जवाहरलाल नेहरू
Solution:वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन में पारित मूल अधिकारों तथा आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रारूपित किया था तथा एम.एन. राय ने इसमें सहयोगी की भूमिका निभाई थी।

3. निम्नलिखित में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में पहली बार मौलिक अधिकारों से संबंधित प्रस्ताव पारित किए गए थे? [69th B.P.S.C. (Pre) 2023]

Correct Answer: (c) कराची अधिवेशन 1931
Solution:वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन में पारित मूल अधिकारों तथा आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रारूपित किया था तथा एम.एन. राय ने इसमें सहयोगी की भूमिका निभाई थी।

4. निम्नलिखित में से किसने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन (1931) को 'महात्मा गांधी की लोकप्रियता और सम्मान की पराकाष्ठा' माना है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2014]

Correct Answer: (a) एस.सी. बोस
Solution:सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन (1931) को 'महात्मा गांधी की लोकप्रियता और सम्मान की पराकाष्ठा' माना है।

5. भारतीय स्वाधीनता संघर्ष से संबंधित निम्नलिखित घटनाओं को उनके सही क्रम में रखकर सही कूट चुनिए- [U.P. P.C.S. (Mains) 2006 U.P. P.C.S. (Pre) 2009 U.P. P.C.S. (Mains) 2013]

1. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन

2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कराची अधिवेशन

3. भगत सिंह को फांसी

4. गांधी-इर्विन समझौता

कूट :

Correct Answer: (c) 4, 3, 2, 1
Solution:गांधी-इर्विन समझौता कांग्रेस ने वायसराय के साथ बातचीत के लिए गांधीजी को अधिकृत किया। गांधी और इर्विन के बीच लंबी बातचीत के उपरांत 5 मार्च, 1931 को दोनों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिसे गांधी-इर्विन समझौते के रूप में जाना जाता है।

भगत सिंह को फांसी : लाहौर षड्यंत्र कांड में भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को 23 मार्च, 1931 को फांसी दी गई।

कांग्रेस का कराची अधिवेशन 29 से 31 मार्च, 1931 तक कराची में हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में गांधी-इर्विन समझौते की संपुष्टि की गई। द्वितीय गोलमेज सम्मेलन गोलमेज सम्मेलन का दूसरा सत्र 7 सितंबर, 1931 को प्रारंभ हुआ, जिसमें महात्मा गांधी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए। यह सम्मेलन पूर्णतया निष्फल रहा।

6. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित निम्नलिखित घटनाओं को पढ़ें- [U.P. P.C.S. (Mains) 2009]

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कराची अधिवेशन

2. राजगुरु को फांसी

3. गांधी-इर्विन समझौता

घटनाओं का सही कालानुक्रम नीचे दिए गए कूट से पता करें-

Correct Answer: (a) 3, 2, 1
Solution:गांधी-इर्विन समझौता कांग्रेस ने वायसराय के साथ बातचीत के लिए गांधीजी को अधिकृत किया। गांधी और इर्विन के बीच लंबी बातचीत के उपरांत 5 मार्च, 1931 को दोनों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिसे गांधी-इर्विन समझौते के रूप में जाना जाता है।

भगत सिंह को फांसी : लाहौर षड्यंत्र कांड में भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को 23 मार्च, 1931 को फांसी दी गई।

कांग्रेस का कराची अधिवेशन 29 से 31 मार्च, 1931 तक कराची में हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में गांधी-इर्विन समझौते की संपुष्टि की गई। द्वितीय गोलमेज सम्मेलन गोलमेज सम्मेलन का दूसरा सत्र 7 सितंबर, 1931 को प्रारंभ हुआ, जिसमें महात्मा गांधी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए। यह सम्मेलन पूर्णतया निष्फल रहा।

7. भारतीय स्वाधीनता संग्राम से संबंधित निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिए- [U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]

(1) गांधी-इर्विन समझौता

(2) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कराची अधिवेशन

(3) भगत सिंह की फांसी

(4) पूना समझौता

नीचे दिए गए कूट से घटनाओं का सही कालानुक्रम पता करें-

Correct Answer: (d) 1, 3, 2, 4
Solution:प्रश्नगत घटनाओं का सही कालानुक्रम इस प्रकार है-
घटनाकालानुक्रम
गांधी-इर्विन समझौता5 मार्च, 1931
भगत सिंह को फांसी23 मार्च, 1931
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कराची अधिवेशन29 से 31 मार्च, 1931
पूना समझौता24 सितंबर, 1932

8. निम्नलिखित में से कौन-सा आधुनिक भारतीय इतिहास में घटनाओं के सही कालानुक्रमिक क्रम को इंगित करता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (c) मॉर्ले-मिंटो सुधार, जलियांवाला बाग त्रासदी, गांधी-इर्विन समझौता, अगस्त प्रस्ताव
Solution:मॉर्ले-मिंटो सुधार- वर्ष 1905 में वायसराय लॉर्ड कर्जन के स्थान पर लॉर्ड मिंटो को भारत का वायसराय तथा जॉन मार्ले को भारत का राज्य सचिव नियुक्त किया गया। इनके द्वारा किए गए सुधारों को मार्ले-मिंटो सुधार (औपचारिक नाम-भारत परिषद अधिनियम, 1909) के नाम जाना जाता है जो वर्ष 1909 में पारित हुआ था।

जलियांवाला बाग त्रासदी - 13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा के दौरान ब्रिटिश ब्रिगेडियर-जनरल रेगिनैल्ड एडवर्ड हैरी डायर (R.E.H. Dyer) ने निहत्थी शांतिपूर्ण भीड़ पर गोलियां चलवाकर 1000 लोगों (हंटर कमीशन के अनुसार 379) की हत्या कराई। इसे ही जलियांवाला बाग त्रासदी के नाम से जाना जाता है।

गांधी इर्विन समझौता- तेजबहादुर सप्रू और एम. आर. जयकर के प्रयत्नों से महात्मा गांधी और वायसराय इर्विन के मध्य फरवरी, 1931 में वार्ता आरंभ हुई। इस वार्ता के उपरांत 5 मार्च, 1931 को दोनों के मध्य समझौता हुआ, जिसे गांधी-इर्विन समझौते के नाम से जाना जाता है।

अगस्त प्रस्ताव- द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से 8 अगस्त, 1940 को वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने एक घोषणा की जिसे अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है। इस प्रस्ताव के मुख्य प्रावधान थे- भारत को डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा प्रदान करना, एक युद्ध सलाहकार परिषद का गठन, वायसराय की कार्यकारणी का विस्तार तथा युद्ध समाप्ति के पश्चात संविधान सभा का गठन आदि।