कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध

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11. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338 से संबंधित है- [M.P.P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
Solution:भारतीय संविधान के भाग 16 में कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध किए गए हैं। मूलतः अनुच्छेद 338 के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन का प्रावधान था, किंतु 89वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के द्वारा एक नया अनुच्छेद 338- A (338-क) जोड़कर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का पृथक गठन कर दिया गया है तथा अनुच्छेद 338 के तहत अब केवल राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के गठन की व्यवस्था है। प्रत्येक आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्यों की राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति का प्रावधान है।

12. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया है? [M.P.P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (b) अनुच्छेद 338
Solution:भारतीय संविधान के भाग 16 में कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध किए गए हैं। मूलतः अनुच्छेद 338 के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन का प्रावधान था, किंतु 89वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के द्वारा एक नया अनुच्छेद 338- A (338-क) जोड़कर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का पृथक गठन कर दिया गया है तथा अनुच्छेद 338 के तहत अब केवल राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के गठन की व्यवस्था है। प्रत्येक आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्यों की राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति का प्रावधान है।

13. संविधान के किस अनुच्छेद द्वारा पृथक अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया गया है? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (c) 338-क
Solution:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338-क द्वारा पृथक राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 337 में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लाभ हेतु शैक्षिक अनुदान के लिए विशेष उपबंध, अनुच्छेद 338 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और अनुच्छेद 5 340 में पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति का उल्लेख किया गया है।

14. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अतिरिक्त, सदस्यों की कुल संख्या कितनी है? [M.P.P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (c) 3 सदस्य
Solution:संविधान के अनुच्छेद 338A के खंड (2) के अनुसार, संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।

15. निम्नलिखित में से कौन सवैधानिक निकाय है/हैं? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]

(i) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

(ii) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग

(iii) राष्ट्रीय जांच एजेंसी

(iv) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

 

Correct Answer: (c) केवल (ii)
Solution:राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) का गठन संविधान के अनुच्छेद 338A के तहत किया गया है, अतः यह एक संवैधानिक (Constitutional) निकाय है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय जांच एजेंसी तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण संवैधानिक नहीं, बल्कि वैधानिक या सांविधिक (Statutory) निकाय हैं, क्योंकि इनका गठन संसदीय विधियों के द्वारा किया गया है।

16. लोक सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान संविधान में किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया गया है? [U.P. P.C.S. (Pre) 2013 U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Mains) 2010 U.P. P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015 U.P. P.C.S. (Mains) 2015]

Correct Answer: (a) 331
Solution:लोक सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान संविधान के अनु. 331 के अंतर्गत किया गया था। इस अनुच्छेद के अनुसार अनु. 81 में किसी बात के होते हुए भी, यदि राष्ट्रपति की यह राय है कि लोक सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, तो वह लोक सभा में उस समुदाय के दो से अनधिक सदस्य नाम-निर्देशित कर सकता था। अनुच्छेद 334 के उपबंधों के तहत यह व्यवस्था मूलतः संविधान के प्रारंभ से 10 वर्ष तक की अवधि के लिए ही थी, जिसे संविधान संशोधनों द्वारा क्रमिक रूप से आगे बढ़ाया जाता रहा था। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 के द्वारा यह अवधि संविधान के प्रारंभ से 70 वर्ष तक की गई थी। 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के द्वारा अनुच्छेद 334 में संशोधन कर लोक सभा और राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था को अगले 10 वर्षों (संविधान के प्रारंभ से 80 वर्ष तक) के लिए बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, परंतु एंग्लो-इंडियनों के नाम-निर्देशन के प्रावधान की अवधि को आगे न बढ़ाते हुए निष्प्रभावी कर दिया गया है।

17. लोक सभा में एंग्लो- इंडियन समुदाय के लिए आरक्षण का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2017]

Correct Answer: (d) अनुच्छेद 331
Solution:लोक सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान संविधान के अनु. 331 के अंतर्गत किया गया था। इस अनुच्छेद के अनुसार अनु. 81 में किसी बात के होते हुए भी, यदि राष्ट्रपति की यह राय है कि लोक सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, तो वह लोक सभा में उस समुदाय के दो से अनधिक सदस्य नाम-निर्देशित कर सकता था। अनुच्छेद 334 के उपबंधों के तहत यह व्यवस्था मूलतः संविधान के प्रारंभ से 10 वर्ष तक की अवधि के लिए ही थी, जिसे संविधान संशोधनों द्वारा क्रमिक रूप से आगे बढ़ाया जाता रहा था। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 के द्वारा यह अवधि संविधान के प्रारंभ से 70 वर्ष तक की गई थी। 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के द्वारा अनुच्छेद 334 में संशोधन कर लोक सभा और राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था को अगले 10 वर्षों (संविधान के प्रारंभ से 80 वर्ष तक) के लिए बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, परंतु एंग्लो-इंडियनों के नाम-निर्देशन के प्रावधान की अवधि को आगे न बढ़ाते हुए निष्प्रभावी कर दिया गया है।

18. निम्नलिखित में से कौन-सा अनुच्छेद राज्य विधानसभा में आंग्ल- भारतीयों के प्रतिनिधित्व से संबंधित है? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (d) अनुच्छेद - 333
Solution:संविधान के अनुच्छेद 333 में प्रावधानित है कि यदि किसी राज्यपाल की यह राय है कि उस राज्य की विधानसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व आवश्यक है और उसमें उसका प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, तो वह उस विधानसभा में उस समुदाय का एक सदस्य नाम-निर्देशित कर सकेगा। अनुच्छेद 334 के तहत उपर्युक्त प्रावधान की अवधि मूलतः 10 वर्षों तक ही थी, जिसे क्रमिक रूप से संविधान संशोधनों के द्वारा आगे बढ़ाया जाता रहा था। 104 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 से जहां अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण को पुनः अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, वहीं आंग्ल-भारतीयों के नाम-निर्देशन के प्रावधान को आगे न बढ़ाते हुए निष्प्रभावी कर दिया गया है।

19. सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए कूट से सही उत्तर का चयन करें- [R.A.S./R.T.S. (Pre) (Re-Exam) 2013]

सूची-I (मानवाधिकार प्रलेख)सूची-II (वर्ष)
A. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियमi. 1990
B. बाल मजदूर (निषेध एवं नियामक) अधिनियमii. 1995
C. निःशक्तजन (समान अधिकारिता, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण सहभागिता) अधिनियमiii. 1986
D. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियमiv. 1993
      (A)        (B)          (C)           (D)
(a)iiiiiiiv
(b)iviiiiii
(c)iiiiiiiv
(d) iiiiivii
Correct Answer: (b)
Solution:राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम वर्ष 1993 में अधिनियमित हुआ। बाल मजदूर (निषेध एवं नियामक) अधिनियम वर्ष 1986 में बना। निःशक्तजन (समान अधिकारिता, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण सहभागिता) अधिनियम वर्ष 1995 में आया, जबकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम वर्ष 1992 में आया। दिए गए विकल्पों में से कोई भी विकल्प सही नहीं है, लेकिन विकल्प (b) निकटतम सही उत्तर है।

20. भारत के निम्नलिखित संगठनों/निकायों पर विचार कीजिए : [I.A.S. (Pre) 2023]

1. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग

2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

3. राष्ट्रीय विधि आयोग

4. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग

उपर्युक्त में से कितने सांविधानिक निकाय हैं?

 

Correct Answer: (a) केवल एक
Solution:राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राष्ट्रीय विधि आयोग तथा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में से केवल एक (राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग) संवैधानिक निकाय है। ज्ञातव्य है कि संवैधानिक निकाय से तात्पर्य ऐसे निकाय से है, जिसका प्रावधान संविधान में किया गया हो। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के संबंध में प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 338 ख में किया गया है। इसे 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा संविधान में अंतःस्थापित किया गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत, राष्ट्रीय विधि आयोग का गठन भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय के द्वारा तथा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) का गठन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत किया जाता है। ये तीनों गैर-संवैधानिक निकाय हैं।