Correct Answer: (b) केवल 2
Solution:जैव उर्वरक के रूप में राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम और नील-हरित शैवालों का प्रयोग लंबे समय से होता आ रहा है। इसमें नील-हरित शैवाल का संबंध साइनोबैक्टीरिया जेनस, नॉस्टॉक या एनाबीना या टॉलीपोथ्रिक्स या ऑलोसिरा से है। ये जैव उर्वरक वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक होते हैं।