कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र (भाग-5) (आर्थिक विकास)

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21. किसान क्रेडिट कार्ड योजना का प्रारंभ किया गया था, वर्ष- [U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008 U.P.P.S.C. (GIC) 2010]

Correct Answer: (c) 1998-99 में
Solution:किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिए पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी।

उद्देश्य -

1. फसल उपजाने के लिए ऋण सहायता ।

2. कटाई के बाद के खर्चों के लिए सहायता प्रदान करना।

3. कृषि से संबद्ध कृषि संपत्ति और गतिविधियों के रख-रखाव हेतु कार्यशील पूंजी प्रदान करना।

4. कृषि उपज विपणन के लिए।

5. किसानों की उपभोग आवश्यकताओं के लिए सहायता प्रदान करना आदि।

22. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : [U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2016]

1. किसान क्रेडिट कार्ड योजना वर्ष 2001 में शुरू की गई थी।

2. यह योजना किसानों को उनकी खेती की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त और समयानुकूल साख समर्थन प्रदान करती है।

इनमें से

Correct Answer: (b) केवल (2) सही है।
Solution:किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिए पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी।

उद्देश्य -

1. फसल उपजाने के लिए ऋण सहायता ।

2. कटाई के बाद के खर्चों के लिए सहायता प्रदान करना।

3. कृषि से संबद्ध कृषि संपत्ति और गतिविधियों के रख-रखाव हेतु कार्यशील पूंजी प्रदान करना।

4. कृषि उपज विपणन के लिए।

5. किसानों की उपभोग आवश्यकताओं के लिए सहायता प्रदान करना आदि।

23. किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना लाई गई थी [U. P. R. O./A.R.O. (Mains) 2014]

Correct Answer: (a) 1998-1999 में
Solution:किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिए पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी।

उद्देश्य -

1. फसल उपजाने के लिए ऋण सहायता ।

2. कटाई के बाद के खर्चों के लिए सहायता प्रदान करना।

3. कृषि से संबद्ध कृषि संपत्ति और गतिविधियों के रख-रखाव हेतु कार्यशील पूंजी प्रदान करना।

4. कृषि उपज विपणन के लिए।

5. किसानों की उपभोग आवश्यकताओं के लिए सहायता प्रदान करना आदि।

24. निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिए और उन्हें कालक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए- [U.P. P.C.S. (Pre) 2020 U.P. R.O./A.R.O. (Mains) 2021]

1. नाबार्ड की स्थापना

2. स्वयं सहायता समूह का बैंक लिंकेज कार्यक्रम

3. किसान क्रेडिट कार्ड योजना

4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना

कूट :

Correct Answer: (a) 4, 1, 2, 3
Solution:
घटनाएं (Events)वर्ष (Year)
नाबार्ड की स्थापना1982
स्वयं सहायता समूह का बैंक लिंकेज कार्यक्रम1992-93
किसान क्रेडिट कार्ड योजना1998
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना1975

25. संप्रग सरकार के नए कृषि पैकेज में प्रावधान नहीं है- [U.P.P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (d) ऋण भुगतान में माफी
Solution:संप्रग सरकार के नए कृषि पैकेज में भूमिहीन कृषकों को बैंकों से ऋण प्राप्त करने तथा इससे संबंधित प्रस्ताव नाबार्ड द्वारा बनाए जाने एवं 50 लाख से अधिक नए कृषकों को संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने का उल्लेख है। इसमें ऋण भुगतान से संबंधित माफी का कोई उल्लेख नहीं है।

26. भारत की सरकार ने कीमत स्थिरीकरण कोष की स्थापना का निर्णय लिया है- [U.P.P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (c) कॉफी और चाय उत्पादकों के लिए
Solution:वर्ष, 2003 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी प्रस्ताव के माध्यम से 500 करोड़ रु. से कीमत स्थिरीकरण कोष स्थापित किया गया था। इस कोष का उपयोग चाय, कॉफी, रबर और तंबाकू की कीमतों को स्थिर रखने हेतु किए जाने का प्रावधान था। यह योजना प्रारंभ में 3.42 लाख उत्पादकों के लाभार्थ 10 वर्ष के लिए लागू की गई थी। कोष का उपयोग इन उत्पादनों की कीमतों में 20% कमी या वृद्धि होने पर किया जाता है।

27. निम्नलिखित में से कौन-सी फसल मूल्य नियंत्रण हेतु भारत सरकार के मूल्य स्थिरीकरण कोष के अंतर्गत संरक्षित है? [U.P. R.O./A.R.O. (Mains) 2021]

Correct Answer: (b) आलू
Solution:उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हेतु प्याज, आलू और दाल जैसे कृषि उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) की स्थापना की गई।

28. भारत में गौण खनिज के प्रबंधन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2019]

1. इस देश में विद्यमान विधि के अनुसार रेत एक 'गौण खनिज' है।

2. गौण खनिजों के खनन पट्टे प्रदान करने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है, किंतु गौण खनिजों को प्रदान करने से संबंधित नियमों को बनाने के बारे में शक्तियां केंद्र सरकार के पास हैं।

3. गौण खनिजों के अवैध खनन को रोकने के लिए नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन ही है/हैं?

Correct Answer: (a) केवल 1 और 3
Solution:खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के सेक्शन 3 (e) के अनुसार, रेत एक 'गौण खनिज' (Minor Mineral) है। इसी अधिनियम के सेक्शन 15 के अनुसार, गौण खनिजों के बारे में नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकार के पास है, न कि केंद्र सरकार के पास। सेक्शन 23c के अनुसार, गौण खनिजों के अवैध खनन को रोकने हेतु नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है। अतः कथन 1 और 3 सत्य हैं, जबकि कथन 2 असत्य।

नोट वर्तमान में MMDR अमेंडमेंट एक्ट, 2021 प्रतिस्थापित हो गया है।