कृषि

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11. निम्नलिखित में से कौन-सा भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता का कारण नहीं है? [U.P. P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (c) सहकारी कृषि
Solution:नसंख्या का दबाव, प्रच्छन्न बेरोजगारी (Hidden Unemployment) और भू-जोतों का छोटा आकार भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के कारण हैं, जबकि सहकारी कृषि, कृषि के विकास का एक साधन है। इसके तहत छोटे-छोटे किसान संयुक्त रूप से कृषि कार्य करते हैं।

12. भारतीय कृषि में परिस्थितियों के संदर्भ में 'संरक्षण कृषि' की संकल्पना का महत्व बढ़ जाता है। निम्नलिखित में से कौन-कौन से संरक्षण कृषि के अंतर्गत आते हैं? [I.A.S. (Pre) 2018]

1. एकधान्य कृषि पद्धतियों का परिहार

2. न्यूनतम जोत को अपनाना

3. बागानी फसलों की खेती का परिहार

4. मृदा धरातल को ढकने के लिए फसल अवशिष्ट का उपयोग

5. स्थानिक एवं कालिक फसल अनुक्रमण /फसल आवर्तनों को अपनाना ।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए -

Correct Answer: (c) 2, 4 और 5
Solution:संरक्षण कृषि वह पद्धति है, जिसमें कृषिगत लागत को कम रखते हुए अत्यधिक लाभ व टिकाऊ उत्पादकता लाई जा सकती है। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों जैसे मृदा, जल, वातावरण व जैविक कारकों में संतुलित वृद्धि होती है। इसमें कृषि क्रियाओं उदाहरणार्थ शून्यकर्षण/अति न्यूनकर्षण (Zero tillage/Minimum tillage) के साथ कृषि रसायनों एवं अकार्बनिक व कार्बनिक स्रोतों का संतुलित व समुचित प्रयोग होता है, ताकि कृषि की विभिन्न जैव-क्रियाओं पर विपरीत प्रभाव न हो। संरक्षित खेती में न्यूनतम जुताई से फसल अवशेष मृदा की सतह पर बने रहते हैं। इससे मृदाक्षरण बहुत कम हो जाता है। सामान्यतः 30 प्रतिशत तक फसल अवशेषों द्वारा मृदा का ढका रहना अति आवश्यक है। संरक्षित खेती में फसल विविधीकरण एवं फसल चक्र अपनाना अति आवश्यक है। सामान्यतः किसान एक ही प्रकार की फसल चक्र कई वर्षों तक अपनाते हैं। जैसे- धान-गेहूं फसल प्रणाली वर्षों से किसान एक ही खेत में लगा रहे हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर सीधा असर पड़ता है। फसल विविधीकरण मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखता है तथा फसल संबंधित कीटों एवं रोग व्याधि को भी कम करता है।

13. निम्न में से कौन-सा एक कृषि में उत्पादकता बढ़ाने का रास्ता है? [64th B.P.S.C. (Pre) 2018]

Correct Answer: (e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
Solution:दिए गए विकल्पों में सभी कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के रास्ते है।

14. कृषि जनगणना (2015-16) के संदर्भ में कौन-सा/कौन-से सही है। हैं? [Chhatisgarh P.C.S. (Pre) 2021]

(i) लघु और सीमांत किसान कुल किसानों का 86.2 प्रतिशत हैं, जबकि वे केवल 47.3 प्रतिशत फसल क्षेत्रों (कुल फसल क्षेत्र का) के मालिक हैं।

(ii) राज्यवार कृषकों की कुल संख्या के आधार पर महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है।

(iii) राज्यवार कुल जोती गई भूमि क्षेत्रफल के आधार पर राजस्थान प्रथम स्थान पर है।

Correct Answer: (a) (i), (ii) और (iii)
Solution:कृषि जनगणना (2015-16) के अनुसार, लघु और सीमांत किसान कुल किसानों का 86.2 प्रतिशत हैं, जबकि वे केवल 47.3 प्रतिशत फसल क्षेत्रों के मालिक हैं। राज्यवार कुल कृषि योग्य भूमि के आधार पर राजस्थान प्रथम स्थान पर है। राज्यवार किसानों की कुल संख्या के आधार पर महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है।

15. स्थायी कृषि (पर्माकल्चर), पारंपरिक रासायनिक कृषि से किस तरह भिन्न है? [I.A.S. (Pre) 2021]

1. स्थायी कृषि एकधान्य कृषि पद्धति को हतोत्साहित करता है, किंतु पारंपरिक रासायनिक कृषि में एकधान्य कृषि पद्धति की प्रधानता है।

2. पारंपरिक रासायनिक कृषि के कारण मृदा की लवणता में वृद्धि हो सकती है, किंतु इस तरह की परिघटना स्थायी कृषि में दृष्टिगोचर नहीं होती है।

3. पारंपरिक रासायनिक कृषि अर्धशुष्क क्षेत्रों में आसानी से संमव है, किंतु ऐसे क्षेत्रों में स्थायी कृषि इतनी आसानी से संभव नहीं है।

4. मल्च बनाने (मल्चिंग) की प्रथा स्थायी कृषि से काफी महत्वपूर्ण है, किंतु पारंपरिक रासायनिक कृषि में ऐसी प्रथा आवश्यक नहीं है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

Correct Answer: (b) 1, 2 और 4
Solution:प्रकृति के साधनों का बिना दुरुपयोग या प्रदूषित किए अधिकतम उपयोग करने वाली कृषि की विधि को स्थायी कृषि कहा जा सकता है। इसमें मृदा जल और प्राकृतिक रूप से निर्मित खाद और उसके संरक्षण के लिए क्राप रोटेशन, मल्चिंग विधि के तहत मिट्टी को ढकना आदि अपनाकर कृषि की जाती है, अतः कथन 1, 2, 4 सत्य हैं। यह विधि शुष्क, अर्धशुष्क क्षेत्रों में भी प्रभावकारी है, अतः कथन 3 असत्य है।

16. कृषि में शून्य-जुताई (Zero-tillage) का/के क्या लगभग है/हैं? [I.A. S. (Pre) 2020]

1. पिछली फसल के अवशेषों को जलाए बिना गेहूं की बुआई संभव है।

2. चावल की नई पौध की नर्सरी बनाए बिना, धान के बीजों का नम मृदा में सीधे रोपण संभव है।

3. मृदा में कार्बन पृथक्करण संभव है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

Correct Answer: (d) 1, 2 और 3
Solution:शून्य जुताई अर्थात खेत की जुताई किए बगैर अगली फसल बोने के निम्नलिखित लाभ हैं- फसल लागत में कमी, पिछली फसल के अवशेष को खेत में छोड़ दिया जाता है जिससे वह सड़कर खाद बनता है, इससे उर्वरक उपभोग में भी कमी आती है। धान की नर्सरी बनाने के बजाए सीधे बुवाई से समय और श्रम की भी बचत होती है। फसलों द्वारा वायुमंडल से अवशोषित कार्बन डाइऑक्साइड मृदा में मिल जाती है, जिससे वायुमंडल से कार्बन पृथक्करण होता रहता है।

17. कृषि में फर्टीगेशन (Fertigation) के क्या लाभ हैं? [I.A. S. (Pre) 2020]

1. सिंचाई जल की क्षारीयता का नियंत्रण संभव है।

2. रॉक फॉस्फेट और सभी अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का सफलता के साथ अनुप्रयोग संभव है।

3. पौधों के लिए पोषक बढ़ी हुई मात्रा में सुलभ किए जा सकते हैं।

4. रासायनिक पोषकों के निक्षालन में कमी संभव है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

Correct Answer: (c) केवल 1,3 और 4
Solution:फर्टीगेशन (जल में उर्वरक को घोलकर सिंचाई) विधि से जल में आवश्यकता अनुसार रसायन मिलाकर उसकी क्षारीयता का नियंत्रण किया जा सकता है। घुले उर्वरक से सिंचाई द्वारा पौधों में पोषकों की लगभग दोगुनी मात्रा अवशोषित होती है। इससे रासायनिक पोषणों के निक्षालन में भी कमी आती है। फर्टीगेशन विधि द्वारा मुख्यतः नाइट्रोजनी, पोटाश आदि जल में घुलनशील उर्वरकों का प्रयोग होता है। रॉक फॉस्फेट या फॉस्फोरस के कई उर्वरक जो जल में घुलनशील नहीं हैं, इस विधि द्वारा प्रयोग के उपयुक्त नहीं है।

18. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किस/किन पद्धति/यों को पारितंत्र अनुकूली कृषि माना जाता है? [I.A. S. (Pre) 2020]

1. फसल विविधरूपण

2. शिंब आधिक्य (Legume intensification)

3. टेंसियोमीटर का प्रयोग

4. ऊर्ध्वाधर कृषि (Vertical farming)

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

Correct Answer: (d) 1, 2, 3 और 4
Solution:भारत में पारितंत्र अनुकूल कृषि में विकल्पगत सभी विधियों को अपनाया जा रहा है। इसमें शिंब आधिक्य (दलहनी फसलों की अधिकता) से प्राकृतिक रूप से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, टेंसियोमीटर फसल सिंचाई की जरूरत को बताता है, जिससे नियंत्रित सिंचाई से उत्पादकता भी बढ़ती है और जल की बचत भी होती है।

19. 'भारतीय कृषि का इतिहास' किसने लिखा? [U.P.P.C.S. (Mains) 2015]

Correct Answer: (d) एम.एस. रंधावा
Solution:'भारतीय कृषि का इतिहास' पुस्तक एम.एस. रंधावा द्वारा लिखी गई है। इनका पूरा नाम मोहिंदर सिंह रंधावा है। इन्होंने हरित क्रांति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

20. निम्नलिखित कथनों को पढ़िए और सही विकल्प को चुनिए : [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]

कथन I : भारत को 20 कृषि जलवायु प्रदेशों में बांटा गया है।

कारण II : भारत को 15 कृषि-पारिस्थितिकी प्रदेशों में बांटा गया है।

कारण III : पश्चिमी हिमालय शीत-शुष्क पारिस्थितिकी प्रदेश का कवरेज क्षेत्र पश्चिमी हिमालय प्रदेश के कवरेज क्षेत्र से ज्यादा है।

Correct Answer: (b) कथन I, II एवं III सभी गलत हैं।
Solution:भारत के योजना आयोग ने भारत को 15 कृषि-जलवायु प्रदेशों में वर्गीकृत किया था। अतः कथन 1 गलत है। राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो, नागपुर ने भारत को 20 प्रमुख कृषि-पारिस्थितिकी प्रदेशों में विभाजित किया है। अतः कथन II भी गलत है। पश्चिमी हिमालय प्रदेश का विस्तार लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में है, जबकि पश्चिमी हिमालय शीत शुष्क पारिस्थितिकी प्रदेश का आच्छादन (कवरेज) लद्दाख के संपूर्ण क्षेत्र एवं जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में है। अतः कथन III भी गलत है।