Solution:नीति आयोग के पेपर 'Changing Structure of Rural Economy of India Implications for Employment and Growth 2017' के अनुसार, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रमिक की उत्पादकता में वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिक की उत्पादकता (प्रति श्रमिक आय) वर्ष 2004-05 में 37273 थी, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 101755 हो गई। जबकि शहरी क्षेत्रों में श्रमिक की उत्पादकता वर्ष 2004-05 में 120419 थी, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 282515 हो गई।2011 की जनगणना के अनुसार, देश का 68.8 प्रतिशत जनसंख्या और 72.4 प्रतिशत कार्यबल ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। हालांकि कुछ वर्षों से शहरीकरण से कार्यबल में ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिशत हिस्सेदारी घट रही है। वर्ष 1993-94 में कार्यबल में ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिशत हिस्सेदारी 77.8 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011-12 में घटकर 70.9 प्रतिशत हो गई।
लगभग दो-तिहाई ग्रामीण आय अब गैर-कृषि गतिविधियों से उत्पन्न हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 1993-94 में 57 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011-12 में घटकर 39 प्रतिशत रह गई।
वर्ष 2004-05 के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में ऋणात्मक वृद्धि देखी गई है। वर्ष 1994-2005 के दौरान, ग्रामीण रोजगार वृद्धि दर 1.45 प्रतिशत थी, जो 2005-12 के दौरान गिरकर –0.28 प्रतिशत हो गई