गरीबी = भाग= 3

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1. भारत में प्रच्छन्न बेरोजगारी पाई जाती है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2006]

Correct Answer: (a) कृषि क्षेत्र में
Note:

भारत में छिपी हुई (प्रच्छन्न) बेरोजगारी प्राथमिक क्षेत्र (कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों) में अधिक पाई जाती है, ऐसा भूमि एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर आबादी के अधिक दबाव के कारण होता है। तकनीकी विकास की कमी के कारण जनसंख्या का अधिकतर भाग कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर करता है, जिस कारण एक ही कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग लगे होते हैं। यही छिपी हुई बेरोजगारी का कारण बन जाता है।

 

2. भारत में छिपी हुई बेरोजगारी (प्रच्छन्न बेरोजगारी) मुख्य रूप से संबंधित है- [U.P. P.C.S. (mains) 2017]

1. कृषि क्षेत्र से

ii. ग्रामीण क्षेत्र से

iii. विनिर्माण क्षेत्र से

iv. शहरी क्षेत्र से

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-

 

Correct Answer: (d) I तथा II
Note:

भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली बेरोजगारी दो प्रकार की होती है- 1. मौसमी बेरोजगारी, 2. प्रच्छन्न बेरोजगारी। प्रच्छन्न बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में अधिक पाई जाती है, जो कि प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसा भूमि पर आबादी के अधिक दबाव के कारण होता है। तकनीकी विकास की कमी के कारण जनसंख्या का अधिकतर भाग कृषि पर निर्भर करता है, जिस कारण एक ही कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग लगे होते हैं, जो प्रच्छन्न बेरोजगारी का कारण बन जाता है।

 

3. वर्ष के अधिकांश हिस्से में बेरोजगार रहने वाले व्यक्तियों की संख्या को कहा जाता है - [U.P.P.C.S. (Pre.), 2019]

Correct Answer: (a) सामान्य स्थिति बेरोजगारी
Note:

सामान्य स्थिति बेरोजगारी (Usual Status Unemployment)- यह सर्वेक्षण की तारीख से पहले, पिछले 365 दिनों में किसी व्यक्ति के कार्य की स्थिति को प्रदर्शित करता है। यदि कोई व्यक्ति वर्ष में अधिकांश दिनों (183 दिनों या अधिक) तक कार्य नहीं करता है, तो उसे 'सामान्य स्थिति बेरोजगारी' कहते हैं। 'सामान्य बेरोजगारी दर' क्रॉनिक बेरोजगारी को प्रदर्शित करती है, क्योंकि वे सभी लोग जो सामान्य रूप से बेरोजगार हैं, उन्हें बेरोजगारी की श्रेणी में रखा जाता है।

 

4. भारत में बेरोजगारी मापन की निम्न में से कौन-सी विधि एन.एस. एस.ओ. द्वारा प्रयोग में नहीं लाई जाती है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2005 U.P. P.C.S (Mains) 2016]

Correct Answer: (b) चालू मासिक स्तर
Note:

भारत में बेरोजगारी मापन हेतु एन.एस.एस.ओ. द्वारा तीन विधियां अपनाई जाती हैं-

सामान्य प्रमुख स्तर- किसी व्यक्ति को बेरोजगार माना जाएगा, यदि पिछले वर्ष के दौरान एक लंबी अवधि (183 दिनों या अधिक) के लिए वह व्यक्ति काम नहीं कर रहा था, परंतु कार्य के लिए उपलब्ध था या कार्य खोज रहा था।

चालू साप्ताहिक स्तर- इस विधि के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सर्वेक्षण सप्ताह में एक दिन में कम-से-कम एक घंटे का भी लाभदायी कार्य नहीं करता है, जबकि वह कार्य के लिए उपलब्ध है या कार्य खोज रहा है, तो उसे बेरोजगार माना जाएगा।

चालू दैनिक स्तर - इस विधि के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सर्वेक्षण सप्ताह में एक दिन का भी रोजगार नहीं पाता है, जबकि वह कार्य हेतु उपलब्ध रहता है, तो उसे बेरोजगार माना जाएगा।

 

5. भारत में बेरोजगारी के आंकड़े एकत्रित एवं प्रकाशित करता है- [U.P. P.C.S. (Mains) 2014]

Correct Answer: (c) एन.एस.एस.ओ
Note:

प्रश्नकाल तथा अद्यतन में भी भारत में बेरोजगारी के आंकड़े एनएसएसओ (NSSO) द्वारा ही एकत्रित एवं प्रकाशित किया जा रहा है।

 

6. निम्नलिखित में से किस क्षेत्रक की वृद्धि दर की रोजगार प्रत्यास्थता बहुत कम है? [I.A.S. (Pre) 1993 M.P.P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (d) मिश्रित खेती
Note:

प्रश्नकाल में विकल्पों में दिए गए क्षेत्रकों में न्यूनतम रोजगार प्रत्यास्थता निम्न है-

क्षेत्रक रोजगार प्रत्यास्थता (1999-2000 से 2009-10)
निर्माण 1.13
वित्त एवं रियल एस्टेट 0.66
विनिर्माण 0.09
कृषि 0.04
सभी क्षेत्र 0.19

7. निम्नलिखित में से कौन-सा एक बेरोजगारी के लिए उत्तरदायी नहीं है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2014]

Correct Answer: (c) प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
Note:

बेरोजगारी के लिए प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि उत्तरदायी नहीं है, जबकि तीव्र जनसंख्या वृद्धि, कौशल का अभाव तथा जनशक्ति नियोजन का अभाव आदि कारक बेरोजगारी के उत्तरदायी कारक हैं।.

 

8. श्रमशक्ति सहभागिता दर को किस रूप में परिभाषित किया जाता है? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (b) नियोजित एवं नियोजन के इच्छुक का कार्यशील आयु जनसंख्या के प्रति अनुपात
Note:

श्रमशक्ति सहभागिता दर को नियोजित एवं नियोजन के इच्छुक व्यक्तियों का कार्यशील आयु जनसंख्या के प्रति अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है। कार्यशील आयु की आबादी 15 से 64 वर्ष (कहीं-कहीं 15-59 वर्ष) की आयु के लोगों को संदर्भित करती है।

 

9. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है। [U.P.P.C.S. (Pre.), 2019]

कथन (A): हाल के वर्षों में भारत में महिलाओं के लिए श्रम की भागीदारी की दर में तेजी से गिरावट आई है।

कारण (R) : पारिवारिक आय में सुधार एवं शिक्षा में वृद्धि के कारण से इस श्रम की भागीदारी दर में गिरावट आई है।

नीचे दिए कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजिए -

 

Correct Answer: (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं एवं (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
Note:

प्रश्नकाल में विकल्प (a) सही उत्तर था। लेकिन 'आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) की वार्षिक रिपोर्ट (जुलाई, 2022-जून, 2023) के अनुसार, सामान्य स्थिति (US) पर पुरुष तथा महिला की भागीदारी दर में वृद्धि प्रदर्शित की गई है। इसके अलावा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के मध्य काफी भिन्नताएं हैं। महिलाओं के लिए श्रम बल में भाग लेने का निर्णय विभिन्न आर्थिक और सामाजिक कारकों का परिणाम है, जो घरेलू एवं समष्टि (Macro) दोनों स्तरों पर लागू है।

वैश्विक प्रमाणों के आधार पर कुछ सबसे महत्वपूर्ण कारकों में शिक्षा प्राप्ति, प्रजनन दर, विवाह की आयु, आर्थिक विकास/चक्रीय प्रवाह और शहरीकरण शामिल है। इन कारकों के अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को निर्धारित करने वाले सामाजिक मानदंड भी परिणामों को प्रभावित करते हैं। भारत में महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट के प्रमुख कारण निम्न हैं-

• युवा महिलाओं के शैक्षिक नामांकन में वृद्धि,

• रोजगार के अवसरों में कमी तथा घरेलू आय में वृद्धि आदि।

उपर्युक्त व्याख्या के आधार पर यह स्पष्ट है कि कथन एवं कारण दोनों ही सत्य हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

 

10. भारत में राष्ट्रीय न्यादर्श सर्वेक्षण 2011-12 के अनुसार, चालू दैनिक स्थिति बेरोजगारी दर क्या थी? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (b) 5.6 प्रतिशत
Note:

भारत में राष्ट्रीय न्यादर्श सर्वेक्षण 2011-12 के अनुसार, चालू दैनिक  स्थिति (CDS) बेरोजगारी दर 5.6 प्रतिशत थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य स्तर (PS + SS; जिसमें मुख्य और गौण क्रियाकलाप - दोनों शामिल) बेरोजगारी दर 2.2 प्रतिशत ही थी। अद्यतन आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) पर वार्षिक रिपोर्ट (जुलाई, 2022-जून, 2023) में भारत में सामान्य स्तर पर बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत के स्तर पर है। जबकि वर्ष 2021-22 में 4.1 प्रतिशत रही।