Solution:वर्ष 1977 में डॉ. वाई. के. अलघ की अध्यक्षता में 'न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम और प्रभावी उपभोग मांग' पर एक कार्यदल (Task Force) का गठन किया गया जिसने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1979 में प्रस्तुत की। इस कार्यदल ने मात्र पोषक तत्वों की आवश्यकता के आधार पर गरीबी रेखा का निर्धारण किया। कार्यदल द्वारा भारतीय चिकित्सा शोध परिषद के 'न्यूनतम पोषाहार आवश्यकता' रिपोर्ट को ध्यान में रखकर न्यूनतम कैलोरी आवश्यकता को गरीबी रेखा निर्धारण का आधार बनाया। इसके अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2435 कैलोरी (लगभग 2400) एवं शहरी क्षेत्र के लिए प्रति व्यक्ति 2095 कैलारी (लगभग 2100) आवश्यक है। जिनका व्यय कैलोरी आवश्यकता की पूर्ति से कम होगा, वे गरीबी रेखा के नीचे होंगे। इस मानक पर वर्ष 1973-74 के मूल्य पर ग्रामीण क्षेत्र के लिए 49.09 रु. तथा शहरी क्षेत्र के लिए 56.64 रु. प्रति व्यक्ति प्रतिमाह गरीबी रेखा का निर्धारण हुआ।तत्कालीन योजना आयोग द्वारा वर्ष 1989 में प्रो. डी.टी. लकड़वाला की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ दल का गठन किया गया, जिसने जुलाई, 1993 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
दिसंबर, 2005 में तत्कालीन योजना आयोग द्वारा सुरेश डी. तेंदुलकर की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ दल का गठन किया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट नवंबर, 2009 में प्रस्तुत की।
तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट की समीक्षा व संशोधन के लिए वर्ष 2012 में रंगराजन समिति का गठन तत्कालीन योजना आयोग द्वारा किया गया। इस समिति ने जून, 2014 में आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी।