गुप्त एवं गुप्तोत्तर युग (UPPCS)

Total Questions: 50

1. गुप्त वंश ने अवधि में शासन किया। [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (a) 319-500 ई.
Solution:गुप्त वंश ने लगभग 275-550 ई. तक शासन किया। इस वंश की स्थापना लगभग 275 ई. में महाराज श्रीगुप्त द्वारा की गई थी; किंतु गुप्त वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक चंद्रगुप्त I था, जिसने 319-335 ई. तक शासन किया। इसने अपनी महत्ता सूचित करने के लिए अपने पूर्वजों के विपरीत 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की। अतः विकल्प (a) अभीष्ट उत्तर है।

2. निम्नलिखित शासकों में से किस एक ने चार अश्वमेधों का संपादन किया था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2003 & U.P.P.C.S. (Mains) 2011]

Correct Answer: (b) प्रवरसेन प्रथम
Solution:वाकाटक शासक प्रवरसेन प्रथम ने चार अश्वमेध यज्ञों का संपादन किया। इसके साथ ही उसने अनेक वैदिक यज्ञ भी किए। इसी वंश के शासक प्रवरसेन द्वितीय की रुचि साहित्य में थी, उसने 'सेतुबंध' नामक ग्रंथ की रचना की।

3. 'भारत का नेपोलियन' किसे कहा जाता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 1990 & Chhttisgarh P.C.S. (Pre) 2005 & U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]

Correct Answer: (d) समुद्रगुप्त
Solution:इतिहासकार विंसेंट स्मिथ ने अपनी रचना 'द अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया' में समुद्रगुप्त की वीरता एवं विजयों पर मुग्ध होकर उसे 'भारतीय नेपोलियन' की संज्ञा दी है।

4. प्राचीन भारत का नेपोलियन' किसे कहा जाता है? [56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015]

Correct Answer: (d) समुद्रगुप्त
Solution:इतिहासकार विंसेंट स्मिथ ने अपनी रचना 'द अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया' में समुद्रगुप्त की वीरता एवं विजयों पर मुग्ध होकर उसे 'भारतीय नेपोलियन' की संज्ञा दी है।

5. निम्नलिखित में से किस गुप्त राजा का एक अन्य नाम देवगुप्त था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2007]

Correct Answer: (b) चंद्रगुप्त द्वितीय
Solution:गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' का एक अन्य नाम देवगुप्त मिलता है। उसके अन्य नाम देवराज तथा देवश्री भी मिलते हैं।

6. प्रथम गुप्त शासक जिसने 'परम भागवत' की उपाधि धारण की, वह था- [U.P.P.C.S. (Pre) 2009]

Correct Answer: (b) समुद्रगुप्त
Solution:नालंदा एवं गया के ताम्रपत्रों के अनुसार समुद्रगुप्त, वह प्रथम गुप्त शासक था, जिसने 'परम भागवत' की उपाधि धारण की थी। ज्ञातव्य है कि कुछ पुस्तकों में परम भागवत उपाधि धारण करने वाला पहला शासक चंद्रगुप्त द्वितीय बताया गया है। लोक सेवा आयोग ने भी इस प्रश्न का उत्तर चंद्रगुप्त द्वितीय माना था; परंतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इस प्रश्न का उत्तर समुद्रगुप्त माना है।

7. 'परम भागवत' उपाधि धारण करने वाला प्रथम गुप्त शासक था- [U.P. P.C.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (b) समुद्रगुप्त
Solution:नालंदा एवं गया के ताम्रपत्रों के अनुसार समुद्रगुप्त, वह प्रथम गुप्त शासक था, जिसने 'परम भागवत' की उपाधि धारण की थी। ज्ञातव्य है कि कुछ पुस्तकों में परम भागवत उपाधि धारण करने वाला पहला शासक चंद्रगुप्त द्वितीय बताया गया है। लोक सेवा आयोग ने भी इस प्रश्न का उत्तर चंद्रगुप्त द्वितीय माना था; परंतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इस प्रश्न का उत्तर समुद्रगुप्त माना है।

8. इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख निम्नलिखित में से किस एक से संबद्ध है? [I.A.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (e) (c & d)
Solution:इलाहाबाद (प्रयागराज) स्तंभ अभिलेख अशोक तथा समुद्रगुप्त (335- 375 ई.) के शासन के बारे में भी सूचना प्रदान करता है। इस स्तंभ पर समुद्रगुप्त के संधिविग्रहिक हरिषेण ने संस्कृत भाषा में प्रशंसात्मक वर्णन प्रस्तुत किया है, जिसे 'प्रयाग प्रशस्ति' कहा गया है। इसमें समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त इस स्तंभ अभिलेख पर मुगल बादशाह जहांगीर का भी लेख खुदा है तथा बीरबल का भी उल्लेख प्राप्त होता है।

9. इलाहाबाद का अशोक स्तंभ किसके शासन के बारे में सूचना प्रदान करता है? [U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004]

Correct Answer: (d) समुद्रगुप्त के
Solution:इलाहाबाद (प्रयागराज) स्तंभ अभिलेख अशोक तथा समुद्रगुप्त (335- 375 ई.) के शासन के बारे में भी सूचना प्रदान करता है। इस स्तंभ पर समुद्रगुप्त के संधिविग्रहिक हरिषेण ने संस्कृत भाषा में प्रशंसात्मक वर्णन प्रस्तुत किया है, जिसे 'प्रयाग प्रशस्ति' कहा गया है। इसमें समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त इस स्तंभ अभिलेख पर मुगल बादशाह जहांगीर का भी लेख खुदा है तथा बीरबल का भी उल्लेख प्राप्त होता है।

10. प्रयाग प्रशस्ति किसके सैन्य अभियान के बारे में जानकारी देती है? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]

Correct Answer: (b) समुद्रगुप्त
Solution:इलाहाबाद (प्रयागराज) स्तंभ अभिलेख अशोक तथा समुद्रगुप्त (335- 375 ई.) के शासन के बारे में भी सूचना प्रदान करता है। इस स्तंभ पर समुद्रगुप्त के संधिविग्रहिक हरिषेण ने संस्कृत भाषा में प्रशंसात्मक वर्णन प्रस्तुत किया है, जिसे 'प्रयाग प्रशस्ति' कहा गया है। इसमें समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त इस स्तंभ अभिलेख पर मुगल बादशाह जहांगीर का भी लेख खुदा है तथा बीरबल का भी उल्लेख प्राप्त होता है।