गुप्त एवं गुप्तोत्तर युग (UPPCS) (Part-3)

Total Questions: 50

11. निम्नलिखित में से कौन-सी नास्तिक विचारधारा है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (d) बौद्ध
Solution:वेदों को मान्यता देने के कारण ही सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा और वेदांत षड्दर्शन 'आस्तिक दर्शन' कहे जाते हैं, जबकि वेदों को मान्यता न देने के कारण बौद्ध, जैन और चार्वाक 'नास्तिक दर्शन कहे जाते हैं। 00

12. लोकायत दर्शन किसको कहा जाता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]

Correct Answer: (c) चार्वाक
Solution:चार्वाक दर्शन को ही लोकायत दर्शन के नाम से जाना जाता है। यह भौतिकवादी दर्शन है, जो भौतिक या सांसारिक सुख को अधिक महत्व देता है।

13. अद्वैत दर्शन के संस्थापक हैं- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2014]

Correct Answer: (a) शंकराचार्य
Solution:अद्वैत दर्शन के संस्थापक आदि शंकराचार्य हैं। आदि शंकराचार्य ने 'प्रस्थानत्रयी' (उपनिषद, ब्रह्मसूत्र और भगवद्गीता) पर भाष्य लिखकर अद्वैतवाद का समर्थन किया। ब्रह्मसूत्र पर उनका भाष्य 'ब्रह्मसूत्र भाष्य' कहलाता है।

14. शंकर के दर्शन को कहा जाता है- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]

Correct Answer: (d) अद्वैतवाद
Solution:अद्वैत दर्शन के संस्थापक आदि शंकराचार्य हैं। आदि शंकराचार्य ने 'प्रस्थानत्रयी' (उपनिषद, ब्रह्मसूत्र और भगवद्गीता) पर भाष्य लिखकर अद्वैतवाद का समर्थन किया। ब्रह्मसूत्र पर उनका भाष्य 'ब्रह्मसूत्र भाष्य' कहलाता है।

15. 'प्रच्छन्न-बौद्ध' किसे कहा जाता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]

Correct Answer: (a) शंकर
Solution:शंकर या आदि शंकराचार्य अद्वैत दर्शन के प्रणेता तथा हिंदू धर्म के प्रख्यात दार्शनिक थे। बौद्ध धर्म की कई संकल्पनाओं को अपने दर्शन में शामिल करने के कारण उन्हें 'प्रच्छन्न-बौद्ध' की संज्ञा दी जाती है।

16. निम्नलिखित में से अद्वैत वेदांत के अनुसार, किसके द्वारा मुक्ति प्राप्त की जा सकती है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (a) ज्ञान
Solution:अद्वैत वेदांत में ज्ञानमार्ग को मोक्ष का साधन स्वीकार किया जाता है। उसकी मान्यता है कि केवल ज्ञान से ही मुक्ति मिलती है (ज्ञानादेव मुक्तिः)। ज्ञान के अभाव में मुक्ति संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि अद्वैत वेदांत में सभी लोग ज्ञानमार्ग के अधिकारी नहीं हैं। ज्ञानमार्ग का अधिकारी केवल वही है, जो 'साधनचतुष्टय' (नित्यानित्यवस्तुविवेक, इहामुत्रार्थभोगविराग, शमदमादिसाधनसम्पत् एवं मुमुक्षुत्व) से युक्त है। जबकि विशिष्टाद्वैत दर्शन में भक्तिमार्ग को मोक्ष का साधन माना जाता है।

17. विशिष्ट अद्वैत सिद्धांत के संस्थापक कौन थे? [I.A.S. (Pre) 2021 & Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) रामानुजाचार्य
Solution:भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में रामानुजाचार्य का स्थान महत्वपूर्ण है। ये सगुण ईश्वर में विश्वास करते थे तथा भक्ति को मोक्ष प्राप्ति का साधन मानते थे। इन्होंने विशिष्ट अद्वैत (विशिष्टाद्वैत) सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। रामानुजाचार्य का विशिष्ट अद्वैत दर्शन शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन के विरोध में एक प्रतिक्रिया है। शंकराचार्य ने ब्रह्म को सत्य तथा जगत को मिथ्या बताया है, जबकि रामानुजाचार्य के अनुसार जीव आनंदमय, स्वयं प्रकाशमान तथा वैशिष्ट्यपूर्ण है और जगत मिथ्या न होकर सत्य सृष्टि है। मनुष्य भक्ति के द्वारा ईश्वर में तल्लीन हो सकता है। अतः विकल्प (a) सत्य है। जबकि वल्लभाचार्य ने 'शुद्ध अद्वैतवाद' तथा मध्वाचार्य ने द्वैतवाद दार्शनिक मत का प्रतिपादन किया है।

18. निम्न में से किसका संबंध 'वेदांत दर्शन' के साथ नहीं है? [M.P.P.C.S. (Mains) 2014]

Correct Answer: (b) अभिनव गुप्त
Solution:वेदांत दर्शन को भारतीय विचारधारा की पराकाष्ठा माना जाता है। वेदांत का शाब्दिक अर्थ है- 'वेद का अंत' या 'वैदिक विचारधारा की पराकाष्ठा'। वेदांत दर्शन के तीन आधार हैं-उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और भगवद्गीता। इन्हें वेदांत दर्शन को 'प्रस्थानत्रयी' कहा जाता है। कई सूक्ष्म भेदों के आधार पर इसके कई उपसंप्रदाय एवं इनके प्रवर्तक हैं; जैसे-शंकराचार्य का अद्वैतवाद, रामानुज का विशिष्टाद्वैत, मध्वाचार्य का द्वैतवाद। अभिनव गुप्त की मुख्य ख्याति तंत्र तथा अलंकार शास्त्र के क्षेत्र में है। ये दर्शन के क्षेत्र में तर्कशास्त्र से जुड़े हुए थे।

19. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए एवं नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर चुनिए- [I.A.S. (Pre) 1995]

सूची-I (संवत्सर)सूची-II (किस समय से गणना)
A. विक्रम संवत्सर1. 3102 ई.पू.
B. शक संवत्सर2. 320 ईस्वी
C. गुप्त संवत्सर3. 78 ईस्वी
D. कलि संवत्सर4. 58 ई.पू.
5. 248 ईस्वी
कूट :
ABCD
(a)2451
(b)1324
(c)4523
(d)4321

 

Correct Answer: (d)
Solution:विक्रम संवत् को कृत संवत् या मालव संवत् भी कहते हैं। इसकी तिथि 57 या 58 ई. पू. मानी जाती है। शक संवत् की तिथि 78 ई. मानी जाती है तथा इस संवत् का प्रवर्तक कनिष्क को माना जाता है। गुप्त संवत् की स्थापना चंद्रगुप्त 1 ने 319 ई. में की थी। चूंकि प्रश्न में इसका मिलान 320 ई. से किया गया है जो कि इसके निकटतम स्थित है। कलि संवत् 3102 ई. पू. का माना जाता है। अतः दिए गए विकल्पों के अनुसार इसका सही उत्तर विकल्प (d) होगा।

20. निम्न कथनों पर विचार कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए : [U.P.P.C.S. (Pre) 2011]

1. विक्रम संवत् 58 ई.पू. से आरंभ हुआ।

2. शक संवत् सन् 78 ई. से आरंभ हुआ।

3. गुप्तकाल सन् 319 ई. से आरंभ हुआ।

4. भारत में मुसलमान शासन का युग सन् 1192 ई. से शुरू हुआ।

कूट :

Correct Answer: (d) 1, 2, 3 एवं 4
Solution:विक्रम संवत् 58 ई.पू. अथवा 57 ई.पू. से तथा शक संवत् 78 ई. से प्रारंभ हुआ था। यद्यपि गुप्त वंश की स्थापना श्रीगुप्त ने की थी, तथापि गुप्तकाल के प्रारंभ से तात्पर्य गुप्त साम्राज्य; अर्थात चंद्रगुत प्रथम के शासनकाल के आरंभ (319 ई.) से है। साथ ही यद्यपि 8 वीं शताब्दी ई. के प्रारंभ में ही मुहम्मद बिन कासिम द्वारा भारत के सिंध प्रांत को अधिकृत कर लिया गया था; परंतु भारत में मुसलमान शासन का युग, मोहम्मद गोरी की तराइन के द्वितीय युद्ध में विजय (1192 ई.) से प्रारंभ माना जाता है। इस प्रकार प्रश्नगत चारों कथन सही हैं। कुछ प्रश्नों के उत्तर आयोग की मान्यता पर निर्धारित होते हैं। यह प्रश्न भी ऐसे ही प्रश्नों में से एक है। यहां यदि गुप्तकाल के प्रारंभ से आशय श्रीगुप्त से हो और भारत में मुस्लिम शासन का युग 1206 ई. (गुलाम वंश की स्थापना) से माना जाए, तो अभीष्ट विकल्प (a) होगा। इसी प्रकार कथन 3 को सही और कथन 4 को गलत मानने पर अभीष्ट विकल्प (c) होगा।