गुप्त एवं गुप्तोत्तर युग (UPPCS)

Total Questions: 50

21. गुप्त सम्राट, जिसने 'हूणों' को पराजित किया, थे - [53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011]

Correct Answer: (c) स्कंदगुप्त
Solution:हूणों का पहला भारतीय आक्रमण गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त के शासनकाल में हुआ तथा स्कंदगुप्त के हाथों वे बुरी तरह परास्त हुए। यह आक्रमण एक धावा मात्र रहा और देश के ऊपर इसका कोई तात्कालिक प्रभाव नहीं पड़ा; किंतु परोक्ष रूप से इसने गुप्त साम्राज्य के पतन की गति को तेज कर दिया। स्कंदगुप्त की मृत्यु के बाद 5वीं शताब्दी ई. के अंत तथा छठी शताब्दी ई. के प्रारंभ में उत्तर-पश्चिम के कई क्षेत्रों पर हूणों ने कब्जा कर लिया था।

22. इनमें से किस गुप्त शासक ने हूणों को पराजित किया था? [U.P. Lower (Pre) 2015]

Correct Answer: (d) स्कंदगुप्त
Solution:हूणों का पहला भारतीय आक्रमण गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त के शासनकाल में हुआ तथा स्कंदगुप्त के हाथों वे बुरी तरह परास्त हुए। यह आक्रमण एक धावा मात्र रहा और देश के ऊपर इसका कोई तात्कालिक प्रभाव नहीं पड़ा; किंतु परोक्ष रूप से इसने गुप्त साम्राज्य के पतन की गति को तेज कर दिया। स्कंदगुप्त की मृत्यु के बाद 5वीं शताब्दी ई. के अंत तथा छठी शताब्दी ई. के प्रारंभ में उत्तर-पश्चिम के कई क्षेत्रों पर हूणों ने कब्जा कर लिया था।

23. किस अभिलेख से ज्ञात होता है कि स्कंदगुप्त ने हूणों को पराजित किया था? [U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]

Correct Answer: (a) भितरी स्तंभ-लेख
Solution:उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सैदपुर तहसील में भितरी नामक स्थान से भितरी स्तंभ-लेख मिलता है। इसमें पुष्यमित्रों और हूणों के साथ स्कंदगुप्त के युद्ध का वर्णन मिलता है। उल्लेखनीय है कि हूणों का पहला भारतीय आक्रमण गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त के शासनकाल में हुआ, जिसमें वे स्कंदगुप्त से बुरी तरह पराजित हुए थे।

24. गुप्त साम्राज्य के पतन के विभिन्न कारण थे। निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कारण नहीं था? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (d) अरब आक्रमण
Solution:गुप्त साम्राज्य के पतन के प्रश्नगत कारणों में से अरबों का भारत पर आक्रमण इसके लिए उत्तरदायी नहीं था। भारत पर अरब आक्रमण गुप्तों के पतन के बहुत बाद पूर्व-मध्यकाल में हुआ था।

25. 'शक-विजेता' किसे जाना जाता है? [U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010]

Correct Answer: (c) चंद्रगुप्त द्वितीय
Solution:गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य को 'शक विजेता' कहा गया है। पश्चिम भारत के अंतिम शक राजा रुद्रसिंह III को चंद्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' ने परास्त कर पश्चिमी भारत से शक सत्ता का उन्मूलन किया था। शकों को हराने के कारण चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की एक अन्य उपाधि 'शकारि' भी है। उसने इस उपलक्ष्य में चांदी के सिक्के भी चलाए।

26. रजत सिक्के जारी करने वाला प्रथम गुप्त शासक था- [U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl) (Mains) 2010]

Correct Answer: (c) चंद्रगुप्त द्वितीय
Solution:रजत सिक्के जारी करने वाला प्रथम गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' था, जिसको गुप्त काल में 'रुप्यक' (रूपक) कहा जाता था। चंद्रगुप्त द्वितीय ने शक मुद्राओं के ही अनुकरण पर रजत मुद्राओं को उत्कीर्ण करवाया। इस प्रकार विकल्प (c) सही उत्तर है।

27. चंद्रगुप्त-II के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? [U.P. P.C.S. (Pre) 2022]

1. शक विजय के संदर्भ में सबसे सबल प्रमाण इस नरेश की रजत मुद्राएं हैं।

2. इन मुद्राओं की तौल लगभग 33 ग्रेन हुआ करती थी।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए -

कूट :

Correct Answer: (a) 1 तथा 2 दोनों
Solution:शक विजय के उपरांत चंद्रगुप्त-II ने शकों के अनुकरण पर पहली बार रजत मुद्राओं को प्रचलित किया था। इन मुद्राओं का वजन सामान्यतः 30 से 33 ग्रेन तक होता था। अतः प्रश्नगत दोनों कथन सही हैं।

28. शकों पर विजयोपरांत चंद्रगुप्त द्वितीय ने निम्न में से किस धातु के सिक्के प्रचलित किए? [M.P. P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (b) चांदी
Solution:शक विजय के उपरांत चंद्रगुप्त-II ने शकों के अनुकरण पर पहली बार रजत मुद्राओं को प्रचलित किया था। इन मुद्राओं का वजन सामान्यतः 30 से 33 ग्रेन तक होता था। अतः प्रश्नगत दोनों कथन सही हैं।

29. प्रसिद्ध चीनी यात्री फाह्यान ने किसके शासनकाल में भारत की यात्रा की ? [63rd B.P.S.C. (Pre) 2017]

Correct Answer: (b) चंद्रगुप्त II
Solution:चंद्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' के शासनकाल में चीनी यात्री फाह्यान ने भारत के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया।

30. चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपनी पुत्री प्रभावती का विवाह किस राजवंश में कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाया? [Raj. P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (c) वाकाटक वंश
Solution:चंद्रगुप्त द्वितीय ने 'नाग' राजकुमारी कुबेरनागा से विवाह किया, जिससे प्रभावती गुप्ता नामक पुत्री पैदा हुई। प्रभावती का विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन द्वितीय से हुआ। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपनी पुत्री का विवाह वाकाटक वंश में करके अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाया।