1. प्रथम शती ईस्वी में विभिन्न प्रकार के विशिष्ट शल्य औजारों का उपयोग आम था।
2. तीसरी शती ईस्वी के आरंभ में मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रत्यारोपण शुरू हो चुका था।
3. पांचवीं शती ईस्वी में कोण के ज्या का सिद्धांत ज्ञात था।
4. सातवीं शती ईस्वी में चक्रीय चतुर्भुज का सिद्धांत ज्ञात था।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए :
Correct Answer: (c) केवल 1, 3 और 4
Solution:'प्राचीन काल' वैज्ञानिक प्रगति के संदर्भ में उल्लेखनीय रहा है। इस काल में प्रथम शताब्दी ईस्वी तक शल्य क्रिया में काम आने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग होता था; किंतु उस काल या उसके बाद अंग प्रत्यारोपण संभव नहीं हो सका था। गुप्त काल में गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई। 5वीं शती ई. तक भारत में त्रिकोणमिति में ज्या (Sine), कोज्या (Cosine) और उत्क्रम ज्या (Inverse Sine) के सिद्धांत ज्ञात हो चुके थे। 'सूर्य सिद्धांत' और 'आर्यभट्टीयम' में इनका उल्लेख है। सातवीं शती ई. में ब्रह्मगुप्त द्वारा चक्रीय चतुर्भुज के सिद्धांत का वर्णन मिलता है।