ऐतिहासिक परिदृश्य (छत्तीसगढ़)

Total Questions: 3

1. राजनांदगांव जिला का 'चितवा डोंगरी' क्यों प्रसिद्ध है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2016]

Correct Answer: (c) प्रागैतिहासिक शैलचित्रों
Solution:चितवा डोंगरी' प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान में स्थल बालोद जिले में है। इन शैलचित्रों के आधार पर छत्तीसगढ़ में सभ्यता का विकास पूर्व पाषाण युग से होना माना गया है। 'चितवा डोंगरी' के अलावा रायगढ़ जिले के सिंघनपुर क्षेत्र में कबरा पहाड़ से भी प्रागैतिहासिक शैलचित्र पाए गए हैं|

2. छत्तीसगढ़ में चितवा डोंगरी के शैलचित्रों की खोज सर्वप्रथम किसने की थी? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2020]

Correct Answer: (b) भगवानसिंह बघेल एवं रमेन्द्रनाथ मिश्र
Solution:छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित चितवा डोंगरी पहाड़ों में प्रागैतिहासिक शैलचित्र पाए गए हैं। इनकी खोज सर्वप्रथम भगवानसिंह बघेल एवं रमेन्द्रनाथ मिश्र ने की। इन शैलचित्रों के आधार पर छत्तीसगढ़ में सभ्यता का विकास पूर्व पाषाण युग में होना माना जाता है।

3. सीताबेंगरा के गुफा में निर्मित नाट्यशाला स्थित है- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2018]

Correct Answer: (b) रामगढ़ में
Solution:

सीताबेंगरा गुफ़ा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 280 किलोमीटर दूर रामगढ़ में स्थित है। अंबिकापुर- बिलासपुर मार्ग पर स्थित रामगढ़ के जंगल में तीन कमरों वाली यह गुफ़ा देश की सबसे पुरानी नाटयशाला है। सीताबेंगरा गुफ़ा पत्थरों में ही गैलरीनुमा काट कर बनाई गयी है। यह गुफ़ा प्रसिद्ध जोगीमारा गुफ़ा के नजदीक ही स्थित है। सीताबेंगरा गुफ़ा का महत्त्व इसके नाट्यशाला होने से है। माना जाता है कि यह एशिया की अति प्राचीन नाट्यशाला है। इसमें कलाकारों के लिए मंच निचाई पर और दर्शक दीर्घा ऊँचाई पर है। प्रांगन 45 फुट लंबा और 15 फुट चौडा है। इस नाट्यशाला का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना गया है, क्यूँकि पास ही जोगीमारा गुफ़ा की दीवार पर सम्राट अशोक के काल का एक लेख उत्कीर्ण है। ऐसे गुफ़ा केन्द्रों का मनोरंजन के लिए प्रयोग प्राचीन काल में होता था।