जनजातियां एवं उनकी गतिविधियां (झारखंड)

Total Questions: 28

11. संथालों में विवाह का सबसे सामान्य रूप कौन-सा है? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2016]

Correct Answer: (d) बुपला
Solution:संथालों में विवाह को 'बापला' (बुपला) कहा जाता है। बापला कई प्रकार के होते हैं; जैसे- सदय बापला, सेता बापला, गोंग बोलो बापला, किरिंग बापला आदि। संथालों में वर पक्ष की ओर से वधू पक्ष को दिया जाने वाला वधू-मूल्य 'पोन' कहलाता है। शादियां तोड़ी भी जा सकती हैं। इस मामले में स्त्री-पुरुष दोनों को समान अधिकार प्राप्त हैं। 'बिटलाहा' संथाल समाज में सबसे कठोर सजा है। यह एक प्रकार का सामाजिक बहिष्कार है। संथाल गांव (आतो) का प्रधान 'मांझी' कहलाता है। मांझी ही गांव के न्यायिक, प्रशासनिक एवं अन्य क्रियाविधि का प्रमुख होता है। मांझी की सहायता के लिए अन्य सदस्य भी होते हैं।

12. संथालों में गांव के प्रधान को क्या कहते हैं?

Correct Answer: (d) मांझी
Solution:संथालों में विवाह को 'बापला' (बुपला) कहा जाता है। बापला कई प्रकार के होते हैं; जैसे- सदय बापला, सेता बापला, गोंग बोलो बापला, किरिंग बापला आदि। संथालों में वर पक्ष की ओर से वधू पक्ष को दिया जाने वाला वधू-मूल्य 'पोन' कहलाता है। शादियां तोड़ी भी जा सकती हैं। इस मामले में स्त्री-पुरुष दोनों को समान अधिकार प्राप्त हैं। 'बिटलाहा' संथाल समाज में सबसे कठोर सजा है। यह एक प्रकार का सामाजिक बहिष्कार है। संथाल गांव (आतो) का प्रधान 'मांझी' कहलाता है। मांझी ही गांव के न्यायिक, प्रशासनिक एवं अन्य क्रियाविधि का प्रमुख होता है। मांझी की सहायता के लिए अन्य सदस्य भी होते हैं।

13. 'बिरहोर' का शाब्दिक अर्थ क्या है? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2013]

Correct Answer: (a) जंगल का आदमी
Solution:'बिरहोर' का शाब्दिक अर्थ 'जंगल का आदमी' होता है।

14. ..............आदिवासियों का निवास स्थान 'टंडा' के नाम से जाना जाता है। [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) बिरहोर
Solution:'बिरहोर' शंकुलाकार कुंबा (झोपड़ी) बनाकर रहते हैं। यह झोपड़ी वृदा की शाखाओं तथा पत्तियों द्वारा बनाई जाती है। इनका कुंबा दो कतारों में बना होता है। दो कुंबा के बीच भी पर्याप्त खाली स्थान होता है, जहां बैठकर वे रस्सी बाटने अथवा काठ की वस्तुएं बनाते रहते हैं। एक स्थान पर लगभग 10-15 परिवार तक अपना-अपना कुंबा बनाकर रहते हैं, जिसे 'टंडा' कहते हैं। 'टंडा' में कभी-कभी झोपड़ियां बिखरी भी होती हैं। 'टंडा' का एक प्रधान होता है, जो 'मुखिया' कहलाता है।

15. प्रारंभिक काल में इनमें से कौन मुंडा जनजाति के भूईहरी-पहड़ा के अधिकारी नहीं थे? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2016]

Correct Answer: (d) पाट-मुंडा
Solution:खुंटकट्टी क्षेत्र में पहड़ा पंचायत में केवल अध्यक्ष (जो पाट-मुंडा कहलाता था) को छोड़कर न कोई स्थायी अधिकारी थे और न कोई स्थायी अंग था, जबकि दूसरे प्रकार की पंचायत भूईंहारी पहड़ा में स्थायी अध्यक्ष के साथ स्थायी अंग, राजा और स्थायी अधिकारियों का वर्ग जैसे कुवर, लाल, ठाकुर, कारता, दीवान, ओहदार, कोतवार आदि थे। अतः स्पष्ट है कि पाट-मुंडा भूईंहारी-पहड़ा के अधिकारी नहीं थे।

16. प्रारंभिक काल में महतो के कार्यभार से पहले उरांव ग्रामों का पुरोहिती एवं लौकिक प्रधान कौन था? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2016]

Correct Answer: (b) बैगा
Solution:प्रारंभिक काल में महतो के कार्यभार से पहले उरांव ग्रामों का पुरोहिती एवं लौकिक प्रधान 'बैगा' होता था। उरांव भारत के विभिन्न प्रदेशों के साथ-साथ बांग्लादेश में निवास करते हैं। इनकी अधिकांश आबादी झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र में निवास करती है।

17. हिल खड़िया समाज, पंचायत से बड़ी संस्था को क्या कहता है? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2023]

Correct Answer: (b) चीरा
Solution:पहाड़ पर रहने वाली 'हिल खड़िया' जनजाति के समाज की पंचायत से बड़ी संस्था को 'चीरा' कहते हैं, जो कई गांवों की देहरी को मिलाकर बनता है।

18. निम्नलिखित में से किस पर्व में पहाड़ी खड़िया की आर्थिक स्थिति उजागर होती है? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2021]

Correct Answer: (b) फागो
Solution:पहाड़ी खड़ियाओं के यहां 'फागो' (Phago) त्योहार उनकी आर्थिक स्थिति को स्पष्ट करता है। इस त्योहार को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक का संबंध शिकार से संस्कारों से होता है और दूसरे का मौसम के विभिन्न फलों, सब्जियों तथा अन्य खाद्य वस्तुओं के संस्कार से होता है। इनका दूसरा सार्वजनिक तथा व्यक्तिगत त्योहार जेथ-नवा-खिया (Jeth-Nava-Khiya) है, जिसका शहद-संग्रह (Honey-gathering) तथा झूम के संस्कारों से संबंध है।

19. मुंडा मानकी व्यवस्था को किस अंग्रेज पदाधिकारी ने मंजूरी दिया था? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2016]

Correct Answer: (d) थॉमस विलकिसन
Solution:मुंडा मानकी व्यवस्था झारखंड में आदिवासियों की पारंपरिक शासन व्यवस्था है। झारखंड में यह व्यवस्था ब्रिटिश शासन से पहले मौजूद है। मुंडा मानकी व्यवस्था को अंग्रेज अधिकारी थॉमस विलकिसन ने मान्यता प्रदान की थी।

20. कौन-सा कथन ढोकलो सोहर महा समिति के लिए सही नहीं है? [Jharkhand P.C.S. (Pre), 2016]

Correct Answer: (b) पंचायती राज का समर्थन किया
Solution:ढोकलो सोहर महा समिति ने पंचायती राज का विरोध किया है तथा अपनी जातीय प्रथा का समर्थन किया है। इसी कारण पंचायती राज चुनाव का भी उन्होंने विरोध किया। इसने मुंडा-मांकी व्यवस्था को स्वीकार किया।