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शिल्पकार और व्यापारी अपने-अपने जो संगठन बनाते थे, उन्हें 'श्रेणी' कहते थे। वे साथ-साथ रहते हुए इतने घुल-मिल गए थे, कि एक जाति के रूप में समझे जाने लगे थे।
सैद्धांतिक रूप से 4 वर्ण थे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। इन चारों से अलग एक पांचवां वर्ग अछूतों का था, जिनके काम को नीचा समझा जाता था। इन्हें समाज में अन्य वर्गों की भांति सम्मान प्राप्त नहीं था।
धर्मशास्त्रकारों ने उच्च वर्गों के आचरण के लिए नियम बनाए। इन नियमों के अनुसार जीवन को चार अवस्थाओं या आश्रमों में बांटा गया था।
महाजनपद काल के सिक्के तांबे या चांदी के अनगढ़ टुकड़े होते थे, और इन पर चिह्न पंच किए जाते थे।
गंगाघाटी में पैदा की गई चीजें पंजाब के उस पार तक्षशिला भेजी जाती थीं या विंध्य पर्वत के पार भृगुकच्छ (भड़ौच) के बंदरगाह को भेजी जाती थीं। जहां से जहाजों द्वारा वस्तुओं को पश्चिम एशिया और दक्षिण भारत तक ले जाया जाता था।
आरंभ में शिल्प केंद्र ऐसे गांव थे जहां धातुकर्म, बढ़ईगीरी या बुनाई जैसे शिल्प ज्यादा विकसित थे। जब आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले शिल्पकार या कारीगर एकत्र हो गए तो उनकी बस्ती धीरे-धीरे शहर में बदल गई।
कथन 1- धातुकर्मकार राजा से धन प्राप्त करके औजार बनाते थे।
कथन 2- शहरों में अधिकारी कर को वस्तु के रूप में या नकद रूप में वसूल करता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
धातुकर्मकार राजा के लिए मुफ्त औजार बनाते थे। महाजनपद काल में कर का बड़ा महत्व था। इसलिए कर वसूल करने वाले अधिकारियों का एक दल नियुक्त किया जाता था, जो कि ग्रामों से पैदा होने वाले अनाज का छठां हिस्सा कर के रूप में प्राप्त करते थे। इसी प्रकार शहरों में भी कर वसूल करने वाला अधिकारी, कर को वस्तु के रूप में या नकद रूप में वसूल करता था।
450 ई.पू. के लगभग पाणिनी ने अपनी पुस्तक में 22 जनपदों का उल्लेख किया है। ये जनपद उत्तर भारत, अफगानिस्तान तथा उसके पड़ोस में मध्य एशिया तक विस्तृत थे। जैसे-पंचाल, शूरसेन, आदि ये इलाके जनपद कहलाते थे।
कथन 1- गणराज्यों में शक्ति चुने हुए व्यक्ति के अथवा किसी चुने हुए मुखिया के हाथ में रहती थी।
कथन 2- गणराज्य में वंशानुगत राजा होता था।
गणराज्य ऐसा शासन होता था, जिसमें शक्ति परिवारों और कलों के प्रमुखों, कुछ चुने हुए व्यक्तियों के अथवा किसी चुने हुए मुखिया के हाथ में रहती थी। इस प्रकार कथन (1) सत्य है। गणराज्य में कोई वंशानुगत राजा नहीं होता था। अतः कथन 2 असत्य है।
1. प्राचीन गणराज्यों में क्षत्रिय परिवार भूमि के मालिक होते थे।
2. इनका राजनीतिक सत्ता पर अधिकार था
3. कबीलों की सभाओं में इनका प्रतिनिधित्व था उपर्युक्त में से सत्य कथन की पहचान करें।
प्राचीन गणराज्यों में क्षत्रिय परिवार भूमि के मालिक होते थे। इन्हें कबीलों की सभाओं में प्रतिनिधित्व के साथ-साथ राजनीतिक सत्ता भी प्राप्त थी। अतः सभी कथन सत्य हैं।