जल संरक्षण

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1. निम्नलिखित झीलों में से किसको अभी हाल में राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (a) भीमताल
Solution:पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने जून, 2001 में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना की शुरुआत की थी। 31 दिसंबर, 2009 तक इस परियोजना में 14 राज्यों की कुल 58 झीलों के संरक्षण हेतु स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसमें प्रश्न में दी गई झीलों में से भीमताल और ऊटी शामिल हैं। इन दोनों में ऊटी इस परियोजना के प्रारंभिक चरण से ही शामिल थी। अतः स्पष्ट है कि प्रश्नकाल में इसमें भीमताल झील को शामिल किया गया था। राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना के तहत मार्च, 2023 तक की अद्यतन स्थिति के अनुसार, कुछ प्रमुख झीलें निम्नवत हैं-
झीलसंबंधित स्थल व उनके राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश
डल झीलश्रीनगर/जम्मू व कश्मीर
चन्ना पटना झीलहासन/कर्नाटक
सागर, रानी तालाब, शिवपुरी झीलमध्य प्रदेश
पोवई झीलमहाराष्ट्र
पुष्कर झीलअजमेरराजस्थान
पिछोला झीलउदयपुर
नक्की झीलमाउंट आबू
ऊटी, कोडइकनालतमिलनाडु
भीमताल, खुरपाताल, नैनीतालउत्तराखंड
मानसी गंगा झीलमथुरा (गोवर्धन)उत्तर प्रदेश
रामगढ़ तालगोरखपुर
लक्ष्मी तालझांसी

2. निम्नलिखित में से कौन-सी वाटरशेड विकास परियोजना भारत की केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित है, जिसका उद्देश्य, ग्रामीण आबादी को पानी के संरक्षण के लिए सक्षम बनाना है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (b) हरियाली
Solution:वर्ष 2003 में वाटरशेड विकास परियोजना के तहत हरियाली योजना शुरू की गई थी। इसके तहत, ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल, सिंचाई, मत्स्यपालन और वनीकरण हेतु जल संरक्षण का कार्य शामिल है। इस योजना को पंचायती राज संस्थाओं द्वारा लोगों के योगदान से लागू किया गया।

3. मरुस्थल क्षेत्रों में जल हास को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा/से पर्ण रूपांतरण होता है/होते हैं? [I.A.S. (Pre) 2013]

1. कठोर एवं मोमी पर्ण

2. लघु पर्ण अथवा पर्णहीनता

3. पर्ण की जगह कांटे

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

Correct Answer: (d) 1, 2 और 3
Solution:
रेगिस्तानी पौधों की पत्तियां पतली, मोमी उपत्वचा और रेजिन सतह वाली होती हैं। बहुत अधिक संख्या में पौधों की पत्तियां जल-हानि को रोकने के लिए प्रायः कांटों में बदल जाती हैं। कांटेदार सतह वाष्पोत्सर्जन को कम करने में सहायक होती है। पत्तियों पर बाल जैसे रेशे हवा की हलचल और सूर्य की गर्मी से होने वाले वाष्पोत्सर्जन में कमी करते हैं। अधिकतर रेगिस्तानी पौधे छोटे और मुड़ी हुई पत्तियों वाले होते हैं, जिससे सतही क्षेत्रफल कम होने से वाष्पोत्सर्जन द्वारा होने वाली जल की हानि कम होती है। पत्तियों में बहुत छोटे-छोटे असंख्य छिद्र (रंध्र) होते हैं, जो पौधे की जड़ों द्वारा अवशोषित जल की अतिरिक्त मात्रा को धीरे-धीरे वातावरण में छोड़ते रहते हैं। यदि पत्तियां कांटों में नहीं बदलती हैं, तो रंध्र पत्ती के नीचे की सतह पर बहुत अंदर की ओर चले जाते हैं, ताकि जल हानि न हो सके।

4. प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के अंतर्गत जिन शहरी क्षेत्रों में पड़ने वाले जलमग्न भूमि को चुना गया है, वे हैं- [U.P.P.C.S. (Mains) 2002]

सूची-Iसूची-II
1. भोजमध्य प्रदेश
2. सुखनाचंडीगढ़
3. चिल्काओडिशा
4. पिछोलाराजस्थान

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए-

Correct Answer: (d) 1, 2 तथा 4
Solution:प्रश्नगत झीलों में प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना (National Lake Conservation Plan-NLCP) के तहत चुनी गई शहरी क्षेत्रों में पड़ने वाली जलमग्न भूमियां इन झीलों की हैं-भोज (मध्य प्रदेश), सुखना (चंडीगढ़) एवं पिछोला (राजस्थान)। ओडिशा की चिल्का झील इसमें सम्मिलित नहीं है। ध्यातव्य है कि NLCP के अंतर्गत ओडिशा की बिंदुसागर झील भी शामिल है।