1. जैन-दर्शन दो मुख्य सिद्धांतों के इर्द-गिर्द घूमता है। अर्थात अनेकांतवाद और स्यादवाद।
2. अनेकांतवाद के अनुसार, प्रत्येक प्राणी में कई गुण होते हैं। वह स्थायी गुण जो किसी वस्तु की प्रकृति का निर्माण करता है, गुण कहलाता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा कथन सही है?
Correct Answer: (c) 1 और 2 दोनों
Solution:जैन दर्शन के दो मुख्य सिद्धांत हैं-अनेकांतवाद तथा स्यादवाद। अनेकांतवाद जैन दर्शन के तत्वशास्त्र से संबंधित है, जबकि स्यादवाद जैन दर्शन के प्रमाणशास्त्र से जुड़ा है। सत्ता की दृष्टि से जैन-दर्शन जिसे अनेकांतवाद की संज्ञा प्रदान करता है, उसे ही ज्ञान की दृष्टि से स्यादवाद की संज्ञा देता है। अनेकांतवाद के अनुसार, प्रत्येक वस्तु या प्राणी के दो पक्ष होते हैं- नित्यता और अनित्यता। इसके अनुसार वस्तुओं/प्राणियों के अनंत गुण हैं। इनमें कुछ गुण अनित्य अर्थात अस्थायी हैं तथा कुछ गुण नित्य अर्थात स्थायी हैं। नित्य गुण वे हैं जो वस्तुओं में निरंतर विद्यमान रहते हैं। इसके विपरीत अनित्य गुण वे हैं जो निरंतर परिवर्तित होते रहते हैं। अतः नित्य गुण वस्तु/प्राणी के स्वरूप या प्रकृति को निर्धारित करते हैं, इसलिए उन्हें आवश्यक गुण भी कहते हैं। जैन आवश्यक गुण को जो वस्तु के स्वरूप को निर्धारित करते हैं, गुण (Attribute) कहते हैं तथा अनावश्यक गुण को पर्याय (Modes) कहते हैं। गुण अपरिवर्तनशील होते हैं, जबकि पर्याय परिवर्तनशील होते हैं।