Correct Answer: (c) सम्मेद शिखर
Solution:पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे, जिनका जन्म वाराणसी में महावीर स्वामी से 250 वर्ष पहले हुआ था। काशी के शासक इक्ष्वाकुवंशी अश्वसेन उनके पिता थे तथा महारानी वामा उनकी माता। 30 वर्ष की आयु के बाद उन्होंने गृह त्याग कर अपना जीवन वैराग्य और तपश्चर्या में लगाया। वाराणसी के निकट आश्रमपद उद्यान में समाधिस्थ होकर कठिन तपस्या करने के उपरांत उन्हें 84वें दिन 'कैवल्य' (ज्ञान) प्राप्त हुआ। पार्श्वनाथ का परिनिर्वाण सम्मेत शिखर (सम्मेद पर्वत) पर हुआ था, इसी कारण यह जैन सिद्ध क्षेत्र माना जाता है।