जैव विविधता एवं संकटापन्न जातियां

Total Questions: 17

11. कौन-सी ड्रग गिद्धों की समष्टि में हास के लिए उत्तरदायी है? [U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]

Correct Answer: (c) डिक्लोफिनेक सोडियम
Solution:डिक्लोफिनेक सोडियम एक साधारण-सी दर्द निवारक दवा है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा पशुओं के लिए दर्द निवारक के रूप में एवं बुखार के इलाज में किया जाता है। दरअसल जब डिक्लोफिनेक सोडियम के उपयोग के दौरान पशु मर जाता है और उसी मरे हुए पशु का मांस गिद्ध एक बार भी खा लेता है, तो कुछ हफ्तों के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। इस दवा के कुप्रभाव का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 10 वर्षों के भीतर भारत, नेपाल और पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर गिद्धों की मौत हो चुकी है।

12. भारत में गिद्धों की तेजी से घटती जनसंख्या का मुख्य कारण है- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (a) डिक्लोफिनेक दवा का अत्यधिक प्रयोग
Solution:डिक्लोफिनेक सोडियम एक साधारण-सी दर्द निवारक दवा है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा पशुओं के लिए दर्द निवारक के रूप में एवं बुखार के इलाज में किया जाता है। दरअसल जब डिक्लोफिनेक सोडियम के उपयोग के दौरान पशु मर जाता है और उसी मरे हुए पशु का मांस गिद्ध एक बार भी खा लेता है, तो कुछ हफ्तों के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। इस दवा के कुप्रभाव का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 10 वर्षों के भीतर भारत, नेपाल और पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर गिद्धों की मौत हो चुकी है।

13. पशुओं को दिया जाने वाला कौन-सा दर्द निवारक भारत में गिद्धों के लगभग विलुप्त होने के लिए उत्तरदायी है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (d) डिक्लोफिनेक
Solution:डिक्लोफिनेक सोडियम एक साधारण-सी दर्द निवारक दवा है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा पशुओं के लिए दर्द निवारक के रूप में एवं बुखार के इलाज में किया जाता है। दरअसल जब डिक्लोफिनेक सोडियम के उपयोग के दौरान पशु मर जाता है और उसी मरे हुए पशु का मांस गिद्ध एक बार भी खा लेता है, तो कुछ हफ्तों के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। इस दवा के कुप्रभाव का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 10 वर्षों के भीतर भारत, नेपाल और पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर गिद्धों की मौत हो चुकी है।

14. भारत में गिद्धों की कमी का अत्यधिक प्रमुख कारण है- [U.P.P.C.S. Re.Exam (Pre) 2015]

Correct Answer: (c) जानवरों को दर्द निवारक देना
Solution:डिक्लोफिनेक सोडियम एक साधारण-सी दर्द निवारक दवा है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा पशुओं के लिए दर्द निवारक के रूप में एवं बुखार के इलाज में किया जाता है। दरअसल जब डिक्लोफिनेक सोडियम के उपयोग के दौरान पशु मर जाता है और उसी मरे हुए पशु का मांस गिद्ध एक बार भी खा लेता है, तो कुछ हफ्तों के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। इस दवा के कुप्रभाव का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 10 वर्षों के भीतर भारत, नेपाल और पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर गिद्धों की मौत हो चुकी है।

15. कुछ वर्ष पहले तक गिद्ध भारतीय देहातों में आमतौर से दिखाई देते थे, किंतु आजकल कभी-कभार ही नजर आते हैं। इस स्थिति के लिए उत्तरदायी है- [I.A.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (b) गोपशु मालिकों द्वारा रुग्ण पशुओं के उपचार हेतु प्रयुक्त एक औषधि
Solution:डिक्लोफिनेक सोडियम एक साधारण-सी दर्द निवारक दवा है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा पशुओं के लिए दर्द निवारक के रूप में एवं बुखार के इलाज में किया जाता है। दरअसल जब डिक्लोफिनेक सोडियम के उपयोग के दौरान पशु मर जाता है और उसी मरे हुए पशु का मांस गिद्ध एक बार भी खा लेता है, तो कुछ हफ्तों के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। इस दवा के कुप्रभाव का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 10 वर्षों के भीतर भारत, नेपाल और पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर गिद्धों की मौत हो चुकी है।

16. बलुई और लवणीय क्षेत्र एक भारतीय पशु जाति का प्राकृतिक आवास है। उस क्षेत्र में उस पशु के कोई परभक्षी नहीं हैं, किंतु आवास ध्वंस होने के कारण उसका अस्तित्व खतरे में है। यह पशु निम्नलिखित में कौन-सा हो सकता है? [I.A.S. (Pre) 2011]

Correct Answer: (b) भारतीय वन्य गधा
Solution:कच्छ का रन भारतीय वन्य गधे का प्राकृतिक आवास है। इस क्षेत्र में इसका कोई परभक्षी नहीं है, किंतु आवास क्षेत्र के सीमित होते जाने के कारण इसका अस्तित्व खतरे में है।

17. प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा नामक पादप प्रायः क्यों समाचारों में उल्लिखित होता है? [I.A.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (b) जिस क्षेत्र में यह उगता है वहां की जैव विविधता को कम करने लगता है।
Solution:प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा मूलतः मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका एवं कैरेबियन क्षेत्र का एक छोटा झाड़ीदार पौधा है। यह पौधा भारत में 19वीं शताब्दी में लाया गया। इस पौधे को हिंदी में विलायती बबूल कहते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यह पौधा पर्यावरण के लिए हानिकारक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी जड़ें काफी गहराई तक जाती हैं और यह भूजल को बड़े पैमाने पर सोख रहा है। यह पौधा न केवल मिट्टी से जल सोखता है, बल्कि आस-पास के क्षेत्र में वायु की नमी को भी खत्म कर देता है, जिससे इसके निकट दूसरा पौधा ठीक से पनप नहीं पाता। यह पौधा वायुमंडल में विभिन्न जहरीले पदार्थों का उत्सर्जन करता है। स्पष्ट है कि यह जैव विविधता के लिए एक खतरा है।