दक्षिण भारत (चोल, चालुक्य, पल्लव एवं संगम युग) (UPPCS)

Total Questions: 50

11. किसकी प्रशासनीय प्रणाली की अद्वितीय विशेषता ग्राम स्वायत्तता का विकास थी? [M.P.P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) चोल
Solution:चोल शासन की सबसे उल्लेखनीय विशेषता वह असाधारण शक्ति तथा क्षमता है, जो स्वायत्तशासी ग्रामीण संस्थाओं के संचालन में परिलक्षित होती है। वस्तुतः इस काल में स्वायत्त शासन पूर्णतया ग्रामों में ही क्रियान्वित किया गया।

12. कुशल ग्रामीण प्रशासन के लिए प्रसिद्ध राजवंश था- [M.P.P.C.S. (Pre) 2014]

Correct Answer: (a) चोल
Solution:चोल शासन की सबसे उल्लेखनीय विशेषता वह असाधारण शक्ति तथा क्षमता है, जो स्वायत्तशासी ग्रामीण संस्थाओं के संचालन में परिलक्षित होती है। वस्तुतः इस काल में स्वायत्त शासन पूर्णतया ग्रामों में ही क्रियान्वित किया गया।

13. कौन-सा मध्यकालीन भारतीय साम्राज्य व्यापक स्तर पर स्थानीय स्वशासन के लिए प्रसिद्ध था? [66th B.P.S.C. (Pre) 2020]

Correct Answer: (b) चोल
Solution:चोल शासन की सबसे उल्लेखनीय विशेषता वह असाधारण शक्ति तथा क्षमता है, जो स्वायत्तशासी ग्रामीण संस्थाओं के संचालन में परिलक्षित होती है। वस्तुतः इस काल में स्वायत्त शासन पूर्णतया ग्रामों में ही क्रियान्वित किया गया।

14. चोलों के अधीन ग्राम प्रशासन के बहुत से ब्यौरे जिन शिलालेखों में हैं, वे कहां हैं? [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (d) उत्तर मेरूर
Solution:चोलों के अधीन ग्राम प्रशासन में ग्राम सभा की कार्यकारिणी समितियों की कार्यप्रणाली का विस्तृत विवरण हम परांतक प्रथम के उत्तर मेरूर अभिलेख से प्राप्त करते हैं। चोल काल में प्रत्येक ग्राम में अपनी सभा होती थी, जो प्रायः केंद्रीय नियंत्रण से मुक्त होकर स्वतंत्र रूप से ग्राम शासन का संचालन करती थी।

15. चोल शासकों के शासनकाल में निम्नलिखित में से कौन-सा वारियम् उद्यान प्रशासन का कार्य देखता था? [U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013]

Correct Answer: (c) टोट्ट वारियम्
Solution:चोलकालीन गांवों के गतिविधियों की देख-रेख एक कार्यकारिणी समिति करती थी, जिसे 'वारियम्' कहा जाता था। उद्यान प्रशासन का कार्य देखने वाली समिति को 'टोट्ट वारियम्' कहा जाता था, जबकि सम्वत्सर वारियम् को वार्षिक समिति, एरि वारियम् को तालाब समिति तथा पोन वारियम् को स्वर्ण समिति कहते थे।

16. निम्न कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2003]

1. चोलों ने पाण्ड्य तथा चेर शासकों को पराजित कर प्रायद्वीपीय भारत पर प्रारंभिक मध्यकालीन समय में अपना प्रभुत्व स्थापित किया।

2. चोलों ने दक्षिण-पूर्वी एशिया के शैलेंद्र साम्राज्य के विरुद्ध सैन्य चढ़ाई की तथा कुछ क्षेत्रों को जीता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (c) दोनों 1 और 2
Solution:द्रविड़ देश में चोल आधिपत्य की स्थापना वस्तुतः परांतक प्रथम ने की थी। उसने मदुरा के पाण्ड्य राजा को हराकर 'मदुरैकोंड' उपाधि धारण की। राजराज 1 के तंजौर (वर्तमान तंजावुर) अभिलेख के अनुसार, सिंहल (श्रीलंका) के राजा महेंद्र पंचम् ने पाण्ड्य, केरल (चेर) के राजाओं का एक संघ बनाया, जो चोल नरेश राजराज प्रथम के विरुद्ध था। इस संघ का भेदन करने के लिए राजराज प्रथम ने सबसे पहले चेर राज्य (केरल) पर आक्रमण किया और कंडलूर के मैदान में परास्त किया। राजराज I एवं उसके पुत्र राजेंद्र I ने दक्षिणी-पूर्वी एशिया के शैलेंद्र साम्राज्य के विरुद्ध सैन्य चढ़ाई की तथा कुछ क्षेत्रों को जीत लिया। अतः दोनों कथन सही हैं।

17. चोल काल में निर्मित नटराज की कांस्य प्रतिमाओं में देवाकृति प्रायः - [I.A.S. (Pre) 1995]

Correct Answer: (c) चतुर्भुज है
Solution:चोल कलाकारों ने तक्षण कला में भी सफलता प्राप्त की है। उन्होंने पत्थर तथा धातु की बहुसंख्यक मूर्तियों का निर्माण किया। पाषाण मूर्तियों से भी अधिक धातु (कांस्य) मूर्तियों का निर्माण हुआ। सर्वाधिक सुंदर मूर्तियां नटराज (शिव) की हैं, जो बड़ी संख्या में मिली हैं। इन्हें विश्व की श्रेष्ठतम प्रतिमा-रचनाओं में शामिल किया जाता है। ये मूर्तियां प्रायः चतुर्भुज हैं।

18. निम्नलिखित में से किसको दक्षिण भारत के विशेषकर चोल युग के स्थापत्यों की विश्व में श्रेष्ठतम प्रतिमा-रचना माना जाता है? [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (b) नटराज
Solution:चोल कलाकारों ने तक्षण कला में भी सफलता प्राप्त की है। उन्होंने पत्थर तथा धातु की बहुसंख्यक मूर्तियों का निर्माण किया। पाषाण मूर्तियों से भी अधिक धातु (कांस्य) मूर्तियों का निर्माण हुआ। सर्वाधिक सुंदर मूर्तियां नटराज (शिव) की हैं, जो बड़ी संख्या में मिली हैं। इन्हें विश्व की श्रेष्ठतम प्रतिमा-रचनाओं में शामिल किया जाता है। ये मूर्तियां प्रायः चतुर्भुज हैं।

19. चोल शासकों के समय में बनी हुई प्रतिमाओं में सबसे अधिक विख्यात हुईं - [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (d) नटराज शिव की कांसे की प्रतिमाएं
Solution:चोल कलाकारों ने तक्षण कला में भी सफलता प्राप्त की है। उन्होंने पत्थर तथा धातु की बहुसंख्यक मूर्तियों का निर्माण किया। पाषाण मूर्तियों से भी अधिक धातु (कांस्य) मूर्तियों का निर्माण हुआ। सर्वाधिक सुंदर मूर्तियां नटराज (शिव) की हैं, जो बड़ी संख्या में मिली हैं। इन्हें विश्व की श्रेष्ठतम प्रतिमा-रचनाओं में शामिल किया जाता है। ये मूर्तियां प्रायः चतुर्भुज हैं।

20. नटराज की प्रसिद्ध कांस्य मूर्ति किस कला का उदाहरण है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (a) चोल कला का
Solution:चोल कलाकारों ने तक्षण कला में भी सफलता प्राप्त की है। उन्होंने पत्थर तथा धातु की बहुसंख्यक मूर्तियों का निर्माण किया। पाषाण मूर्तियों से भी अधिक धातु (कांस्य) मूर्तियों का निर्माण हुआ। सर्वाधिक सुंदर मूर्तियां नटराज (शिव) की हैं, जो बड़ी संख्या में मिली हैं। इन्हें विश्व की श्रेष्ठतम प्रतिमा-रचनाओं में शामिल किया जाता है। ये मूर्तियां प्रायः चतुर्भुज हैं।