दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड परीक्षा, 2022 PGT कंप्यूटर विज्ञान (पुरूष) 21-11-2022 (Shift – II)

Total Questions: 100

91. 'नकुल' का पर्याय है।

Correct Answer: (c) नेवला
Solution:'नकुल' का पर्यायवाची शब्द 'नेवला' पुत्र, बेटा होता है। जबकि अन्य विकल्प असंगत हैं।

92. निम्न में से स्त्रीलिंग शब्द है।

Correct Answer: (c) अचकन
Solution:दिए गए विकल्पों में 'अचकन' स्त्रीलिंग शब्द है, जबकि 'धनिया', वनवास और 'मुकुट' पुल्लिंग शब्द हैं।

93. 'पुरुषोत्तम' में है।

Correct Answer: (b) अधिकरण तत्पुरुष समास
Solution:'पुरुषोत्तम' का समास विग्रह इसमें अधिकरण 'तत्पुरुष समास' है। 'पुरुषों में उत्तम' होगा।

अधिकरण तत्पुरुष समास- अधिकरण कारक के चिह्न 'में, पर'

के लोप से बनने वाले समास को अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-

समास  -  समास विग्रह

कवि श्रेष्ठ  -  कवियों में श्रेष्ठ

आपबीती  -  आप पर बीती

94. निम्न में से कौन-सा विलोम युग्म असुमेलित है।

Correct Answer: (b) समृद्धि - विपत्ति
Solution:विकल्पानुसार विकल्प विलोम (b) युग्म असुमेलित है। 'समृद्धि' का विलोम शब्द 'विनाश' तथा 'विपत्ति' का विलोम 'सुखद' होगा।

95. 'घूँघट' का तत्सम शब्द निम्न में से है।

Correct Answer: (d) गुंठन
Solution:'घूँघट' का तत्सम शब्द 'गुंठन' होगा, जबकि अन्य विकल्प असंगत है।

96. निम्न में से किसे खड़ी बोली हिंदी के आदि व्यवस्थापक के रूप में मान्यता दी जाती है।

दिए गए गद्यांश को पढ़े और दिए गए प्रश्न के उत्तर दें।

द्विवेदी-युगीन गद्य का पोषण अधिकतर पत्रकारिता और निबंध-कला से हुआ है। इस युग में आकर निबंध केवल साहित्यिक शैली का निदर्शन न होकर गंभीर चिंतन का स्वतंत्र कला-माध्यम बना। उत्तरोत्तर प्रखर होती राजनैतिक चेतना जहाँ तक सीधे रूप में नियम-कानून के भीतर व्यक्त की जा सकती थी, वहाँ तक तो पत्रकारिता में उसका समावेश होता था। उससे आगे गहरे व्यंग्य और निर्भीक कटाक्ष के रूप में वह निबंध-कला में अभिव्यक्ति पाती थीं। बालमुकुंद गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, गुलाबराय, श्यामसुंदरदास इस युग के प्रमुख निबंधकार हैं। श्यामसुंदरदास की ख्याति खड़ीबोली हिंदी के आदि व्यवस्थापक के रूप में हैं।

महावीरप्रसाद द्विवेदी यदि 'सरस्वती' पत्रिका और नये लेखन के संरक्षण-संशोधन के लिए जाने जाते हैं, तो श्यामसुंदरदास विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण व्यवस्था और काशी की संस्था नागरी प्रचारिणी सभा करती थी। नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में काशी में हुई संस्थापक थे श्यामसुंदरदास, रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिवकुमार सिंह। सभा के विविध कार्यकलाप में से तीन आयोजन विशिष्ट महत्व और दूरगामी प्रभाव के सिद्ध हुए। हिंदी शब्द सागर, जिसकी प्रस्तावना रूप में हिंदी साहित्य का इतिहास संक्षिप्त रूप में लिखा गया और हिंदी भाषा का व्याकरण। इन योजनाओं के पीछे श्यामसुंदरदास का हाथ कहा जा सकता है। कोश, इतिहास और व्याकरण लेखन ने हिंदी को उसके स्वरूप का अभिज्ञात दिया, जिस प्रक्रिया में तीन अपने ढंग के विशिष्ट व्यक्त्विों का उदय हुआ कोशकार रामचंद्र वर्मा, इतिहासदास रामचंद्र शुक्ल और वैयाकरण कामताप्रसाद गुरू इनके वैदुषिक कार्यकलाप के पीछे श्यामसुंदरदास की प्रेरणा वैसे ही थी जैसे मैथिलीशरण गुप्त, प्रेमचंद और निराला की रचनात्मकता के पीछे महावीरप्रसाद द्विवेदी की।

Correct Answer: (b) श्यामसुंदरदास को
Solution:गद्यांश के अनुसार खड़ी बोली हिंदी के आदि व्यवस्थापक के रूप में श्यामसुंदरदास जी को मान्यता दी गयी है। शेष विकल्प असंगत हैं।

97. द्विवेदी युगीन निबंधकार निम्न में से नहीं है।

दिए गए गद्यांश को पढ़े और दिए गए प्रश्न के उत्तर दें।

द्विवेदी-युगीन गद्य का पोषण अधिकतर पत्रकारिता और निबंध-कला से हुआ है। इस युग में आकर निबंध केवल साहित्यिक शैली का निदर्शन न होकर गंभीर चिंतन का स्वतंत्र कला-माध्यम बना। उत्तरोत्तर प्रखर होती राजनैतिक चेतना जहाँ तक सीधे रूप में नियम-कानून के भीतर व्यक्त की जा सकती थी, वहाँ तक तो पत्रकारिता में उसका समावेश होता था। उससे आगे गहरे व्यंग्य और निर्भीक कटाक्ष के रूप में वह निबंध-कला में अभिव्यक्ति पाती थीं। बालमुकुंद गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, गुलाबराय, श्यामसुंदरदास इस युग के प्रमुख निबंधकार हैं। श्यामसुंदरदास की ख्याति खड़ीबोली हिंदी के आदि व्यवस्थापक के रूप में हैं।

महावीरप्रसाद द्विवेदी यदि 'सरस्वती' पत्रिका और नये लेखन के संरक्षण-संशोधन के लिए जाने जाते हैं, तो श्यामसुंदरदास विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण व्यवस्था और काशी की संस्था नागरी प्रचारिणी सभा करती थी। नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में काशी में हुई संस्थापक थे श्यामसुंदरदास, रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिवकुमार सिंह। सभा के विविध कार्यकलाप में से तीन आयोजन विशिष्ट महत्व और दूरगामी प्रभाव के सिद्ध हुए। हिंदी शब्द सागर, जिसकी प्रस्तावना रूप में हिंदी साहित्य का इतिहास संक्षिप्त रूप में लिखा गया और हिंदी भाषा का व्याकरण। इन योजनाओं के पीछे श्यामसुंदरदास का हाथ कहा जा सकता है। कोश, इतिहास और व्याकरण लेखन ने हिंदी को उसके स्वरूप का अभिज्ञात दिया, जिस प्रक्रिया में तीन अपने ढंग के विशिष्ट व्यक्त्विों का उदय हुआ कोशकार रामचंद्र वर्मा, इतिहासदास रामचंद्र शुक्ल और वैयाकरण कामताप्रसाद गुरू इनके वैदुषिक कार्यकलाप के पीछे श्यामसुंदरदास की प्रेरणा वैसे ही थी जैसे मैथिलीशरण गुप्त, प्रेमचंद और निराला की रचनात्मकता के पीछे महावीरप्रसाद द्विवेदी की।

Correct Answer: (c) प्रतापनारायण मिश्र
Solution:गद्यांश के अनुसार, द्विवेदी-युगीन निबंधकार गुलाब राय, माधव प्रसाद मिश्र, बालमुकुंद गुप्त तथा माधव प्रसाद मिश्र हैं। जबकी प्रतापनारायण मिश्र भारतेन्दु युग के निबंधकार है।

अतः विकल्प (c) अभीष्ट उत्तर है।

98. हिंदी भाषा और नागरी लिपि के क्षेत्र में श्यामसुंदर दास का योगदान निम्न में से किस रूप में नहीं है।

दिए गए गद्यांश को पढ़े और दिए गए प्रश्न के उत्तर दें।

द्विवेदी-युगीन गद्य का पोषण अधिकतर पत्रकारिता और निबंध-कला से हुआ है। इस युग में आकर निबंध केवल साहित्यिक शैली का निदर्शन न होकर गंभीर चिंतन का स्वतंत्र कला-माध्यम बना। उत्तरोत्तर प्रखर होती राजनैतिक चेतना जहाँ तक सीधे रूप में नियम-कानून के भीतर व्यक्त की जा सकती थी, वहाँ तक तो पत्रकारिता में उसका समावेश होता था। उससे आगे गहरे व्यंग्य और निर्भीक कटाक्ष के रूप में वह निबंध-कला में अभिव्यक्ति पाती थीं। बालमुकुंद गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, गुलाबराय, श्यामसुंदरदास इस युग के प्रमुख निबंधकार हैं। श्यामसुंदरदास की ख्याति खड़ीबोली हिंदी के आदि व्यवस्थापक के रूप में हैं।

महावीरप्रसाद द्विवेदी यदि 'सरस्वती' पत्रिका और नये लेखन के संरक्षण-संशोधन के लिए जाने जाते हैं, तो श्यामसुंदरदास विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण व्यवस्था और काशी की संस्था नागरी प्रचारिणी सभा करती थी। नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में काशी में हुई संस्थापक थे श्यामसुंदरदास, रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिवकुमार सिंह। सभा के विविध कार्यकलाप में से तीन आयोजन विशिष्ट महत्व और दूरगामी प्रभाव के सिद्ध हुए। हिंदी शब्द सागर, जिसकी प्रस्तावना रूप में हिंदी साहित्य का इतिहास संक्षिप्त रूप में लिखा गया और हिंदी भाषा का व्याकरण। इन योजनाओं के पीछे श्यामसुंदरदास का हाथ कहा जा सकता है। कोश, इतिहास और व्याकरण लेखन ने हिंदी को उसके स्वरूप का अभिज्ञात दिया, जिस प्रक्रिया में तीन अपने ढंग के विशिष्ट व्यक्त्विों का उदय हुआ कोशकार रामचंद्र वर्मा, इतिहासदास रामचंद्र शुक्ल और वैयाकरण कामताप्रसाद गुरू इनके वैदुषिक कार्यकलाप के पीछे श्यामसुंदरदास की प्रेरणा वैसे ही थी जैसे मैथिलीशरण गुप्त, प्रेमचंद और निराला की रचनात्मकता के पीछे महावीरप्रसाद द्विवेदी की।

Correct Answer: (a) सरस्वती पत्रिका के माध्यम से मैथिलीशरण गुप्त, प्रेमचंद और निराला की रचनात्मकता के प्रेरक बने।
Solution:श्यामसुंदर नागरी प्रचरिणी सभा के संस्थापक सदस्य है। हिन्दी शब्द सागर, जिसकी प्रस्तावना रूप में हिन्दी साहित्य का - इतिहास संक्षिप्त रूप में लिखा गया है। हिन्दी भाषा का व्याकरण। - इन योजनाओं के पीछे श्यामसुन्दर दास का हाथ है एवं कोशकार रामचंद्र वर्मा इतिहासकार रामचंद्र शुक्ल एवं वैयाकरण कामता प्रसाद गुरु के इनके वैदुषिक कार्य के पीछे श्यामसुन्दर दास की प्रेरणा थी।

अतः विकल्प (a) अभीष्ट उत्तर है।

99. द्विवेदी-युग में निबंध विधा में क्या परिवर्तन हुआ।

दिए गए गद्यांश को पढ़े और दिए गए प्रश्न के उत्तर दें।

द्विवेदी-युगीन गद्य का पोषण अधिकतर पत्रकारिता और निबंध-कला से हुआ है। इस युग में आकर निबंध केवल साहित्यिक शैली का निदर्शन न होकर गंभीर चिंतन का स्वतंत्र कला-माध्यम बना। उत्तरोत्तर प्रखर होती राजनैतिक चेतना जहाँ तक सीधे रूप में नियम-कानून के भीतर व्यक्त की जा सकती थी, वहाँ तक तो पत्रकारिता में उसका समावेश होता था। उससे आगे गहरे व्यंग्य और निर्भीक कटाक्ष के रूप में वह निबंध-कला में अभिव्यक्ति पाती थीं। बालमुकुंद गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, गुलाबराय, श्यामसुंदरदास इस युग के प्रमुख निबंधकार हैं। श्यामसुंदरदास की ख्याति खड़ीबोली हिंदी के आदि व्यवस्थापक के रूप में हैं।

महावीरप्रसाद द्विवेदी यदि 'सरस्वती' पत्रिका और नये लेखन के संरक्षण-संशोधन के लिए जाने जाते हैं, तो श्यामसुंदरदास विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण व्यवस्था और काशी की संस्था नागरी प्रचारिणी सभा करती थी। नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में काशी में हुई संस्थापक थे श्यामसुंदरदास, रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिवकुमार सिंह। सभा के विविध कार्यकलाप में से तीन आयोजन विशिष्ट महत्व और दूरगामी प्रभाव के सिद्ध हुए। हिंदी शब्द सागर, जिसकी प्रस्तावना रूप में हिंदी साहित्य का इतिहास संक्षिप्त रूप में लिखा गया और हिंदी भाषा का व्याकरण। इन योजनाओं के पीछे श्यामसुंदरदास का हाथ कहा जा सकता है। कोश, इतिहास और व्याकरण लेखन ने हिंदी को उसके स्वरूप का अभिज्ञात दिया, जिस प्रक्रिया में तीन अपने ढंग के विशिष्ट व्यक्त्विों का उदय हुआ कोशकार रामचंद्र वर्मा, इतिहासदास रामचंद्र शुक्ल और वैयाकरण कामताप्रसाद गुरू इनके वैदुषिक कार्यकलाप के पीछे श्यामसुंदरदास की प्रेरणा वैसे ही थी जैसे मैथिलीशरण गुप्त, प्रेमचंद और निराला की रचनात्मकता के पीछे महावीरप्रसाद द्विवेदी की।

Correct Answer: (b) यह गंभीर चिंतन का स्वतंत्र कला-माध्यम बना।
Solution:गद्यांश के अनुसार द्विवेदी युग में निबंध विधा आकर केवल साहित्यिक शैली का निदर्शन न होकर गंभीर चिंतन का स्वतंत्र कला माध्यम बनकर परिवर्तन हुआ।

100. नागरी प्रचारिणी सभा के संदर्भ में असत्य है।

दिए गए गद्यांश को पढ़े और दिए गए प्रश्न के उत्तर दें।

द्विवेदी-युगीन गद्य का पोषण अधिकतर पत्रकारिता और निबंध-कला से हुआ है। इस युग में आकर निबंध केवल साहित्यिक शैली का निदर्शन न होकर गंभीर चिंतन का स्वतंत्र कला-माध्यम बना। उत्तरोत्तर प्रखर होती राजनैतिक चेतना जहाँ तक सीधे रूप में नियम-कानून के भीतर व्यक्त की जा सकती थी, वहाँ तक तो पत्रकारिता में उसका समावेश होता था। उससे आगे गहरे व्यंग्य और निर्भीक कटाक्ष के रूप में वह निबंध-कला में अभिव्यक्ति पाती थीं। बालमुकुंद गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, गुलाबराय, श्यामसुंदरदास इस युग के प्रमुख निबंधकार हैं। श्यामसुंदरदास की ख्याति खड़ीबोली हिंदी के आदि व्यवस्थापक के रूप में हैं।

महावीरप्रसाद द्विवेदी यदि 'सरस्वती' पत्रिका और नये लेखन के संरक्षण-संशोधन के लिए जाने जाते हैं, तो श्यामसुंदरदास विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण व्यवस्था और काशी की संस्था नागरी प्रचारिणी सभा करती थी। नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में काशी में हुई संस्थापक थे श्यामसुंदरदास, रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिवकुमार सिंह। सभा के विविध कार्यकलाप में से तीन आयोजन विशिष्ट महत्व और दूरगामी प्रभाव के सिद्ध हुए। हिंदी शब्द सागर, जिसकी प्रस्तावना रूप में हिंदी साहित्य का इतिहास संक्षिप्त रूप में लिखा गया और हिंदी भाषा का व्याकरण। इन योजनाओं के पीछे श्यामसुंदरदास का हाथ कहा जा सकता है। कोश, इतिहास और व्याकरण लेखन ने हिंदी को उसके स्वरूप का अभिज्ञात दिया, जिस प्रक्रिया में तीन अपने ढंग के विशिष्ट व्यक्त्विों का उदय हुआ कोशकार रामचंद्र वर्मा, इतिहासदास रामचंद्र शुक्ल और वैयाकरण कामताप्रसाद गुरू इनके वैदुषिक कार्यकलाप के पीछे श्यामसुंदरदास की प्रेरणा वैसे ही थी जैसे मैथिलीशरण गुप्त, प्रेमचंद और निराला की रचनात्मकता के पीछे महावीरप्रसाद द्विवेदी की।

Correct Answer: (d) संस्थापक मंडल में श्यामसुंदर दास, आचार्य शुक्ल तथा रामनारायण मिश्र थे।
Solution:नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में काशी में हुई जिसके संस्थापक श्यामसुंदर दास, रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिवकुमार सिंह थे।

अतः विकल्प (d) असत्य है।