दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड परीक्षा, 2023 TGT कम्प्यूटर विज्ञान 24-06-2023 (Shift-II)

Total Questions: 100

91. 'एक दिन का आवना, दूसरे दिन अनखावना' - उक्त लोकोक्ति का प्रथम खंड अशुद्ध है। शुद्ध खंड का चयन करें।

Correct Answer: (c) एक दिन का पाहुना
Solution:दी गई लोकोक्ति के प्रथम खंड का शुद्ध रूप 'एक दिन का पाहुना' होगा।
लोकोक्ति 'एक दिन का पाहुना, दूसरे दिन अनखावना' अर्थ 'अतिथि और दामाद को सुस्वागत के बाद फिर नहीं ठहरने देना चाहिए' होगा।

92. निम्नलिखित में से कौन सा शब्द 'थकान' का पर्याय नहीं है?

Correct Answer: (b) आमाव
Solution:'थकान' शब्द का पर्याय क्लांत, श्रांति, स्थालिन, परिश्रांति इत्यादि हैं,
जबकि 'आमाव' का अर्थ व्रत का महीना होता है।

93. 'अनवेषण' शब्द के शुद्ध सन्धि-विच्छेद का चयन कीजिए।

Correct Answer: (a) अनु + एषण
Solution:'अनवेषण' शब्द के शुद्ध सन्धि-विच्छेद 'अनु + एषण' होगा।
यह यण सन्धि का उदाहरण है।

यण सन्धि:
यदि इ, ई, उ, ऊ, ऋ के बाद कोई स्वर आए, तो इ का य, ई का य, उ का व, ऊ का व, ऋ का र हो जाता है।

उदाहरण:

  • अति + आचार = अत्याचार
  • अनु + ईक्षा = अन्वीक्षा
  • देवी + आगम = देवायाम

94. दिए गए शब्दों में से शुद्ध विलोमार्थी-युग्म की पहचान करें।

Correct Answer: (d) शानदार - शर्मनाक
Solution:दिए गए शब्दों में 'शानदार - शर्मनाक' शुद्ध विलोमार्थी युग्म हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं।

95. "जो विधि के विरुद्ध है" - इस वाक्यांश के लिए एक शब्द का चयन करें।

Correct Answer: (a) अवैध
Solution:"जो विधि के विरुद्ध है" वाक्यांश के लिए एक शब्द 'अवैध' होगा।

अन्य विकल्प:

  • जो विधि के अनुकूल हो - वैज्ञानिक
  • किसी काम को पूरा करने का सामर्थ्य न रखने वाला - असम

96. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक का चयन करें।

निर्देश: 

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न के उत्तर दें।

मनुष्य उत्पन्न प्रिय होते हैं। उसका एकमात्र उद्देश्य आनंद प्राप्ति है। यह तो सभी जानते हैं कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयत्न करता रहता है। आवश्यकताओं की पूर्ति होने पर सभी को सुख होता है। वह सुख और आनंद का इस आनंद से बड़ा अंतर है। आवश्यकता आपूर्ति करने पर उससे यह प्रकट होता है कि हमें किसी बात की कमी थी। मनुष्य-जीवन ही ऐसा है कि वह किसी भी अवस्था में यह अनुभव नहीं करता कि अब उसे किसी और कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। एक के बाद दूसरी वस्तु की चिंता उसे सताती ही रहती है। इसलिए किसी एक आवश्यकता की पूर्ति से जो सुख होता है, वह अंततः बंधन ही होता है। क्योंकि दूसरी आवश्यकता उत्पन्न हो जाती है। उससे बड़ा किसी बात की आवश्यकता का अनुभव नहीं करता यह आनंद जीवन का आनंद है, बंधन नहीं। उन दिनों में जब कोई भी आवश्यकता की पूर्ति का विचार गौरव और सम्मान की बात मानी जाती है, उन दिनों में उच्छृंखलता आ जाती है, स्वच्छंदता आ जाती है। उन रोज़ हमारी दिनचर्या बिल्कुल एक प्रकार की हो जाती है। हम खाने, पीने, सोने, पहनने की चिंता से मुक्त होकर अनुभव करते हैं कि हम स्वच्छा आनंद पा रहे हैं।

Correct Answer: (b) उत्सव का महत्व
Solution:उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक 'उत्सव का महत्व' होगा।
शेष विकल्प असंगत हैं।

97. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द 'केवल' का पर्यायवाची नहीं है?

निर्देश: 

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न के उत्तर दें।

मनुष्य उत्पन्न प्रिय होते हैं। उसका एकमात्र उद्देश्य आनंद प्राप्ति है। यह तो सभी जानते हैं कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयत्न करता रहता है। आवश्यकताओं की पूर्ति होने पर सभी को सुख होता है। वह सुख और आनंद का इस आनंद से बड़ा अंतर है। आवश्यकता आपूर्ति करने पर उससे यह प्रकट होता है कि हमें किसी बात की कमी थी। मनुष्य-जीवन ही ऐसा है कि वह किसी भी अवस्था में यह अनुभव नहीं करता कि अब उसे किसी और कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। एक के बाद दूसरी वस्तु की चिंता उसे सताती ही रहती है। इसलिए किसी एक आवश्यकता की पूर्ति से जो सुख होता है, वह अंततः बंधन ही होता है। क्योंकि दूसरी आवश्यकता उत्पन्न हो जाती है। उससे बड़ा किसी बात की आवश्यकता का अनुभव नहीं करता यह आनंद जीवन का आनंद है, बंधन नहीं। उन दिनों में जब कोई भी आवश्यकता की पूर्ति का विचार गौरव और सम्मान की बात मानी जाती है, उन दिनों में उच्छृंखलता आ जाती है, स्वच्छंदता आ जाती है। उन रोज़ हमारी दिनचर्या बिल्कुल एक प्रकार की हो जाती है। हम खाने, पीने, सोने, पहनने की चिंता से मुक्त होकर अनुभव करते हैं कि हम स्वच्छा आनंद पा रहे हैं।

Correct Answer: (d) भी
Solution:दिया गया शब्द 'केवल' का पर्यायवाची निरा, सिर्फ, एकमात्र हैं, जबकि 'भी' केवल का पर्यायवाची नहीं है।

98. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द 'सम्मान' के विलोम-युग्म का चयन कीजिए।

निर्देश: 

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न के उत्तर दें।

मनुष्य उत्पन्न प्रिय होते हैं। उसका एकमात्र उद्देश्य आनंद प्राप्ति है। यह तो सभी जानते हैं कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयत्न करता रहता है। आवश्यकताओं की पूर्ति होने पर सभी को सुख होता है। वह सुख और आनंद का इस आनंद से बड़ा अंतर है। आवश्यकता आपूर्ति करने पर उससे यह प्रकट होता है कि हमें किसी बात की कमी थी। मनुष्य-जीवन ही ऐसा है कि वह किसी भी अवस्था में यह अनुभव नहीं करता कि अब उसे किसी और कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। एक के बाद दूसरी वस्तु की चिंता उसे सताती ही रहती है। इसलिए किसी एक आवश्यकता की पूर्ति से जो सुख होता है, वह अंततः बंधन ही होता है। क्योंकि दूसरी आवश्यकता उत्पन्न हो जाती है। उससे बड़ा किसी बात की आवश्यकता का अनुभव नहीं करता यह आनंद जीवन का आनंद है, बंधन नहीं। उन दिनों में जब कोई भी आवश्यकता की पूर्ति का विचार गौरव और सम्मान की बात मानी जाती है, उन दिनों में उच्छृंखलता आ जाती है, स्वच्छंदता आ जाती है। उन रोज़ हमारी दिनचर्या बिल्कुल एक प्रकार की हो जाती है। हम खाने, पीने, सोने, पहनने की चिंता से मुक्त होकर अनुभव करते हैं कि हम स्वच्छा आनंद पा रहे हैं।

Correct Answer: (b) अपमान
Solution:गद्यांश में प्रयुक्त शब्द 'सम्मान' का विलोम शब्द 'अपमान' होगा।

अन्य विकल्प:

शब्दविलोम शब्द
आदरअनादर/निरादर
इज्जतबेइज्जती

99. गद्यांश में जीवन का कौन-सा गहन तथ्य छुपा हुआ है?

निर्देश: 

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न के उत्तर दें।

मनुष्य उत्पन्न प्रिय होते हैं। उसका एकमात्र उद्देश्य आनंद प्राप्ति है। यह तो सभी जानते हैं कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयत्न करता रहता है। आवश्यकताओं की पूर्ति होने पर सभी को सुख होता है। वह सुख और आनंद का इस आनंद से बड़ा अंतर है। आवश्यकता आपूर्ति करने पर उससे यह प्रकट होता है कि हमें किसी बात की कमी थी। मनुष्य-जीवन ही ऐसा है कि वह किसी भी अवस्था में यह अनुभव नहीं करता कि अब उसे किसी और कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। एक के बाद दूसरी वस्तु की चिंता उसे सताती ही रहती है। इसलिए किसी एक आवश्यकता की पूर्ति से जो सुख होता है, वह अंततः बंधन ही होता है। क्योंकि दूसरी आवश्यकता उत्पन्न हो जाती है। उससे बड़ा किसी बात की आवश्यकता का अनुभव नहीं करता यह आनंद जीवन का आनंद है, बंधन नहीं। उन दिनों में जब कोई भी आवश्यकता की पूर्ति का विचार गौरव और सम्मान की बात मानी जाती है, उन दिनों में उच्छृंखलता आ जाती है, स्वच्छंदता आ जाती है। उन रोज़ हमारी दिनचर्या बिल्कुल एक प्रकार की हो जाती है। हम खाने, पीने, सोने, पहनने की चिंता से मुक्त होकर अनुभव करते हैं कि हम स्वच्छा आनंद पा रहे हैं।

Correct Answer: (a) उत्सव में किसी अभाव का अनुभव न होने से विशुद्ध आनंद की प्राप्ति होती है और इससे अर्थों व चिंताओं से स्वतंत्र होकर, कुछ समय के लिए, जीवन का रसास्वादन कर पाते हैं, किंतु यह आनंद तात्कालिक और स्थायी होता है मन में नई शक्ति देता है।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश में जीवन का "उत्सव में किसी अभाव का अनुभव न होने से विशुद्ध आनंद की प्राप्ति होती है और इससे अर्थों व चिंताओं से स्वतंत्र होकर, कुछ समय के लिए, जीवन का रसास्वादन कर पाते हैं, किंतु यह आनंद तात्कालिक और स्थायी होता है मन में नई शक्ति देता है" गहन तथ्य छुपा हुआ है।

अतः: विकल्प (a) सही उत्तर है।

100. निम्नलिखित में से किस वाक्य में 'क्षणिक' शब्द का उचित प्रयोग किया गया है?

निर्देश: 

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न के उत्तर दें।

मनुष्य उत्पन्न प्रिय होते हैं। उसका एकमात्र उद्देश्य आनंद प्राप्ति है। यह तो सभी जानते हैं कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयत्न करता रहता है। आवश्यकताओं की पूर्ति होने पर सभी को सुख होता है। वह सुख और आनंद का इस आनंद से बड़ा अंतर है। आवश्यकता आपूर्ति करने पर उससे यह प्रकट होता है कि हमें किसी बात की कमी थी। मनुष्य-जीवन ही ऐसा है कि वह किसी भी अवस्था में यह अनुभव नहीं करता कि अब उसे किसी और कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। एक के बाद दूसरी वस्तु की चिंता उसे सताती ही रहती है। इसलिए किसी एक आवश्यकता की पूर्ति से जो सुख होता है, वह अंततः बंधन ही होता है। क्योंकि दूसरी आवश्यकता उत्पन्न हो जाती है। उससे बड़ा किसी बात की आवश्यकता का अनुभव नहीं करता यह आनंद जीवन का आनंद है, बंधन नहीं। उन दिनों में जब कोई भी आवश्यकता की पूर्ति का विचार गौरव और सम्मान की बात मानी जाती है, उन दिनों में उच्छृंखलता आ जाती है, स्वच्छंदता आ जाती है। उन रोज़ हमारी दिनचर्या बिल्कुल एक प्रकार की हो जाती है। हम खाने, पीने, सोने, पहनने की चिंता से मुक्त होकर अनुभव करते हैं कि हम स्वच्छा आनंद पा रहे हैं।

Correct Answer: (b) एक विपत्ति क्षणिक है, चली जाएगी।
Solution:"एक विपत्ति क्षणिक है, चली जाएगी" वाक्य में क्षणिक शब्द का उचित प्रयोग किया गया है।