दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड परीक्षा, 2023 PGT बागवानी 22-06-2023 (Shift – I)

Total Questions: 100

91. हमें मिथ्या वचन नहीं बोलना चाहिए। वाक्य के रेखांकित शब्द को किस विकल्प से प्रतिस्थापित किया जा सकता है?

Correct Answer: (d) असत्य
Solution:हमें मिथ्या वचन नहीं बोलना चाहिए। वाक्य के रेखांकित शब्द को 'असत्य' शब्द से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

मिथ्या के अन्य पर्याय - झूठा, बनावटी, कृत्रिम, मृषा, अनृत - इत्यादि।

92. शुद्ध वर्तनी वाला विकल्प चुनकर वाक्य में रिक्त स्थान की पूर्ति करें -

'........ एक मधुर भाषा है।'

Correct Answer: (a) व्रजभाषा
Solution:रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए 'ब्रजभाषा' शब्द शुद्ध होगा। अतः बना वाक्य 'व्रजभाषा एक मधुर भाषा है।' होगा।

93. निम्नलिखित वाक्य में उसका प्रथम अंश संख्या (I) के रूप में दिया गया है, शेष अंशों का क्रमानुसार व्यवस्थित विकल्प चुनें -

(I) राजनीति आज

(क) शिखर तक (ख) सनी हुई है (ग) तल से लेकर (घ) झूठ में

Correct Answer: (a) ग क घ ख
Solution:दिए गए वाक्य अंशों को क्रमानुसार व्यवस्थित करने पर विकल्प (a) उपयुक्त होगा।

अतः क्रमानुसार व्यवस्थित वाक्य - 'राजनीति आज तल से लेकर शिखर तक झूठ में सनी हुई है' होगा।

94. 'पल पल परिवर्तित प्रकृति वेश' पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?

Correct Answer: (d) अनुप्रास
Solution:दी गई पंक्ति में 'अनुप्रास अलंकार' है। जहाँ किसी पंक्ति में एक ही वर्ण एक से अधिक बार आता है, वहाँ 'अनुप्रास अलंकार' होता है।

अतः उपर्युक्त पंक्ति में 'प' वर्ण की आवृत्ति हुई है।

95. छंद और मात्रा की दृष्टि से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?

Correct Answer: (a) तोमर - 14 मात्राएँ
Solution:छंद और मात्रा की दृष्टि से 'तोमर - 14 मात्राएँ' युग्म - सुमेलित नहीं है।

तोमर छंद - यह सम मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में 12 मात्राएँ होती है तथा अन्त में गुरु, लघु वर्ण होता है।

जैसे - तब चले बान कराल।

फुंकर त जनु बहु ब्याल ।।

96. गद्यांश के अनुसार 'प्रेमी प्रिय के संपूर्ण जीवन-क्रम के ......... होता है।' उपरोक्त वाक्य को पूरा कीजिये

प्रेस का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट और अज्ञात होता है; पर श्रद्धा का कारण निर्दिष्ट और ज्ञात होता है। कभी-कभी केवल एक साथ रहते-रहते दो प्राणियों में यह भाव उत्पन्न हो जाता है कि वे बराबर साथ रहे हैं; उनका साथ कभी ना छूटे। प्रेमी प्रिय के संपूर्ण जीवन-क्रम के सतत साक्षात्कार का अभिलाषी होता है। वह उसका उठना, बैठना, चलना-फिरना, सोना, खाना-पीना सब कुछ देखना चाहता है। संसार में बहुत से लोग उठते-बैठते, चलते फिरते हैं, पर सबका उठना-बैठना, चलना-फिरना उसको वैसा अच्छा नहीं लगता। प्रेमी प्रिय के जीवन को अपने जीवन से मिलाकर एक निराला मिश्रण तैयार करना चाहता है। यह दो से एक करना चाहता है। सारांश यह है कि श्रद्धा में दृष्टि पहले कर्मों पर से होती हुई श्रद्धेय तक पहुँचती है और प्रीत में प्रिय पर से होती हुई उसके कर्मों आदि पर जाती है। एक में व्यक्ति को कर्मों द्वारा मनोहरता प्राप्त होती है; दूसरे में कर्मों को व्यक्ति-द्वारा। एक में कर्म प्रधान है, दूसरे में व्यक्ति।

Correct Answer: (a) सतत साक्षात्कार का अभिलाषी
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार, प्रेमी प्रिय के संपूर्ण जीवन- क्रम के 'सतत् साक्षात्कार का अभिलाषी' होता है। वह उसका उठना, बैठना, चलना-फिरना, सोना, खाना-पीना सब कुछ देखना चाहता है।

97. गद्यांश के अनुसार 'प्रीत में किसकी प्रधानता होती है'?

प्रेस का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट और अज्ञात होता है; पर श्रद्धा का कारण निर्दिष्ट और ज्ञात होता है। कभी-कभी केवल एक साथ रहते-रहते दो प्राणियों में यह भाव उत्पन्न हो जाता है कि वे बराबर साथ रहे हैं; उनका साथ कभी ना छूटे। प्रेमी प्रिय के संपूर्ण जीवन-क्रम के सतत साक्षात्कार का अभिलाषी होता है। वह उसका उठना, बैठना, चलना-फिरना, सोना, खाना-पीना सब कुछ देखना चाहता है। संसार में बहुत से लोग उठते-बैठते, चलते फिरते हैं, पर सबका उठना-बैठना, चलना-फिरना उसको वैसा अच्छा नहीं लगता। प्रेमी प्रिय के जीवन को अपने जीवन से मिलाकर एक निराला मिश्रण तैयार करना चाहता है। यह दो से एक करना चाहता है। सारांश यह है कि श्रद्धा में दृष्टि पहले कर्मों पर से होती हुई श्रद्धेय तक पहुँचती है और प्रीत में प्रिय पर से होती हुई उसके कर्मों आदि पर जाती है। एक में व्यक्ति को कर्मों द्वारा मनोहरता प्राप्त होती है; दूसरे में कर्मों को व्यक्ति-द्वारा। एक में कर्म प्रधान है, दूसरे में व्यक्ति।

Correct Answer: (b) व्यक्ति की
Solution:उपर्युक्त गद्यांश से स्पष्ट है कि, प्रीत में 'व्यक्ति की' प्रधानता होती है।

98. किसका कारण निर्दिष्ट और ज्ञात होता है?

प्रेस का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट और अज्ञात होता है; पर श्रद्धा का कारण निर्दिष्ट और ज्ञात होता है। कभी-कभी केवल एक साथ रहते-रहते दो प्राणियों में यह भाव उत्पन्न हो जाता है कि वे बराबर साथ रहे हैं; उनका साथ कभी ना छूटे। प्रेमी प्रिय के संपूर्ण जीवन-क्रम के सतत साक्षात्कार का अभिलाषी होता है। वह उसका उठना, बैठना, चलना-फिरना, सोना, खाना-पीना सब कुछ देखना चाहता है। संसार में बहुत से लोग उठते-बैठते, चलते फिरते हैं, पर सबका उठना-बैठना, चलना-फिरना उसको वैसा अच्छा नहीं लगता। प्रेमी प्रिय के जीवन को अपने जीवन से मिलाकर एक निराला मिश्रण तैयार करना चाहता है। यह दो से एक करना चाहता है। सारांश यह है कि श्रद्धा में दृष्टि पहले कर्मों पर से होती हुई श्रद्धेय तक पहुँचती है और प्रीत में प्रिय पर से होती हुई उसके कर्मों आदि पर जाती है। एक में व्यक्ति को कर्मों द्वारा मनोहरता प्राप्त होती है; दूसरे में कर्मों को व्यक्ति-द्वारा। एक में कर्म प्रधान है, दूसरे में व्यक्ति।

Correct Answer: (c) श्रद्धा का
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार, प्रेस का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट और अज्ञात होता है, पर श्रद्धा का कारण 'निर्दिष्ट और ज्ञात' होता है।

99. निम्न में से प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक चुनें-

प्रेस का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट और अज्ञात होता है; पर श्रद्धा का कारण निर्दिष्ट और ज्ञात होता है। कभी-कभी केवल एक साथ रहते-रहते दो प्राणियों में यह भाव उत्पन्न हो जाता है कि वे बराबर साथ रहे हैं; उनका साथ कभी ना छूटे। प्रेमी प्रिय के संपूर्ण जीवन-क्रम के सतत साक्षात्कार का अभिलाषी होता है। वह उसका उठना, बैठना, चलना-फिरना, सोना, खाना-पीना सब कुछ देखना चाहता है। संसार में बहुत से लोग उठते-बैठते, चलते फिरते हैं, पर सबका उठना-बैठना, चलना-फिरना उसको वैसा अच्छा नहीं लगता। प्रेमी प्रिय के जीवन को अपने जीवन से मिलाकर एक निराला मिश्रण तैयार करना चाहता है। यह दो से एक करना चाहता है। सारांश यह है कि श्रद्धा में दृष्टि पहले कर्मों पर से होती हुई श्रद्धेय तक पहुँचती है और प्रीत में प्रिय पर से होती हुई उसके कर्मों आदि पर जाती है। एक में व्यक्ति को कर्मों द्वारा मनोहरता प्राप्त होती है; दूसरे में कर्मों को व्यक्ति-द्वारा। एक में कर्म प्रधान है, दूसरे में व्यक्ति।

Correct Answer: (b) प्रेम और श्रद्धा
Solution:प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक 'प्रेम और श्रद्धा' है।

100. गद्यांश के अनुसार 'श्रद्धा में दृष्टि पहले कर्मों पर से होती हुई किस तक पहुँचती है'?

प्रेस का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट और अज्ञात होता है; पर श्रद्धा का कारण निर्दिष्ट और ज्ञात होता है। कभी-कभी केवल एक साथ रहते-रहते दो प्राणियों में यह भाव उत्पन्न हो जाता है कि वे बराबर साथ रहे हैं; उनका साथ कभी ना छूटे। प्रेमी प्रिय के संपूर्ण जीवन-क्रम के सतत साक्षात्कार का अभिलाषी होता है। वह उसका उठना, बैठना, चलना-फिरना, सोना, खाना-पीना सब कुछ देखना चाहता है। संसार में बहुत से लोग उठते-बैठते, चलते फिरते हैं, पर सबका उठना-बैठना, चलना-फिरना उसको वैसा अच्छा नहीं लगता। प्रेमी प्रिय के जीवन को अपने जीवन से मिलाकर एक निराला मिश्रण तैयार करना चाहता है। यह दो से एक करना चाहता है। सारांश यह है कि श्रद्धा में दृष्टि पहले कर्मों पर से होती हुई श्रद्धेय तक पहुँचती है और प्रीत में प्रिय पर से होती हुई उसके कर्मों आदि पर जाती है। एक में व्यक्ति को कर्मों द्वारा मनोहरता प्राप्त होती है; दूसरे में कर्मों को व्यक्ति-द्वारा। एक में कर्म प्रधान है, दूसरे में व्यक्ति।

Correct Answer: (c) श्रद्धेय
Solution:उपर्युक्त गद्यांश से स्पष्ट है कि, श्रद्धा में दृष्टि पहले कर्मों पर से होती हुई 'श्रद्धेय' तक पहुँचती है और प्रीत में प्रिय पर से होती हुई उसके कर्मों आदि पर जाती है।