दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड परीक्षा, 2023 TGT कम्प्यूटर विज्ञान 24-06-2023 (Shift-III)

Total Questions: 100

91. दिये गए शब्दों में से ‘सुसंगत’ के विलोमार्थी शब्द की पहचान करें।

Correct Answer: (c) असंगत
Solution:दिये गये विकल्पों में से ‘सुसंगत’ का विलोमार्थी शब्द ‘असंगत’ होता है।

अतः अन्य विकल्प असंगत हैं।

92. ‘सो सुंदर मादक मदिरा सी। खंजन-दृग सुख-प्रद प्रभुता सी।’ उक्त पंक्तियाँ, निम्न में से किस अलंकार का उदाहरण हैं?

Correct Answer: (b) उपमेयालंकार
Solution:उपर्युक्त पंक्तियाँ उपमेयालंकार हैं। जो अलंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर वाक्य को चमकदार करते हैं, वे उपमेयालंकार होते हैं।

आचार्य मम्मट के अनुसार, सभी अलंकार को मुख्यतः तीन वर्गों में रखा गया है –

  1. अर्थालंकार
  2. शब्दालंकार
  3. उपमेयालंकार

93. निम्नलिखित में से किस वाक्य का प्रथम पद अशुद्ध है?

Correct Answer: (a) निरोग
Solution:दिये गये विकल्पों में ‘निरोग’ शब्द अशुद्ध है। इसका शुद्ध रूप ‘नीरोग’ होगा। अन्य विकल्प शुद्ध हैं।

94. ‘पीछे-पीछे चलने वाला’ – इस वाक्यांश के लिए उपयुक्त शब्द का चयन करें।

Correct Answer: (d) अनुगामी
Solution:दिये गये वाक्यांश ‘पीछे-पीछे चलने वाला’ के लिए एक शब्द ‘अनुगामी’ होगा। अन्य विकल्प असंगत हैं।

95. ‘मुझे ____ नहीं मिला’। निम्न में से विशेषण शब्द चुनकर उत्तर वाक्य को पूर्ण करें।

Correct Answer: (a) मौका
Solution:दिये गये वाक्य के रिक्त स्थान पर विशेषण शब्द ‘मौका’ उपयुक्त होगा, यह अरबी भाषा का शब्द है।

अतः पूर्ण वाक्य होगा – ‘मुझे मौका नहीं मिला’।

96. उपयुक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक का चयन करें।

निर्देश: (96-100)

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।

हिन्दी समालोचकों में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के बाद जिन समालोचकों का नाम बड़े आदर से लिया जाता है वह हैं आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी। उन्होंने छायावादी काव्य की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। इस काव्यधारा को प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लिखे कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं – आधुनिक साहित्य, नया साहित्य-नए प्रश्न, कवि निराला, प्रकृति और राष्ट्रीय साहित्य। वे काव्य में सौंदर्य बोधात्मक तत्वों के उद्धाटन पर विशेष बल देते हैं। कथा साहित्य और नाटक के आलोचना वह इनके प्रभावकारी पक्ष को ध्यान में रखकर करते हैं। प्रसाद जी के नाटकों को वे स्वच्छंदतावादिता तथा रहस्यात्मकता प्रिय के कारण ही महत्वपूर्ण मानते हैं।

वे तुलसी-दास को खुलकर धार्मिक स्वच्छंदतावादी समालोचक मानते हुए हिन्दी-साहित्य में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसी प्रकार, वे कबीर को निर्भीक और उग्र मत व्यक्त करने वाला कवि मानते हैं। वे भाषा को शक्ति प्रधान विचार मानते हैं और समाज सुधारक मानते हैं। कबीर की भाषा को शक्ति प्रधान विचार करते हुए वे ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहते हैं। हिन्दी-साहित्य की भूमिका, नाथ संप्रदाय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सूर्य साहित्य, कविताओं की कृतियां, आलोचना, प्रेरणाएं, मौलिक निबंधों के उजागर होते हैं। वे मानव दृष्टिकोण को मानवतावादी दृष्टिकोण मानते हैं।

Correct Answer: (d) शुक्ल परवर्ती हिन्दी आलोचना
Solution:उपयुक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक ‘शुक्ल परवर्ती हिन्दी आलोचना’ होगा।

97. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘आलोचना’ का पर्यायवाची नहीं है?

निर्देश: (96-100)

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।

हिन्दी समालोचकों में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के बाद जिन समालोचकों का नाम बड़े आदर से लिया जाता है वह हैं आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी। उन्होंने छायावादी काव्य की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। इस काव्यधारा को प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लिखे कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं – आधुनिक साहित्य, नया साहित्य-नए प्रश्न, कवि निराला, प्रकृति और राष्ट्रीय साहित्य। वे काव्य में सौंदर्य बोधात्मक तत्वों के उद्धाटन पर विशेष बल देते हैं। कथा साहित्य और नाटक के आलोचना वह इनके प्रभावकारी पक्ष को ध्यान में रखकर करते हैं। प्रसाद जी के नाटकों को वे स्वच्छंदतावादिता तथा रहस्यात्मकता प्रिय के कारण ही महत्वपूर्ण मानते हैं।

वे तुलसी-दास को खुलकर धार्मिक स्वच्छंदतावादी समालोचक मानते हुए हिन्दी-साहित्य में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसी प्रकार, वे कबीर को निर्भीक और उग्र मत व्यक्त करने वाला कवि मानते हैं। वे भाषा को शक्ति प्रधान विचार मानते हैं और समाज सुधारक मानते हैं। कबीर की भाषा को शक्ति प्रधान विचार करते हुए वे ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहते हैं। हिन्दी-साहित्य की भूमिका, नाथ संप्रदाय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सूर्य साहित्य, कविताओं की कृतियां, आलोचना, प्रेरणाएं, मौलिक निबंधों के उजागर होते हैं। वे मानव दृष्टिकोण को मानवतावादी दृष्टिकोण मानते हैं।

Correct Answer: (d) कल्पविक्रयन
Solution:उपयुक्त गद्यांश के अनुसार ‘कल्पविक्रयन’ आलोचना का पर्यायवाची नहीं है।

‘आलोचना’ के पर्यायवाची शब्द हैं – निष्कर्ष, मीमांसा, समीक्षा इत्यादि।

‘कल्पविक्रयन’ के पर्यायवाची शब्द हैं – संवाद, वार्तालाप, बातचीत इत्यादि।

98. उपयुक्त गद्यांश के अनुसार कबीर को ‘वाणी का डिक्टेटर’ किसने कहा है?

निर्देश: (96-100)

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।

हिन्दी समालोचकों में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के बाद जिन समालोचकों का नाम बड़े आदर से लिया जाता है वह हैं आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी। उन्होंने छायावादी काव्य की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। इस काव्यधारा को प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लिखे कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं – आधुनिक साहित्य, नया साहित्य-नए प्रश्न, कवि निराला, प्रकृति और राष्ट्रीय साहित्य। वे काव्य में सौंदर्य बोधात्मक तत्वों के उद्धाटन पर विशेष बल देते हैं। कथा साहित्य और नाटक के आलोचना वह इनके प्रभावकारी पक्ष को ध्यान में रखकर करते हैं। प्रसाद जी के नाटकों को वे स्वच्छंदतावादिता तथा रहस्यात्मकता प्रिय के कारण ही महत्वपूर्ण मानते हैं।

वे तुलसी-दास को खुलकर धार्मिक स्वच्छंदतावादी समालोचक मानते हुए हिन्दी-साहित्य में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसी प्रकार, वे कबीर को निर्भीक और उग्र मत व्यक्त करने वाला कवि मानते हैं। वे भाषा को शक्ति प्रधान विचार मानते हैं और समाज सुधारक मानते हैं। कबीर की भाषा को शक्ति प्रधान विचार करते हुए वे ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहते हैं। हिन्दी-साहित्य की भूमिका, नाथ संप्रदाय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सूर्य साहित्य, कविताओं की कृतियां, आलोचना, प्रेरणाएं, मौलिक निबंधों के उजागर होते हैं। वे मानव दृष्टिकोण को मानवतावादी दृष्टिकोण मानते हैं।

Correct Answer: (c) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने
Solution:उपयुक्त गद्यांश के अनुसार कबीर को वाणी का डिक्टेटर ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी’ ने कहा है।

99. ‘उजागर’ शब्द के अर्थ का चयन कीजिये।

निर्देश: (96-100)

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।

हिन्दी समालोचकों में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के बाद जिन समालोचकों का नाम बड़े आदर से लिया जाता है वह हैं आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी। उन्होंने छायावादी काव्य की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। इस काव्यधारा को प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लिखे कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं – आधुनिक साहित्य, नया साहित्य-नए प्रश्न, कवि निराला, प्रकृति और राष्ट्रीय साहित्य। वे काव्य में सौंदर्य बोधात्मक तत्वों के उद्धाटन पर विशेष बल देते हैं। कथा साहित्य और नाटक के आलोचना वह इनके प्रभावकारी पक्ष को ध्यान में रखकर करते हैं। प्रसाद जी के नाटकों को वे स्वच्छंदतावादिता तथा रहस्यात्मकता प्रिय के कारण ही महत्वपूर्ण मानते हैं।

वे तुलसी-दास को खुलकर धार्मिक स्वच्छंदतावादी समालोचक मानते हुए हिन्दी-साहित्य में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसी प्रकार, वे कबीर को निर्भीक और उग्र मत व्यक्त करने वाला कवि मानते हैं। वे भाषा को शक्ति प्रधान विचार मानते हैं और समाज सुधारक मानते हैं। कबीर की भाषा को शक्ति प्रधान विचार करते हुए वे ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहते हैं। हिन्दी-साहित्य की भूमिका, नाथ संप्रदाय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सूर्य साहित्य, कविताओं की कृतियां, आलोचना, प्रेरणाएं, मौलिक निबंधों के उजागर होते हैं। वे मानव दृष्टिकोण को मानवतावादी दृष्टिकोण मानते हैं।

Correct Answer: (c) प्रकट
Solution:दिये गये शब्द ‘उजागर’ का अर्थ ‘प्रकट’ है। अन्य विकल्प असंगत हैं।

100. गद्यांश के अनुसार नन्ददुलारे वाजपेयी किस वर्ग के आलोचक हैं?

निर्देश: (96-100)

दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।

हिन्दी समालोचकों में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के बाद जिन समालोचकों का नाम बड़े आदर से लिया जाता है वह हैं आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी। उन्होंने छायावादी काव्य की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। इस काव्यधारा को प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लिखे कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं – आधुनिक साहित्य, नया साहित्य-नए प्रश्न, कवि निराला, प्रकृति और राष्ट्रीय साहित्य। वे काव्य में सौंदर्य बोधात्मक तत्वों के उद्धाटन पर विशेष बल देते हैं। कथा साहित्य और नाटक के आलोचना वह इनके प्रभावकारी पक्ष को ध्यान में रखकर करते हैं। प्रसाद जी के नाटकों को वे स्वच्छंदतावादिता तथा रहस्यात्मकता प्रिय के कारण ही महत्वपूर्ण मानते हैं।

वे तुलसी-दास को खुलकर धार्मिक स्वच्छंदतावादी समालोचक मानते हुए हिन्दी-साहित्य में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसी प्रकार, वे कबीर को निर्भीक और उग्र मत व्यक्त करने वाला कवि मानते हैं। वे भाषा को शक्ति प्रधान विचार मानते हैं और समाज सुधारक मानते हैं। कबीर की भाषा को शक्ति प्रधान विचार करते हुए वे ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहते हैं। हिन्दी-साहित्य की भूमिका, नाथ संप्रदाय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सूर्य साहित्य, कविताओं की कृतियां, आलोचना, प्रेरणाएं, मौलिक निबंधों के उजागर होते हैं। वे मानव दृष्टिकोण को मानवतावादी दृष्टिकोण मानते हैं।

Correct Answer: (b) छायावाद के समर्थक
Solution:उपयुक्त गद्यांश के अनुसार नन्ददुलारे वाजपेयी मूलतः छायावादी एवं स्वच्छंदतावादी समीक्षक के रूप में हिन्दी समीक्षा में प्रतिष्ठित हुए हैं।