निर्देश: (96-100)
दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।
हिन्दी समालोचकों में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के बाद जिन समालोचकों का नाम बड़े आदर से लिया जाता है वह हैं आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी। उन्होंने छायावादी काव्य की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। इस काव्यधारा को प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लिखे कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं – आधुनिक साहित्य, नया साहित्य-नए प्रश्न, कवि निराला, प्रकृति और राष्ट्रीय साहित्य। वे काव्य में सौंदर्य बोधात्मक तत्वों के उद्धाटन पर विशेष बल देते हैं। कथा साहित्य और नाटक के आलोचना वह इनके प्रभावकारी पक्ष को ध्यान में रखकर करते हैं। प्रसाद जी के नाटकों को वे स्वच्छंदतावादिता तथा रहस्यात्मकता प्रिय के कारण ही महत्वपूर्ण मानते हैं।
वे तुलसी-दास को खुलकर धार्मिक स्वच्छंदतावादी समालोचक मानते हुए हिन्दी-साहित्य में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसी प्रकार, वे कबीर को निर्भीक और उग्र मत व्यक्त करने वाला कवि मानते हैं। वे भाषा को शक्ति प्रधान विचार मानते हैं और समाज सुधारक मानते हैं। कबीर की भाषा को शक्ति प्रधान विचार करते हुए वे ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहते हैं। हिन्दी-साहित्य की भूमिका, नाथ संप्रदाय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सूर्य साहित्य, कविताओं की कृतियां, आलोचना, प्रेरणाएं, मौलिक निबंधों के उजागर होते हैं। वे मानव दृष्टिकोण को मानवतावादी दृष्टिकोण मानते हैं।
Correct Answer: (d) शुक्ल परवर्ती हिन्दी आलोचना
Solution:उपयुक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक ‘शुक्ल परवर्ती हिन्दी आलोचना’ होगा।