दिल्ली सल्तनत : गुलाम वंश (UPPCS)

Total Questions: 37

21. किसके शासनकाल में मंगोल प्रथम बार सिंधु के तट पर देखे गए? [U.P.P.S.C. (GIC) 2010]

Correct Answer: (b) इल्तुतमिश
Note:

मंगोल नेता चंगेज खां भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर इल्तुतमिश के शासनकाल में आया था। चंगेज खां के प्रकोप से रक्षार्थ ख्वारिज्म शाह का पुत्र जलालुद्दीन मंगबरनी सिंधु नदी तक पहुंचा था संभवतः चंगेज खां ने इल्तुतमिश के पास अपने दूत भेजे थे कि वह मंगबरनी की सहायता न करे, अतः इल्तुतमिश ने उसकी कोई सहायता न की और जब मंगबरनी 1224 ई. में भारत से चला गया, तो इस समस्या का समाधान हो गया।

22. चंगेज खां के अधीन मंगोलों ने भारत पर आक्रमण किया- [I.A.S. (Pre) 2001 Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (c) इल्तुतमिश के शासनकाल में
Note:

मंगोल नेता चंगेज खां भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर इल्तुतमिश के शासनकाल में आया था। चंगेज खां के प्रकोप से रक्षार्थ ख्वारिज्म शाह का पुत्र जलालुद्दीन मंगबरनी सिंधु नदी तक पहुंचा था संभवतः चंगेज खां ने इल्तुतमिश के पास अपने दूत भेजे थे कि वह मंगबरनी की सहायता न करे, अतः इल्तुतमिश ने उसकी कोई सहायता न की और जब मंगबरनी 1224 ई. में भारत से चला गया, तो इस समस्या का समाधान हो गया।

23. चंगेज खां का मूल नाम था- [U.P. P.C.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (c) तेमुचिन
Note:

चंगेज खां एक मंगोल शासक था, जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। चंगेज खां का वास्तविक या प्रारंभिक नाम तेमुजिन (या तेमुचिन) था।

 

24. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [1.A.S. (Pre) 2021]

1. इल्तुतमिश के शासनकाल में, चंगेज खां भगोड़े ख्वारिज्म युवराज की खोज में सिंधु नदी तक पहुंचा था।

2. मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में, तैमूर ने मुल्तान पर अधिकार किया था और सिंधु नदी पार की थी।

3. विजयनगर साम्राज्य के देवराय द्वितीय के शासनकाल में, वास्को द गामा केरल के तट पर पहुंचा था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा कौन-से सही है/हैं?

 

Correct Answer: (a) केवल 1
Note:

इल्तुतमिश के शासनकाल में भारत के तुर्की राज्य को मंगोलों के आक्रमण की संभावना से एक महान संकट उत्पन्न हुआ। इल्तुतमिश के शासनकाल में मंगोल शासक चंगेज खान भगोड़े ख्वारिज्म युवराज जलालुद्दीन मांगबर्नी का पीछा करते हुए सिंधु नदी तक पहुंचा था।

अतः कथन (1) सत्य है। 1398 ई. में तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया था। तैमूर ने नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में मुल्तान पर अधिकार करके सिंधु नदी पार की थी। इस प्रकार तैमूर के आक्रमण के समय दिल्ली का सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद था, न कि मुहम्मद बिन तुगलक। अतः कथन (2) असत्य है।

विजयनगर साम्राज्य के देवराय द्वितीय के शासनकाल में ईरान का राजदूत अब्दुर्रज्जाक विजयनगर आया था। 1498 ई. में पुर्तगाल का यात्री वास्को द गामा केरल के तट पर पहुंचा था। उस समय विजयनगर पर 'नरसा नायक' के पुत्र 'तिम्मा' का शासन था। अतः कथन (3) असत्य है।

 

25. इल्तुतमिश ने बिहार में अपना प्रथम सूबेदार नियुक्त किया था? [48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]

Correct Answer: (d) मलिक जानी
Note:

इल्तुतमिश ने बिहार शरीफ एवं बाढ़ पर अधिकार कर राजमहल की पहाड़ियों में तेलियागढ़ी के समीप हिसामुद्दीन ऐवाज को पराजित किया। ऐवाज ने इल्तुतमिश की अधीनता स्वीकार कर ली। इल्तुतमिश ने ऐवाज के स्थान पर मलिक जानी को बिहार का सूबेदार नियुक्त किया।

 

26. रजिया बेगम को सत्ताच्युत करने में किसका हाथ था? [U. P. Lower Sub. (Pre) 2004]

Correct Answer: (c) तुर्कों का
Note:

रजिया बेगम को सत्ताच्युत करने में तुर्कों का हाथ था। उन्होंने भटिंडा के गवर्नर मलिक अल्तूनिया के नेतृत्व में रजिया के विरुद्ध विद्रोह कर उसे सत्ता से हटाया था।

 

27. दिल्ली के सुल्तान बलबन का पूरा नाम बलबन था। [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2004]

Correct Answer: (c) गयासुद्दीन
Note:

सुल्तान बलबन का पूरा नाम गयासुद्दीन बलबन था। बलबन ने 1266 से 1286 ई. तक सुल्तान के रूप में सल्तनत की बागडोर संभाली। उसे उलुग खां के नाम से भी जाना जाता है। उसका वास्तविक नाम बहाउद्दीन था। इल्तुतमिश की भांति वह भी इल्बरी जनजाति का तुर्क था।

28. दिल्ली के किस सुल्तान के विषय में कहा गया है कि उसने "रक्त और लौह" की नीति अपनाई थी? [U. P. P. C. S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (b) बलबन
Note:

बलबन के विषय में कहा गया है कि उसने 'रक्त और लौह" की नीति अपनाई थी। बलबन के राजत्व सिद्धांत की दो मुख्य विशेषताएं थीं : प्रथम, सुल्तान का पद ईश्वर के द्वारा प्रदत्त होता है और द्वितीय, सुल्तान का निरंकुश होना आवश्यक है। उसके अनुसार "सुल्तान पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि (नियामत-ए-खुदाई) है और उसका स्थान पैगंबर के पश्चात है। सुल्तान को कार्य करने की प्रेरणा और शक्ति ईश्वर से प्राप्त होती है। इस कारण जनसाधारण या सरदारों को उसके कार्यों की आलोचना का अधिकार नहीं है।"

 

29. किस दिल्ली सुल्तान ने 'रक्त एवं लौह' की नीति अपनाई ? [66th B.P.S.C. (Pre) 2020]

Correct Answer: (b) बलबन
Note:

बलबन के विषय में कहा गया है कि उसने 'रक्त और लौह" की नीति अपनाई थी। बलबन के राजत्व सिद्धांत की दो मुख्य विशेषताएं थीं : प्रथम, सुल्तान का पद ईश्वर के द्वारा प्रदत्त होता है और द्वितीय, सुल्तान का निरंकुश होना आवश्यक है। उसके अनुसार "सुल्तान पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि (नियामत-ए-खुदाई) है और उसका स्थान पैगंबर के पश्चात है। सुल्तान को कार्य करने की प्रेरणा और शक्ति ईश्वर से प्राप्त होती है। इस कारण जनसाधारण या सरदारों को उसके कार्यों की आलोचना का अधिकार नहीं है।"

 

30. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं, एक को कथन (A) और दूसरे को कारण (R) कहा गया है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2013]

कथन (A): बलबन ने अपने शासन को शक्तिशाली बनाया और सारी सत्ता अपने हाथ में केंद्रित कर ली।

कारण (R) : वह उत्तर-पश्चिम सीमा को मंगोल आक्रमण से सुरक्षित करना चाहता था।

 

Correct Answer: (b) (A) और (R) दोनों सही हैं; किंतु (A) की समुचित व्याख्या (R) नहीं है।
Note:

गयासुद्दीन बलबन, दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश का शासक था, इसने 1266 से 1286 ई. तक शासन किया था। इसने सुल्तान के पद को दैवीय घोषित कर सारी सत्ता अपने हाथ में केंद्रित कर ली थी। इसने 'सिजदा' व 'पैबोस' प्रथा की शुरुआत भी की थी। बलबन ने मंगोलों के आक्रमण की रोकथाम करने के उद्देश्य से उत्तर-पश्चिम सीमा पर सुदृढ़ दुर्गों का निर्माण कराया था। इस प्रकार कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं; परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।