दिल्ली सल्तनत (मध्यकालीन भारतीय इतिहास) (भाग-II)

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21. .......................दिल्ली सल्तनत के शाही दरबार में एक महत्वपूर्ण पद था और उसकी भूमिका सभी विभागों के एक सामान्य पर्यवेक्षक की थी [C.P.O.S.L. (T-I) 11 नवंबर, 2022 (III-पाली)]

Correct Answer: (b) दीवान-ए-विजारत
Solution:दीवान-ए-विजारत (Diwan-i-Wizarat) दिल्ली सल्तनत के अधीन वित्त विभाग था और यह सबसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक विभाग था। इसका प्रमुख वजीर (Wazir) होता था, जो सुल्तान के बाद सबसे उच्च पदस्थ अधिकारी था। वजीर की भूमिका केवल वित्तीय मामलों तक ही सीमित नहीं थी; वह राज्य के सभी विभागों का सामान्य पर्यवेक्षक (General Supervisor) होता था।

वजीर राजस्व संग्रह, व्यय नियंत्रण, और प्रशासनिक संरचना के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार था, जिससे वह सुल्तान के प्रमुख सलाहकार के रूप में कार्य करता था।

22. दिल्ली सल्तनत प्रशासन के संदर्भ में, राज्य पत्राचार विभाग को निम्न में से किस नाम से जाना जाता था? [CGL (T-I) 18 अप्रैल, 2022 (III-पाली)]

Correct Answer: (a) दीवान-ए-इंशा
Solution:
विभागकार्यविधियां
1. दीवान-ए-इंशासरकारी पत्र व्यवहार से संबंधित
2. दीवान-ए-अर्जसैन्य विभाग से संबंधित
3. दीवान-ए-रसलतधार्मिक मुद्दों से संबंधित/विदेशी मामलों की देख-रेख से संबंधित
4. दीवान-ए-खैरातदान विभाग

23. निम्नलिखित में से कौन-सा कर दिल्ली सल्तनत की भूराजस्व (कृषि भूमि पर कर) प्रणाली से संबंधित था? [दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 20 नवंबर, 2023 (I-पाली)]

Correct Answer: (d) खराज
Solution:खराज (Kharaj) दिल्ली सल्तनत की भूराजस्व (कृषि भूमि पर कर) प्रणाली से संबंधित था। यह मुख्य रूप से गैर-मुस्लिम किसानों की भूमि पर लगाया जाने वाला कर था, हालांकि यह शब्द कृषि उपज पर लगने वाले किसी भी कर को संदर्भित कर सकता था।

अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में, भूराजस्व की दर उपज का 50 प्रतिशत तक पहुँच गई थी, जो इसे किसानों पर लगने वाला सबसे भारी कर बनाता था। सल्तनत काल में भूराजस्व राज्य की आय का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत था।

24. शुरुआती दौर में दिल्ली के सुल्तान खरीदे गए अपने विशेष दासों को सैन्य सेवा के लिए (प्रशासन में) नियुक्त करना पसंद करते थे, जिन्हें ....... भाषा में बंदगान कहा जाता था। [दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 1 दिसंबर, 2023 (II-पाली)]

Correct Answer: (c) फारसी
Solution:शुरुआती दौर में दिल्ली के सुल्तान खरीदे गए अपने विशेष दासों को सैन्य सेवा और प्रशासन में नियुक्त करना पसंद करते थे, जिन्हें फारसी भाषा में बंदगान (Bandagan) कहा जाता था।

मामलुक (गुलाम) सुल्तान जैसे कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश खुद बंदगान थे। इन दासों को राजनीतिक और सैन्य मामलों में प्रशिक्षित किया जाता था और ये अपने मालिकों के प्रति अत्यधिक वफादार होते थे, जिससे सुल्तान उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक उच्च पदों पर नियुक्त कर सकते थे।

25. तारीख-ए-मुबारकशाही दिल्ली सल्तनत का फारसी भाषा का इतिहास है, इसके लेखक कौन थे? [C.P.O.S.I. (T-I) 10 नवंबर, 2022 (II-पाली)]

Correct Answer: (a) याहिया बिन अहमद सरहिंदी
Solution:तारीख-ए-मुबारकशाही (Tarikh-i-Mubarak Shahi) के लेखक याहिया बिन अहमद सरहिंदी (Yahya bin Ahmad Sirhindi) थे। यह फारसी भाषा में लिखा गया एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथ है, जो सैय्यद वंश के इतिहास को समझने का मुख्य स्रोत है।

यह कृति मुहम्मद गोरी के समय से लेकर सैय्यद वंश के शासक मुबारक शाह के शासनकाल तक के इतिहास का वर्णन करती है। याहिया बिन अहमद सरहिंदी समकालीन घटनाओं का वर्णन करने वाले एकमात्र इतिहासकार थे जो सैय्यद काल में जीवित थे।

26. निम्नलिखित इतिहासकारों में से किसने अपना पहला इतिवृत्त (chronicle) 1356 में लिखा था? [दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 29 नवंबर, 2023 (II-पाली)]

Correct Answer: (c) जियाउद्दीन बरनी
Solution:इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने अपना पहला इतिवृत्त (सबसे प्रसिद्ध कृति) 'तारीख-ए-फ़िरोजशाही' लगभग 1356 ईस्वी में पूरा किया था।

यह कृति गयासुद्दीन बलबन के शासनकाल से शुरू होकर फ़िरोज शाह तुगलक के शासनकाल के शुरुआती वर्षों (लगभग 1356 ई.) तक दिल्ली सल्तनत का विस्तृत इतिहास प्रदान करती है। बरनी मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोज शाह तुगलक के समकालीन थे और उन्होंने अपनी कृति में राजनीतिक घटनाओं के साथ-साथ तत्कालीन सामाजिक और नैतिक स्थितियों का भी विश्लेषण किया है।