पाषाण काल

Total Questions: 48

1. रॉबर्ट ब्रूस फुट थे, एक- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]

Correct Answer: (e) (a & b)
Solution:इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, रॉबर्ट ब्रूस फुट ब्रिटिश भूगर्भ-वैज्ञानिक और पुरातत्वविद् थे। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से संबद्ध रॉबर्ट ब्रूस फुट ने 1863 ई. में भारत में पाषाणकालीन बस्तियों के अन्वेषण की शुरुआत की। अतः स्पष्ट है कि इस प्रश्न का उत्तर विकल्प (a) और (b) दोनों ही हो सकते हैं।

2. कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषाण, कांस्य और लौह युग का त्रियुगीय विभाजन किया था- [U.P. P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (a) थॉमसन ने
Solution:डेनमार्क के कोपेनहेगन संग्रहालय में 1818 ई. और 1820 ई. में एक आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सामग्री के आधार पर पाषाण, कांस्य और लौह युग का त्रियुगीय विभाजन क्रिश्चियन जर्गेनसन थॉमसन ने किया था। यद्यपि थॉमसन ने 1836 ई. में इसी वर्गीकरण के अनुसार, संग्रहालय की वस्तुओं का विवरण प्रकाशित किया था।

3. भारतीय इतिहास के संदर्भ में, अलेक्जेंडर री, ए.एच. लॉन्गहर्स्ट, रॉबर्ट स्वेल, जेम्स बर्गेस और वाल्टर इलियट किस गतिविधि से जुड़े थे? [I.A.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (a) पुरातात्विक उत्खनन
Solution:अलेक्जेंडर री, ए.एच. लॉन्गहर्स्ट, रॉबर्ट स्वेल, जेम्स बर्गेस और वाल्टर व इलियट पुरातात्विक उत्खनन के लिए प्रसिद्ध थे। जिन्होंने मुख्य रूप से दक्षिण भारत के इतिहास के क्षेत्र में काम किया था।

4. उत्खनित प्रमाणों के अनुसार, पशुपालन का प्रारंभ हुआ था- [U.P.P.C.S. (Mains) 2006]

Correct Answer: (d) मध्यपाषाण काल में
Solution:मध्यपाषाण काल के अंतिम चरण में पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त होने लगते हैं। ऐसे पशुपालन के साक्ष्य भारत में आदमगढ़ (नर्मदापुरम, म.प्र.) तथा बागोर (भीलवाड़ा, राजस्थान) से मिले हैं।

5. मध्यपाषाणिक प्रसंग में पशुपालन के प्रमाण जहां मिले, वह स्थान है- [U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2008]

Correct Answer: (c) आदमगढ़
Solution:मध्यपाषाण काल के अंतिम चरण में पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त होने लगते हैं। ऐसे पशुपालन के साक्ष्य भारत में आदमगढ़ (नर्मदापुरम, म.प्र.) तथा बागोर (भीलवाड़ा, राजस्थान) से मिले हैं।

6. निम्नलिखित में से किस स्थल से हड्डी के उपकरण प्राप्त हुए हैं? [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Correct Answer: (e) (c&d)
Solution:मध्यपाषाणकालीन महदहा (उ.प्र. के प्रतापगढ़ जिले में स्थित) से बड़ी मात्रा में हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण प्राप्त हुए हैं। जी.आर. शर्मा महदहा में तीन क्षेत्रों का उल्लेख करते हैं, जो झील क्षेत्र, बूचड़खाना संकुल क्षेत्र एवं कब्रिस्तान निवास क्षेत्र में बंटा था। बूचड़खाना संकुल क्षेत्र से ही हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण एवं आभूषण बड़े पैमाने पर पाए गए हैं। सराय नाहर राय से भी अल्प मात्रा में हड्डी के उपकरण मिले हैं।

7. हड्डी से निर्मित आभूषण भारत में मध्यपाषाण काल के संदर्भ में प्राप्त हुए हैं- [U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013]

Correct Answer: (e) (a&b)
Solution:मध्यपाषाणकालीन महदहा (उ.प्र. के प्रतापगढ़ जिले में स्थित) से बड़ी मात्रा में हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण प्राप्त हुए हैं। जी.आर. शर्मा महदहा में तीन क्षेत्रों का उल्लेख करते हैं, जो झील क्षेत्र, बूचड़खाना संकुल क्षेत्र एवं कब्रिस्तान निवास क्षेत्र में बंटा था। बूचड़खाना संकुल क्षेत्र से ही हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण एवं आभूषण बड़े पैमाने पर पाए गए हैं। सराय नाहर राय से भी अल्प मात्रा में हड्डी के उपकरण मिले हैं।

8. निम्नलिखित मध्यपाषाणिक स्थलों को भौगोलिक दृष्टि से पश्चिम से पूर्व के क्रम में व्यवस्थित करें- [U.P.R.O/A.R.O (Mains) 2021]

1.पैसरा                        2.  लेखहिया

3.बीरभानपुर               4.महदहा

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-

 

Correct Answer: (c) 4, 2, 1 और 3
Solution:भौगोलिक दृष्टि से पश्चिम से पूर्व के क्रम में मध्यपाषाणिक स्थल है महदहा (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश), लेखहिया (मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश), पैसरा (बिहार) एवं बीरभानपुर (पश्चिम बंगाल)।

9. एक ही कब्र से तीन मानव कंकाल निकले हैं- [U.P.P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (b) दमदमा से
Solution:उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित सराय नाहर राय, महदहा तथा दमदमा का उत्खनन हुआ है। दमदमा में लगातार पांच वर्षों तक किए गए उत्खनन के फलस्वरूप पश्चिमी तथा मध्यवर्ती क्षेत्रों से कुल मिलाकर 41 मानव शवाधान ज्ञात हुए हैं। इन शवाधानों में से 5 शवाधान युग्म-शवाधान हैं और एक शवाधान में 3 मानव कंकाल एक साथ मिले हैं। शेष शवाधानों में एक-एक कंकाल मिले हैं।

10. खाद्यान्नों की कृषि सर्वप्रथम प्रारंभ हुई थी - [U.P.P.C.S. (Mains) 2005]

Correct Answer: (a) नवपाषाण काल में
Solution:खाद्यान्नों का उत्पादन सर्वप्रथम नवपाषाण काल में हुआ। यही वह समय है, जब मनुष्य कृषि कर्म से परिचित हुआ।