प्राचीन साहित्य एवं साहित्यकार (UPPCS) (Part-2)

Total Questions: 30

11. 'जो यहां है वह अन्यत्र भी है, जो यहां नहीं है वह कहीं नहीं है' यह निम्न में से किस ग्रंथ में कहा गया है? [U.P. P.C.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (b) महाभारत
Solution:महाभारत में उपर्युक्त कथन का उद्धरण मिलता है।

12. प्राचीन भारत का वह ग्रंथ जिसका 15 भारतीय एवं चालीस विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992 & Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) पंचतंत्र
Solution:प्राचीन भारतीय पुस्तक पंचतंत्र (मूलतः संस्कृत में रचित) का पंद्रह भारतीय और चालीस विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ। इसके मूल लेखक विष्णु शर्मा माने जाते हैं। रूडगर्टन के अनुसार, पंचतंत्र के 50 से अधिक भाषाओं में 200 से अधिक स्वरूप उपलब्ध हैं। यह भारत की सर्वाधिक बार अनुवादित साहित्यिक पुस्तक मानी जाती है। मुगल काल में पंचतंत्र का फारसी अनुवाद 'आयर-ए-दानिश' (अबुल फजल द्वारा) शीर्षक के तहत कराया गया था।

13. पंचतंत्र' मूल रूप से लिखी गई- [M.P.P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (b) विष्णु शर्मा द्वारा
Solution:प्राचीन भारतीय पुस्तक पंचतंत्र (मूलतः संस्कृत में रचित) का पंद्रह भारतीय और चालीस विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ। इसके मूल लेखक विष्णु शर्मा माने जाते हैं। रूडगर्टन के अनुसार, पंचतंत्र के 50 से अधिक भाषाओं में 200 से अधिक स्वरूप उपलब्ध हैं। यह भारत की सर्वाधिक बार अनुवादित साहित्यिक पुस्तक मानी जाती है। मुगल काल में पंचतंत्र का फारसी अनुवाद 'आयर-ए-दानिश' (अबुल फजल द्वारा) शीर्षक के तहत कराया गया था।

14. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सही उत्तर का चयन सूचियों के नीचे दिए गए कूट से कीजिए- [U.P. P.C.S. (Spl.) (Pre) 2003 & U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2002]

सूची-I (लेखक)सूची-II (ग्रंथ)
A. सर्ववर्मा1. मिताक्षरा
B. शूद्रक2. राजतरंगिणी
C. विज्ञानेश्वर3. मृच्छकटिकम
D. कल्हण4. कातंत्र

कूट :

Correct Answer: (b)
Solution:सही सुमेलन इस प्रकार है -
लेखकग्रंथ
सर्ववर्माकातंत्र
शूद्रकमृच्छकटिकम
विज्ञानेश्वरमिताक्षरा
कल्हणराजतरंगिणी

15. प्राचीन भारत के इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है। हैं? [I.A.S. (Pre) 2021]

1. मिताक्षरा ऊंची जाति की सिविल विधि थी और दायभाग निम्न जाति की सिविल विधि थी।

2. मिताक्षरा व्यवस्था में, पुत्र अपने पिता के जीवनकाल में ही संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे, जबकि दायभाग व्यवस्था में पिता की मृत्यु के उपरांत ही पुत्र संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे।

3. मिताक्षरा व्यवस्था किसी परिवार के केवल पुरुष सदस्यों के संपत्ति-संबंधी मामलों पर विचार करती है, जबकि दायभाग व्यवस्था किसी परिवार के पुरुष एवं महिला सदस्यों, दोनों के संपत्ति-संबंधी मामलों पर विचार करती है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

Correct Answer: (b) केवल 2
Solution:'मिताक्षरा' याज्ञवल्क्य स्मृति पर विज्ञानेश्वर की टीका है। यह संस्कृत भाषा में लिखित धर्मशास्त्र का प्रमुख ग्रंथ है, जबकि दायभाग की रचना जीमूतवाहन ने की है। यह ग्रंथ हिंदू धर्म के संपत्ति के उत्तराधिकार से संबंधित विधि है। अतः कथन 1 असत्य है। मीताक्षरा व्यवस्था में, पुत्र अपने पिता के जीवनकाल में ही संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे, जबकि दायभाग व्यवस्था में पिता की मृत्यु के उपरांत ही पुत्र संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे। इस प्रकार कथन 2 सत्य है। मीताक्षरा व्यवस्था किसी परिवार के पुरुष एवं महिला सदस्यों के संपत्ति संबंधी मामलों पर विचार करती है, जबकि दायभाग व्यवस्था किसी परिवार के केवल पुरुष सदस्यों के संपत्ति-संबंधी मामलों पर विचार करती है। अतः कथन 3 असत्य है।

16. निम्नलिखित में से कौन बीजगणित के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए विशेष रूप से जाना जाता है? [U.P. P.C.S. (Pre) 2002 & U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]

Correct Answer: (c) भास्कर
Solution:यद्यपि भारत में बीजगणित का ज्ञान काफी पहले विकसित हो चुका था तथा आर्यभट्ट और ब्रह्मपुत्र ने भी कतिपय बीजगणितीय सिद्धांत प्रस्तुत किए थे, तथापि 12वीं शताब्दी के गणितज्ञ भास्कर (भास्कर II या भास्कराचार्य) ने बीजगणित के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'सिद्धांत शिरोमणि' चार भागों-लीलावती, बीजगणित, गणिताध्याय और गोलाध्याय में विभाजित है।

17. 'लीलावती' का लेखक भास्कर द्वितीय था- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) गणितज्ञ
Solution:यद्यपि भारत में बीजगणित का ज्ञान काफी पहले विकसित हो चुका था तथा आर्यभट्ट और ब्रह्मपुत्र ने भी कतिपय बीजगणितीय सिद्धांत प्रस्तुत किए थे, तथापि 12वीं शताब्दी के गणितज्ञ भास्कर (भास्कर II या भास्कराचार्य) ने बीजगणित के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'सिद्धांत शिरोमणि' चार भागों-लीलावती, बीजगणित, गणिताध्याय और गोलाध्याय में विभाजित है।

18. गणित की पुस्तक 'लीलावती' के लेखक थे- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) भास्कराचार्य
Solution:यद्यपि भारत में बीजगणित का ज्ञान काफी पहले विकसित हो चुका था तथा आर्यभट्ट और ब्रह्मपुत्र ने भी कतिपय बीजगणितीय सिद्धांत प्रस्तुत किए थे, तथापि 12वीं शताब्दी के गणितज्ञ भास्कर (भास्कर II या भास्कराचार्य) ने बीजगणित के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'सिद्धांत शिरोमणि' चार भागों-लीलावती, बीजगणित, गणिताध्याय और गोलाध्याय में विभाजित है।

19. आर्यभट्ट थे- [Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]

Correct Answer: (b) भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री
Solution:आर्यभट्ट (चौथी-पांचवीं शताब्दी ई.) प्राचीन भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। उन्होंने अपनी पुस्तक 'आर्यभट्टीयम' में बताया कि सूर्य स्थिर है, पृथ्वी घूमती है।

20. निम्नलिखित में से किस भारतीय गणितज्ञ ने दशमलव स्थानिक मान की खोज की थी? [U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]

Correct Answer: (d) आर्यभट्ट ने
Solution:आर्यभट्ट नामक भारतीय गणितज्ञ ने दशमलव स्थानिक मान की खोज की थी। आर्यभट्ट ने 'आर्यभट्टीयम' ग्रंथ की रचना की थी, जो वैदिक गणित का प्रमुख ग्रंथ है।