1. मिताक्षरा ऊंची जाति की सिविल विधि थी और दायभाग निम्न जाति की सिविल विधि थी।
2. मिताक्षरा व्यवस्था में, पुत्र अपने पिता के जीवनकाल में ही संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे, जबकि दायभाग व्यवस्था में पिता की मृत्यु के उपरांत ही पुत्र संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे।
3. मिताक्षरा व्यवस्था किसी परिवार के केवल पुरुष सदस्यों के संपत्ति-संबंधी मामलों पर विचार करती है, जबकि दायभाग व्यवस्था किसी परिवार के पुरुष एवं महिला सदस्यों, दोनों के संपत्ति-संबंधी मामलों पर विचार करती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
Correct Answer: (b) केवल 2
Solution:'मिताक्षरा' याज्ञवल्क्य स्मृति पर विज्ञानेश्वर की टीका है। यह संस्कृत भाषा में लिखित धर्मशास्त्र का प्रमुख ग्रंथ है, जबकि दायभाग की रचना जीमूतवाहन ने की है। यह ग्रंथ हिंदू धर्म के संपत्ति के उत्तराधिकार से संबंधित विधि है। अतः कथन 1 असत्य है। मीताक्षरा व्यवस्था में, पुत्र अपने पिता के जीवनकाल में ही संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे, जबकि दायभाग व्यवस्था में पिता की मृत्यु के उपरांत ही पुत्र संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते थे। इस प्रकार कथन 2 सत्य है। मीताक्षरा व्यवस्था किसी परिवार के पुरुष एवं महिला सदस्यों के संपत्ति संबंधी मामलों पर विचार करती है, जबकि दायभाग व्यवस्था किसी परिवार के केवल पुरुष सदस्यों के संपत्ति-संबंधी मामलों पर विचार करती है। अतः कथन 3 असत्य है।