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भारत में जमींदारी प्रणाली का उन्मूलन 1950 में हुआ था। सन् 1946 ई. में चुनाव में सफलता के फलस्वरूप जब हर प्रांत में कांग्रेस के मंत्रिमंडल बने तो चुनाव प्रतिज्ञा के अनुसार जमींदारी प्रथा को समाप्त करने के लिए विधेयक प्रस्तुत किए गए। ये विधेयक सन् 1950 से 1955 तक बनकर लागू हो गए।
समाज से राज्य का विभेदीकरण संप्रभुता है।
वैदिककाल का विभाजन दो भागों (i) ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई. पू) (ii) उत्तर वैदिक काल (1000-600 ई.पू.) में किया गया है।
ऋग्वेद में वर्ण शब्द रंग के अर्थ में तथा कहीं-कहीं व्यवसाय चयन के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। प्रारम्भ में हम तीन वर्षों का उल्लेख पाते हैं- ब्रह्म, क्षत्र तथा विश
जाति के 5 सिद्धांत है। जाति व्यवस्था की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत (i) - पारंपरिक सिद्धांत, (ii) धार्मिक सिद्धांत, (iii) व्यावसायिक सिद्धांत, (iv) कई सिद्धांत या कई लोगों का सिद्धांत।
संस्कृतिकरण शब्द का प्रयोग भारतीय समाजशास्त्री एम.एन. श्रीनिवास ने 1950 के दशक में लोकप्रिय बनाया। यह सिद्धांत एक पुस्तक के रूप में लाया गया जिसका शीर्षक था- 'रिलीजन् एंड सोसायटी अमंग द कूगर्स ऑफ साउथ इंडिया"।
जो अपराधी लड़के और लड़कियाँ सामान्य रूप से 16 साल के नीचे हैं। वह किशोर अपराधी हैं।
सुधारवाद वह धारणा है कि मौजूद संस्थानों के माध्यम से उनके भीतर से क्रमिक परिवर्तन आखिरकार समाज के मौलिक आर्थिक प्रणाली और राजनीतिक संरचनाओं को बदल सकते हैं। पहली सुधारवादी स्कूल एक्ट 1897 में पारित हुआ था।
पुनः प्रेषण गृहों निजी कल्याण अभिकरण द्वारा प्रतिबंधित किया गया है।
युवा अशांति जो विद्यार्थी विद्रोह, छात्र शक्ति तथा विद्यार्थी सक्रियता के द्वारा वर्णित है।