1. नारियल आवरण, मूंगफली का छिलका और धान की भूसी का उपयोग जीवभार गैसीकरण के लिए किया जा सकता है।
2. जीवभार गैसीकरण द्वारा जनित ज्वलनशील गैसों में केवल हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड होती है।
3. जीवभार गैसीकरण द्वारा जनित ज्वलनशील गैसों को ऊष्मा उत्पादन में सीधे ही उपयोग कर सकते हैं, लेकिन अंतर्दहन इंजनों में नहीं।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए-
Correct Answer: (a) केवल 1
Note: ऊष्मा-रासायनिक परिवर्तन द्वारा ठोस बायोमास का, दहन योग्य गैस मिश्रण में रूपांतरण ही बायोमास गैसीकरण है। इस प्रक्रिया में जैविक पदार्थों या जीवाश्म आधारित कार्बनयुक्त पदार्थों को कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन में बदला जाता है। प्राप्त गैसों का मिश्रण ही प्रोड्यूसर गैस या सिंथेटिक गैस कहलाता है, जो स्वयं एक ईंधन है। इसका महत्व इस बात में है कि यह नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। सबसे सामान्य रूप से उपलब्ध गैसीकारक में लकड़ी तथा लकड़ी वाले बायोमास का प्रयोग किया जाता है। ऐसे पदार्थों यथा-नारियल आवरण, मूंगफली के छिलके तथा धान की भूसी इत्यादि का भी उपयोग किया जा सकता है, जो अन्यथा कचरा समझकर फेंक दिए जाते हैं। इस प्रकार उत्पन्न गैस का उपयोग, बिजली पैदा करने वाले जेनरेटर से जुड़े उपयुक्त रूप से डिजाइन किए गए अंतर्दहन इंजन में, डीजल की जगह किया जा सकता है। ध्यातव्य है कि बायोमास से ऊर्जा का विमोचन जैविक परमाणुओं के बीच बने रासायनिक बंधों के टूटने से होता है। ये रासायनिक बंध प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा बनते हैं। अतः बायोमास में सौर ऊर्जा अप्रत्यक्ष रूप से पाई जाती है।