बुद्धकाल में राज्य और वर्ण-समाज

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21. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- []

1. बुद्धकाल में क्षत्रिय और ब्राह्मण कर मुक्त थे।

2. बुद्धकाल में करों का सारा बोझ वैश्य या, गृहपति और किसानों पर था।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?

 

Correct Answer: (d) 1 एवं 2 दोनों
Note:

बुद्धकाल में राजा और पुरोहित अर्थात् क्षत्रिय एवं ब्राह्मण करों से मुक्त थे। करों का सारा बोझ किसानों के सिर पर था, जिनमें अधिकतर वैश्य या गृहपति थे।

 

22. 'बलिसाधक' अधिकारी की नियुक्ति किसलिए होती थी? []

Correct Answer: (c) बलि नामक कर की वसूली हेतु।
Note:

वैदिक काल में कबीले के लोग अपने सरदार को अपनी स्वेच्छा से बलि अर्पित करते थे, जो कि बुद्ध काल में अनिवार्य रूप से देय हो गई। इसकी वसूली के लिए बलिसाधक नाम के अधिकारी नियुक्त किए गये।

 

23. चुंगी प्राप्त करने वाले अधिकारी को किस नाम से जाना जाता था ? []

Correct Answer: (c) (a) और (b) दोनों
Note:

व्यापारियों से उनके माल की बिक्री पर चुंगी वसूली जाती थी। चुंगी वसूलने वाला अधिकारी शौल्किक या शुल्काध्यक्ष कहलाता था।

 

24. निम्नलिखित में से किस गणराज्य में एक के ऊपर एक सात न्यायपीठ होती थी? []

Correct Answer: (b) वैशाली
Note:

लिच्छवियों के गणराज्य में एक के ऊपर एक सात न्यायपीठ होते थे जो एक ही मसले की सुनवाई बारी-बारी से सात बार करते थे।

 

25. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- []

1. राजतंत्र में प्रजा से राजस्व पाने का दावेदार राजन होता था।

2. गणतंत्र में प्रजा से राजस्व प्राप्त करने का हकदार राजा होता था।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?

 

Correct Answer: (d) न तो 1 न ही 2
Note:

राजतंत्र में प्रजा से राजस्व पाने का दावेदार एकमात्र राजा होता था, गणतंत्र में इसका दावेदार गण या गोत्र का प्रत्येक प्रधान होता था जो राजन् कहलाता था। इस प्रकार दोनों कथन असत्य हैं।

 

26. निम्नलिखित में से किस काल से गणतंत्र की परंपरा कमजोर होने लगी थी ? []

Correct Answer: (c) मौर्यकाल
Note:

गणतंत्र की परंपरा मौर्यकाल से कमजोर होने लगी। मौर्यकाल में एकतांत्रिक राज्य कहीं अधिक मजबूत और प्रचलित थे। प्राचीन मनीषियों ने राजतंत्र को ही प्रचलित और उत्कृष्ट शासन पद्धति माना।

 

27. भारत में विधि और न्याय व्यवस्था का उद्भव किस काल से माना जाता है? []

Correct Answer: (b) बौद्धकाल
Note:

बुद्धकाल से भारतीय विधि और न्याय व्यवस्था का उद्भव माना जाता है। पहले कबायली कानून चलते थे, तथा वर्णभेद के आधार पर ही व्यवहार-विधि (सिविल लॉ) और दंड-विधि (क्रिमिनल लॉ) बनी थी।