Solution:बौद्ध वास्तुकला में, विहार एक मठ या एक आवास परिसर होता है।- इसका प्राथमिक कार्य बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों (भिक्खुओं और भिक्खुनियों) के लिए पूरे वर्ष और विशेष रूप से वर्षा ऋतु (वस्सा) के दौरान एक निवास स्थान (आराम करने का स्थान) के रूप में कार्य करना था।
- आमतौर पर, एक विहार में व्यक्तिगत निवास के लिए छोटी-छोटी कोठरियों से घिरा एक केंद्रीय हॉल होता था, जिसमें अक्सर एक समर्पित ध्यान कक्ष और सभा के लिए एक सामुदायिक क्षेत्र शामिल होता था।
- विहार का मुख्य उद्देश्य मठवासी समुदाय के लिए एक संरचित, सांप्रदायिक जीवन और शिक्षण वातावरण प्रदान करना था।
- वे बौद्ध वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं ओर मठों और अन्य धार्मिक इमारतों में पाए जा सकते हैं।
- वे एक बड़े परिसर में स्थित हो सकते हैं जिसमें सांप्रदायिक गतिविधियों के लिए अन्य इमारतें शामिल हैं।
- बौद्ध धर्म का एक मूलभूत सिद्धांत सभी चीज़ों की अनित्यता और इच्छा एवं आसक्ति के त्याग के माध्यम से दुख की समाप्ति में विश्वास है।
- इसकी शिक्षाएँ विश्वभर में लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं, जोकि जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति और अंतर्मन की शांति का मार्ग प्रदान करती हैं।
Other Information
चैत्य गृह एक प्रकार की बौद्ध वास्तुकला है जो प्रार्थना कक्ष या मंदिरों को संदर्भित करती है।
- चेत्य गृह प्रायः विहारों की तुलना में बड़े और अधिक विस्तृत होते हैं और इसमें जटिल नक्काशी या कलाकृति शामिल हो सकती है।
पीट्रा ड्यूरा एक प्रकार की सजावटी कला है जिसकी उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में इटली में हुई थी।
- इसमें फर्नीचर या अन्य वस्तुओं पर जटिल डिजाइन बनाने के लिए छोटे, पॉलिश किए गए पत्थरों का उपयोग करना शामिल है।
स्तूप सामान्यतः बड़ी, गुंबद के आकार की संरचनाएं होती हैं जिनका उपयोग ध्यान और पूजा के लिए किया जाता है।
- उनमें अवशेष या अन्य पवित्र वस्तुएँ हो सकती हैं।