ब्रिटिश ताज के शासनाधीन पारित अधिनियम

Total Questions: 33

11. भारतीय इतिहास के संबंध में 'द्वैध शासन' (डायआर्की) सिद्धांत किसे निर्दिष्ट करता है? [I.A.S. (Pre) 2017]

Correct Answer: (d) प्रांतों में प्रत्यायोजित विषयों का दो प्रवर्गों में विभाजन
Note:

भारत शासन अधिनियम, 1919 ब्रिटिश संसद के द्वारा पारित अधिनियम था, जिसका उद्देश्य भारतीय शासन में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ाना था। इस अधिनियम को भारत सचिव एडविन मॉन्टेग्यू एवं वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में पारित किया गया। इस अधिनियम के द्वारा राज्यों में द्वैध शासन (Dyarchy) की स्थापना की गई, जिसके तहत प्रत्येक राज्य में राज्य के प्रशासनिक विषयों को दो श्रेणियों में बांटा गया (अ) आरक्षित एवं (ब) हस्तांतरित। आरक्षित विषय प्रांतीय गवर्नर एवं उसकी कार्यकारी परिषद के तहत रखे गए, जबकि हस्तांतरित विषयों का उत्तरदायित्व प्रांतीय विधायिका के प्रति उत्तरदायी मंत्रियों को सौंपा गया। साथ ही केंद्र और प्रांतों के मध्य भी शक्तियों का बंटवारा संघीय एवं प्रांतीय विषयों के रूप में किया गया। जहां तक मुसलमानों के लिए पृथक सांप्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था का प्रश्न है, तो यह प्रावधान 1909 के अधिनियम में ही कर दिया गया था। 1919 के अधिनियम में यह व्यवस्था न केवल जारी रही बल्कि इसे सिक्खों, यूरोपियों, भारतीय ईसाइयों एवं एंग्लो-इंडियनों के लिए भी विस्तारित किया गया।

 

12. भारत सरकार अधिनियम, 1919 में, प्रांतीय सरकार के कार्य "आरक्षित (रिजर्ड)" और " अंतरित (ट्रांसफर्ड)" विषयों के अंतर्गत बांटे गए थे। []

निम्नलिखित में कौन-से "आरक्षित" विषय माने गए थे?

1. न्याय प्रशासन

2. स्थानीय स्वशासन

3. भू-राजस्व

4. पुलिस

नीचे दिए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए -

 

Correct Answer: (c) 1, 3 और 4
Note:

भारत सरकार अधिनियम, 1919 की एक प्रमुख विशेषता प्रांतों में द्वैध-शासन (Dyarchy) की स्थापना थी। इस प्रणाली के तहत प्रांतीय सरकार के कार्यों को दो भागों 'आरक्षित' (Reserved) तथा 'अंतरित' या 'हस्तांतरित' (Transferred) में विभक्त किया गया। 'आरक्षित' विषयों के अंतर्गत न्याय प्रशासन, भू-राजस्व, वित्त, पुलिस, सिंचाई आदि को रखा गया, जबकि हस्तांतरित विषयों के तहत स्थानीय स्वशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि आदि को रखा गया। आरक्षित विषय प्रांतीय गवर्नर एवं उसकी कार्यकारी परिषद के तहत रखे गए, जबकि हस्तांतरित विषयों का उत्तरदायित्व प्रांतीय विधायिका के प्रति उत्तरदायी मंत्रियों को सौंपा गया।

 

13. किस अधिनियम ने प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली की स्थापना की? [M.P.P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (b) 1919 का भारत सरकार अधिनियम
Note:

भारत सरकार अधिनियम, 1919 की एक प्रमुख विशेषता प्रांतों में द्वैध-शासन (Dyarchy) की स्थापना थी। इस प्रणाली के तहत प्रांतीय सरकार के कार्यों को दो भागों 'आरक्षित' (Reserved) तथा 'अंतरित' या 'हस्तांतरित' (Transferred) में विभक्त किया गया। 'आरक्षित' विषयों के अंतर्गत न्याय प्रशासन, भू-राजस्व, वित्त, पुलिस, सिंचाई आदि को रखा गया, जबकि हस्तांतरित विषयों के तहत स्थानीय स्वशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि आदि को रखा गया। आरक्षित विषय प्रांतीय गवर्नर एवं उसकी कार्यकारी परिषद के तहत रखे गए, जबकि हस्तांतरित विषयों का उत्तरदायित्व प्रांतीय विधायिका के प्रति उत्तरदायी मंत्रियों को सौंपा गया।

 

14. भारतीय विधानपालिका प्रथम बार द्विसदनीय बनाई गई- [U.P.P.C.S. (Mains) 2008]

Correct Answer: (c) 1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा
Note:

1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा केंद्र में द्विसदनीय विधानपालिका की स्थापना की गई । ऊपरी सदन, 'राज्य परिषदः (Council of State; अवधि-प्रथम बैठक से 5 वर्ष) कहलाता था तथा इस अधिनियम की धारा 18 के तहत इसके 60 सदस्यों में से अधिकतम 20 सदस्य सरकारी हो सकते थे। निचला सदन 'केंद्रीय विधानसभा' (Central Legislative Assembly; अवधि-प्रथम बैठक से 3 वर्ष) कहलाता था तथा भारत सरकार अधिनियम, 1919 की धारा 19 के तहत इसमें मूलतः 140 सदस्यों का प्रावधान था, जिसमें से 100 निर्वाचित तथा 40 मनोनीत (जिसमें से अधिकतम 26 सरकारी) होने थे। ज्ञातव्य है कि 1919 के अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु बने नियमों के तहत राज्य परिषद के 60 सदस्यों में से 33 के निर्वाचित तथा शेष 27 के मनोनीत होने का प्रावधान किया गया, जबकि केंद्रीय विधानसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर पहले 143 (102 निर्वाचित + 41 मनोनीत) तथा फिर 145 (104 निर्वाचित + 41 मनोनीत) कर दी गई। उल्लेखनीय है कि दोनों सदनों में मनोनीत सदस्यों में से एक-एक बरार से निर्वाचित होने वाले सदस्य भी होते थे, जिन्हें गवर्नर जनरल मनोनीत करता था। बरार से मनोनीत होने वाले सदस्य के निर्वाचित होने के कारण अनेक उल्लेखों में उसे निर्वाचित सदस्यों की संख्या में शामिल कर दिया गया है

 

15. केंद्र में कौन-सा एक्ट द्विसदनीय विधायिका लाया? [M.P.P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (c) 1919 एक्ट
Note:

1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा केंद्र में द्विसदनीय विधानपालिका की स्थापना की गई । ऊपरी सदन, 'राज्य परिषदः (Council of State; अवधि-प्रथम बैठक से 5 वर्ष) कहलाता था तथा इस अधिनियम की धारा 18 के तहत इसके 60 सदस्यों में से अधिकतम 20 सदस्य सरकारी हो सकते थे। निचला सदन 'केंद्रीय विधानसभा' (Central Legislative Assembly; अवधि-प्रथम बैठक से 3 वर्ष) कहलाता था तथा भारत सरकार अधिनियम, 1919 की धारा 19 के तहत इसमें मूलतः 140 सदस्यों का प्रावधान था, जिसमें से 100 निर्वाचित तथा 40 मनोनीत (जिसमें से अधिकतम 26 सरकारी) होने थे। ज्ञातव्य है कि 1919 के अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु बने नियमों के तहत राज्य परिषद के 60 सदस्यों में से 33 के निर्वाचित तथा शेष 27 के मनोनीत होने का प्रावधान किया गया, जबकि केंद्रीय विधानसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर पहले 143 (102 निर्वाचित + 41 मनोनीत) तथा फिर 145 (104 निर्वाचित + 41 मनोनीत) कर दी गई। उल्लेखनीय है कि दोनों सदनों में मनोनीत सदस्यों में से एक-एक बरार से निर्वाचित होने वाले सदस्य भी होते थे, जिन्हें गवर्नर जनरल मनोनीत करता था। बरार से मनोनीत होने वाले सदस्य के निर्वाचित होने के कारण अनेक उल्लेखों में उसे निर्वाचित सदस्यों की संख्या में शामिल कर दिया गया है

 

16. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : [L.A.S. (Pre) 2011]

1. 1919 के मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों में, 21 वर्ष से अधिक आहे की सभी महिलाओं के लिए मताधिकार की संस्तुति की गई।

2. 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट में, विधानमंडल में महिलाज के लिए आरक्षित स्थानों का प्रावधान किया गया। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है / हैं?

 

Correct Answer: (b) केवल 2
Note:

मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के रूप में अभिहित भारत सरकार अधिनियम, 1919 द्वारा महिलाओं को मताधिकार प्रदान किया गया था, परंतु यह सीमित वर्गों की महिलाओं के लिए ही था और सभी महिलाओं के लिए वयस्क मताधिकार पर आधारित नहीं था। इस प्रकार, कथन 1 सही नहीं है।

 

1935 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली का विस्तार करते हुए दलित वर्गों, महिलाओं और श्रमिकों के लिए पृथक निर्वाचक मंडलों का प्रावधान करते हुए विधानमंडल में स्थान आरक्षित किए गए थे। इस प्रकार कथन 2 सही है।

 

17. भारतीय सिविल सेवा के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन- सा/से कथन सही है/हैं? [U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2021]

1. भारत सरकार अधिनियम, 1919 में भारतीय सिविल सेवा के लिए एक अलग परीक्षा का प्रावधान किया गया, जो भारत में होनी थी।

2. भारतीय सिविल सेवा में 1941 में भारतीयों का प्रतिशत यूरोपवासियों से अधिक था।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिए-

 

Correct Answer: (c) 1 और 2 दोनों
Note:

भारत में आधुनिक मेरिट आधारित सिविल सेवा (ICS) का प्रारंभ 1854 में लंदन में सिविल सेवा आयोग की स्थापना से हुआ तथा 1855 से इस हेतु प्रतियोगी परीक्षा लंदन में ही आयोजित की जाने लगी। भारतीयों की लगातार मांग के बावजूद यह परीक्षा भारत में न होकर लंदन में ही होती रही। अंततः भारत सरकार अधिनियम, 1919 के प्रावधान के अनुरूप वर्ष 1922 से आईसीएस की परीक्षा भारत में भी होनी प्रारंभ हुई (पहले इलाहाबाद में तथा बाद में दिल्ली में)। 1930 के दशक के अंत तक यूरोपवासियों की उपलब्धता भारतीय सिविल सेवा में कम होती गई तथा इस सेवा में 1941 तक स्पष्ट रूप से भारतीयों का प्रतिशत यूरोपवासियों से अधिक हो चुका था।

 

18. निम्नलिखित में से किस अधिनियम द्वारा 120 सदस्यों वाले 'चैम्बर ऑफ प्रिसेज' की व्यवस्था की गई थी? [U.P.P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (a) 1919 का अधिनियम
Note:

वर्ष 1919 के भारत शासन अधिनियम को ब्रिटिश शाही स्वीकृति मिलने के साथ 23 दिसंबर, 1919 की ब्रिटिश किंग जॉर्ज V की उद्घोषणा के माध्यम से भारतीय रियासतों के लिए 120 सदस्यों वाले 'चैम्बर ऑफ प्रिंसेज' (नरेंद्र मंडल) की व्यवस्था की गई थी। इसका उद्घाटन फरवरी, 1921 में किया गया था।

 

19. केंद्रीय विधानसभा का/के निम्नांकित में से कौन-सा/से निर्वाचन भारत शासन अधिनियम, 1919 के तहत हुआ/हुए? [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]

(A) 1926

(B) 1937

(C) 1945

सही उत्तर का चयन नीचे दिए गए कूट से कीजिए :

 

Correct Answer: (c) (A) और (C)
Note:

प्रश्नगत वर्षों में से वर्ष 1926 और वर्ष 1945 का केंद्रीय विधानसभा चुनाव भारत शासन अधिनियम, 1919 के तहत हुआ था।

 

20. भारत शासन अधिनियम, 1919 के अंतर्गत भारतीय विधायिका का अंतिम निर्वाचन किस वर्ष में आयोजित किया गया था? [M.P.P.C.S. (Pre)2020]

Correct Answer: (c) 1945
Note:

भारत शासन अधिनियम, 1919 के अंतर्गत भारतीय विधायिका (केंद्रीय विधानसभा) का अंतिम निर्वाचन वर्ष 1945 में आयोजित किया गया था।