ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (UPPCS)

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11. 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस की भू-व्यवस्था प्रणाली लागू होने के बाद कानूनी विवादों की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी देखी गई थी। निम्नलिखित प्रावधानों में से किस एक को सामान्यतया इसके कारक के रूप में जोड़ कर देखा जाता है? [I.A.S. (Pre) 2011]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त (a), (b) तथा (c) कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
Solution:1793 ई. में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा प्रारंभ स्थायी बंदोबस्त (जमींदारी व्यवस्था) वाली भू-व्यवस्था प्रणाली में जमींदारों का भूमि पर वास्तविक अधिकार स्वीकृत कर लिया गया था (जब तक कि वे लगान एकत्र कर उसका 10/11 भाग सरकार को देते रहते)। लेकिन जमींदारी का भू-क्षेत्र निर्धारित नहीं था। लगान रहित अनुदान भूमि, चारागाह, परती आदि भूमि निर्धारित न होने के कारण कानूनी विवाद बढ़े। जमींदार एवं कृषक के बीच अनेक मध्यस्थों के कारण भी विधिक वादों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। स्पष्ट है कि अभीष्ट विकल्प (d) होगा।

12. चिरस्थायी बंदोबस्त, 1793 के अंतर्गत जमींदारों से अपेक्षा की गई थी कि वे खेतिहरों को पट्टा जारी करेंगे। अनेक जमींदारों ने पट्टा जारी नहीं किए। इसका कारण था- [I.A.S. (Pre) 2001]

Correct Answer: (b) जमींदारों के ऊपर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं था।
Solution:लॉर्ड कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था लागू की। इसके तहत जमींदार, जिन्हें भू-स्वामी के रूप में मान्यता प्राप्त थी, को अपने क्षेत्रों में भू-राजस्व की वसूली कर उसका 1/11 वां हिस्सा अपने पास रखना होता था और शेष हिस्सा कंपनी के पास जमा करना होता था। जमींदार काश्तकारों से मनचाहा लगान वसूल करता था और समय से लगान न देने वाले काश्तकारों से जमीन भी वापस छीन ली जाती थी। कुल मिलाकर काश्तकार पूरी तरह जमींदारों की दया पर निर्भर होता था। जमींदारों के ऊपर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं था तथा इस कारण बहुत से मामलों में पट्टे जारी नहीं किए जाते थे। इसी के फलस्वरूप 1859 ई. के बंगाल रेंट अधिनियम (द बंगाल रेंट एक्ट) पारित होने के तीन दशक पहले कुछ जिलों में और बंगाल-बिहार सीमा के संथाल क्षेत्र के किसानों ने अपने परंपरागत अधिकारों की रक्षा के लिए हिंसा का सहारा लिया।

13. बिहार में 'परमानेंट सेटिलमेंट' लागू करने का कारण था- [48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) जमींदारों का जमीन पर अधिकार न रहना
Solution:लॉर्ड कॉर्नवालिस के समय भू-राजस्व व्यवस्था आरंभ में दस वर्षीय व्यवस्था के रूप में 1790 ई. में लागू की गई थी, जो 22 मार्च, 1793 को 'परमानेंट सेटिलमेंट (स्थायी बंदोबस्त) के रूप में स्थापित हुई। इस व्यवस्था को बिहार में लागू करने का मुख्य कारण कंपनी के लिए भू-राजस्व की एक निश्चित राशि तय करना था।

14. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए- [56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015]

........... में बंगाल और बिहार में भूमि पर किरायेदारों के अधिकारों को बंगाल किरायेदारी अधिनियम द्वारा दिया गया था।।

 

Correct Answer: (a) 1885
Solution:1793 ई. में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त को लागू किया। गया, जिसने जमींदारों को कई अधिकार प्रदान किए। 19वीं शताब्दी तक आते-आते भूमि की मांग बढ़ने लगी और भूमि मालिकों ने किराए में बढ़ोत्तरी की। यह समय किसानों के विद्रोह का था। इसी बीच बंगाल सरकार ने बंगाल एवं बिहार में बंगाल किरायेदारी अधिनियम, 1885 को लागू किया, जिसमें भूमि मालिकों (जमींदारों) और किरायेदारों के अधिकारों को परिभाषित किया गया।

15. निम्नलिखित में से कौन ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में रैयतवाड़ी बंदोबस्त के प्रारंभ किए जाने से संबद्ध था/थे? [I.A.S. (Pre) 2017]

1. लॉर्ड कॉर्नवालिस

2. अलेक्जेंडर रीड

3. टॉमस मुनरो

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

 

Correct Answer: (c) केवल 2 और 3
Solution:रैयतवाड़ी बंदोबस्त अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली हेतु लागू की गई एक प्रणाली थी। अलेक्जेंडर रीड ने मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वप्रथम 1792 ई. में तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की। टॉमस मुनरो ने 1809 ई. में कुछ क्षेत्रों में इसको लागू किया। 1820 ई. में मद्रास का गवर्नर बनने पर उसने इसे मद्रास में लागू किया। मुनरो के शिष्य एलफिस्टन ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया। संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लगभग 51 प्रतिशत क्षेत्र (मद्रास, बंबई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, असम एवं कुर्ग आदि) में यह व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत रैयतों को भूमि का मालिकाना हक दिया गया, जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से भू-राजस्व अदा करने के लिए उत्तरदायी थे। 1835 ई. के बाद जी. विंगेट और एच.ई. गोल्डस्मिथ द्वारा इस व्यवस्था में सुधार किए गए।

16. रैयतवाड़ी व्यवस्था सर्वप्रथम कहां लागू की गई थी? [67th B.P.S.C. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) मद्रास
Solution:रैयतवाड़ी बंदोबस्त अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली हेतु लागू की गई एक प्रणाली थी। अलेक्जेंडर रीड ने मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वप्रथम 1792 ई. में तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की। टॉमस मुनरो ने 1809 ई. में कुछ क्षेत्रों में इसको लागू किया। 1820 ई. में मद्रास का गवर्नर बनने पर उसने इसे मद्रास में लागू किया। मुनरो के शिष्य एलफिस्टन ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया। संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लगभग 51 प्रतिशत क्षेत्र (मद्रास, बंबई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, असम एवं कुर्ग आदि) में यह व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत रैयतों को भूमि का मालिकाना हक दिया गया, जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से भू-राजस्व अदा करने के लिए उत्तरदायी थे। 1835 ई. के बाद जी. विंगेट और एच.ई. गोल्डस्मिथ द्वारा इस व्यवस्था में सुधार किए गए।

17. भू-राजस्व की स्थायी बंदोबस्त एवं रैयतवाड़ी प्रणाली क्रमशः शुरू की गई- [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) बंगाल तथा मद्रास में
Solution:रैयतवाड़ी बंदोबस्त अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली हेतु लागू की गई एक प्रणाली थी। अलेक्जेंडर रीड ने मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वप्रथम 1792 ई. में तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की। टॉमस मुनरो ने 1809 ई. में कुछ क्षेत्रों में इसको लागू किया। 1820 ई. में मद्रास का गवर्नर बनने पर उसने इसे मद्रास में लागू किया। मुनरो के शिष्य एलफिस्टन ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया। संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लगभग 51 प्रतिशत क्षेत्र (मद्रास, बंबई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, असम एवं कुर्ग आदि) में यह व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत रैयतों को भूमि का मालिकाना हक दिया गया, जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से भू-राजस्व अदा करने के लिए उत्तरदायी थे। 1835 ई. के बाद जी. विंगेट और एच.ई. गोल्डस्मिथ द्वारा इस व्यवस्था में सुधार किए गए।

18. सर टॉमस मुनरो भू-राजस्व बंदोबस्त से संबद्ध हैं- [U.P. P.C.S. (Pre) 2000]

Correct Answer: (c) रैयतवाड़ी बंदोबस्त
Solution:रैयतवाड़ी बंदोबस्त अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली हेतु लागू की गई एक प्रणाली थी। अलेक्जेंडर रीड ने मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वप्रथम 1792 ई. में तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की। टॉमस मुनरो ने 1809 ई. में कुछ क्षेत्रों में इसको लागू किया। 1820 ई. में मद्रास का गवर्नर बनने पर उसने इसे मद्रास में लागू किया। मुनरो के शिष्य एलफिस्टन ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया। संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लगभग 51 प्रतिशत क्षेत्र (मद्रास, बंबई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, असम एवं कुर्ग आदि) में यह व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत रैयतों को भूमि का मालिकाना हक दिया गया, जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से भू-राजस्व अदा करने के लिए उत्तरदायी थे। 1835 ई. के बाद जी. विंगेट और एच.ई. गोल्डस्मिथ द्वारा इस व्यवस्था में सुधार किए गए।

19. मद्रास के रैयतवाड़ी बंदोबस्त से कौन संबंधित रहा था? [U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2008]

Correct Answer: (c) मुनरो
Solution:रैयतवाड़ी बंदोबस्त अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली हेतु लागू की गई एक प्रणाली थी। अलेक्जेंडर रीड ने मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वप्रथम 1792 ई. में तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की। टॉमस मुनरो ने 1809 ई. में कुछ क्षेत्रों में इसको लागू किया। 1820 ई. में मद्रास का गवर्नर बनने पर उसने इसे मद्रास में लागू किया। मुनरो के शिष्य एलफिस्टन ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया। संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लगभग 51 प्रतिशत क्षेत्र (मद्रास, बंबई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, असम एवं कुर्ग आदि) में यह व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत रैयतों को भूमि का मालिकाना हक दिया गया, जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से भू-राजस्व अदा करने के लिए उत्तरदायी थे। 1835 ई. के बाद जी. विंगेट और एच.ई. गोल्डस्मिथ द्वारा इस व्यवस्था में सुधार किए गए।

20. रैयतवाड़ी प्रथा प्रारंभ की थी- [U.P. P.C.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (a) टॉमस मुनरो
Solution:रैयतवाड़ी बंदोबस्त अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली हेतु लागू की गई एक प्रणाली थी। अलेक्जेंडर रीड ने मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वप्रथम 1792 ई. में तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की। टॉमस मुनरो ने 1809 ई. में कुछ क्षेत्रों में इसको लागू किया। 1820 ई. में मद्रास का गवर्नर बनने पर उसने इसे मद्रास में लागू किया। मुनरो के शिष्य एलफिस्टन ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया। संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लगभग 51 प्रतिशत क्षेत्र (मद्रास, बंबई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, असम एवं कुर्ग आदि) में यह व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत रैयतों को भूमि का मालिकाना हक दिया गया, जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से भू-राजस्व अदा करने के लिए उत्तरदायी थे। 1835 ई. के बाद जी. विंगेट और एच.ई. गोल्डस्मिथ द्वारा इस व्यवस्था में सुधार किए गए।