ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (UPPCS)

Total Questions: 49

31. सूची - 1 को सूची - II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए - [U.P. P.C.S. (Pre) 2020]

सूची-Iसूची-II
A. जजमानी1. उत्तर भारत
B. बारा बलूट2. कर्नाटक
C. मिरासि3. महाराष्ट्र
D. अडाडे4. तमिलनाडु
            A         B          C             D
(a)1234
(b)1324
(c)1423
(d)1342
Correct Answer: (d)
Solution:सूची - I और सूची - II का सही सुमेलन है-
सूची-Iसूची-II
जजमानीउत्तर भारत
बारा बलूटमहाराष्ट्र
मिरासितमिलनाडु
अडाडेकर्नाटक

UPPSC द्वारा जारी उत्तर-कुंजी में इस प्रश्न का उत्तर विकल्प (b) दिया गया है, जो कि गलत है।

32. ब्रिटिश भारत में सैन्य बल पर केंद्रीय राजस्व का कुल कितना प्रतिशत व्यय होता था? [U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) 40%
Solution:यद्यपि की इस तरह के प्रश्न का उत्तर विवादित होता है, तथापि कई स्रोत ब्रिटिश भारत में औसतन सैन्य बल पर खर्च को केंद्रीय राजस्व का लगभग 40 प्रतिशत मानते हैं।

33. दादाभाई नौरोजी द्वारा प्रतिपादित 'अपवाह सिद्धांत' (Drain Theory) की सही परिभाषा नीचे के किस कथन में आती है? [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (b) भारत की राष्ट्रीय संपदा का एक भाग अथवा कुल वार्षिक उत्पाद ब्रिटेन को निर्यात कर दिया जाता था, जिसके लिए भारत को कोई वास्तविक प्रतिफल नहीं मिलता था।
Solution:धन के बहिर्गमन या अपवाह (Drain) की राष्ट्रवादी परिभाषा का तात्पर्य भारत से धन-संपत्ति एवं माल का इंग्लैंड में हस्तांतरण था, जिसके बदले में भारत को इसके समतुल्य कोई भी आर्थिक, वाणिज्यिक या भौतिक प्रतिलाभ नहीं होता था। 'अपवाह सिद्धांत' के तहत इसी अप्रतिफलित निर्यात पर बल दिया गया। दादाभाई नौरोजी धन के बहिर्गमन के सिद्धांत के सबसे पहले और सर्वाधिक प्रखर प्रतिपादक थे। उन्होंने अपने लेखों एवं पुस्तकों- 'पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया', 'द वॉन्ट्स एंड मीन्स ऑफ इंडिया' तथा 'ऑन द कॉमर्स ऑफ इंडिया' के माध्यम से अपने अपवाह सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

34. निम्न में से किसने 'निकास के सिद्धांत' का प्रतिपादन किया था? [Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007]

Correct Answer: (a) दादाभाई नौरोजी
Solution:धन के बहिर्गमन या अपवाह (Drain) की राष्ट्रवादी परिभाषा का तात्पर्य भारत से धन-संपत्ति एवं माल का इंग्लैंड में हस्तांतरण था, जिसके बदले में भारत को इसके समतुल्य कोई भी आर्थिक, वाणिज्यिक या भौतिक प्रतिलाभ नहीं होता था। 'अपवाह सिद्धांत' के तहत इसी अप्रतिफलित निर्यात पर बल दिया गया। दादाभाई नौरोजी धन के बहिर्गमन के सिद्धांत के सबसे पहले और सर्वाधिक प्रखर प्रतिपादक थे। उन्होंने अपने लेखों एवं पुस्तकों- 'पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया', 'द वॉन्ट्स एंड मीन्स ऑफ इंडिया' तथा 'ऑन द कॉमर्स ऑफ इंडिया' के माध्यम से अपने अपवाह सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

35. अंग्रेजों के शासनकाल में भारत के 'आर्थिक दोहन' के सिद्धांत को किसने प्रतिपादित किया? [U.P. P.C.S. (Pre) 1995 U.P. P.C.S. (Main) 2004]

Correct Answer: (d) दादाभाई नौरोजी
Solution:धन के बहिर्गमन या अपवाह (Drain) की राष्ट्रवादी परिभाषा का तात्पर्य भारत से धन-संपत्ति एवं माल का इंग्लैंड में हस्तांतरण था, जिसके बदले में भारत को इसके समतुल्य कोई भी आर्थिक, वाणिज्यिक या भौतिक प्रतिलाभ नहीं होता था। 'अपवाह सिद्धांत' के तहत इसी अप्रतिफलित निर्यात पर बल दिया गया। दादाभाई नौरोजी धन के बहिर्गमन के सिद्धांत के सबसे पहले और सर्वाधिक प्रखर प्रतिपादक थे। उन्होंने अपने लेखों एवं पुस्तकों- 'पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया', 'द वॉन्ट्स एंड मीन्स ऑफ इंडिया' तथा 'ऑन द कॉमर्स ऑफ इंडिया' के माध्यम से अपने अपवाह सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

36. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए तथा उनके नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए- [U.P. P.C.S. (Pre.) 2017]

अभिकथन (A): ब्रिटिश काल में सामान्यतः भारत का व्यापार संतुलन अनुकूल था।

कथन (R) : धन की निकासी का स्वरूप अप्रतिफलित निर्यात था।

कूट :

 

Correct Answer: (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
Solution:

बहिर्गमन अथवा निकासी की राष्ट्रवादी परिभाषा का तात्पर्य भारत से धन-संपत्ति एवं माल का इंग्लैंड में हस्तांतरण था, जिसके बदले में भारत को इसके समतुल्य कोई भी आर्थिक, वाणिज्यिक या प्रतिलाभ नहीं होता था। ब्रिटिश काल में सामान्यतः भारत का व्यापार संतुलन अनुकूल था; क्योंकि इस दौरान आयात की तुलना में अधिक निर्यात होता था। ईस्ट इंडिया कंपनी के धन निष्कासन के स्रोत थे- व्यापारिक एकाधिकार से प्राप्त लाभ, कंपनी के कर्मचारियों के वेतन एवं पेंशन, कंपनी के निवेशकों को दिया जाने वाला लाभांश आदि। कंपनी द्वारा जो पैसा इंग्लैंड भेजा जाता था वही पैसा पुनः भारत में विदेशी ऋण तथा पूंजी निवेश के रूप में प्राप्त होता था। परंतु इस पूंजी निवेश का उद्देश्य देश का विकास नहीं बल्कि भारतीय साधनों का अधिकाधिक शोषण था। 1813 ई. के पश्चात इस आर्थिक निकास ने 'अप्रतिफल' निर्यात का रूप धारण कर लिया। वर्ष 1914 के पहले भारत में अंग्रेजी पूंजी निवेश केवल उन आर्थिक उपरिसाधनों में लगाए गए; जैसे- रेलवे, सड़क, व्यापारिक जहाज तथा खनिज उद्योग (कोयला एवं सोना) एवं वित्तीय संस्थाओं (बैंक, बीमा एवं वित्तीय निगम) में जो अंग्रेजी उद्योग के अनुपूरक थे और इनमें भारतीय औद्योगिक विकास के लिए कोई स्थान नहीं था। दादाभाई नौरोजी ने धन के निकास को 'अनिष्टों का अनिष्ट' (evil of all evils) की संज्ञा दी और इसे भारत की निर्धनता का मुख्य कारण बताया। अतः स्पष्ट है कि (A) तथा (R) दोनों सही हैं। तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।

37. निम्नलिखित में से कौन भारत में उपनिवेशवाद का/के आर्थिक आलोचक था/थे? [I.A.S. (Pre) 2015]

1. दादाभाई नौरोजी

2. जी. सुब्रमण्य अय्यर

3. आर.सी. दत्त

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

 

Correct Answer: (d) 1, 2 और 3
Solution:1870 से 1905 ई. के बीच बहुत से भारतीय बुद्धिजीवियों ने ब्रिटिश शासन के आर्थिक पहलू को विश्लेषित किया। इनमें तीन लोगों का योगदान सबसे महत्वपूर्ण रहा, वे थे-1. दादाभाई नौरोजी, 2. महादेव  गोविंद रानाडे और 3. आई.सी.एस. अधिकारी रमेश चंद्र दत्त। इन्होंने भारत का आर्थिक इतिहास लिखा। इन तीनों के अतिरिक्त जी.वी. जोशी, जी. सुब्रमण्य अय्यर ('द हिंदू' समाचार-पत्र के संस्थापक-संपादक), गोपाल कृष्ण गोखले समेत अनेक राजनीतिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों - ने तत्कालीन अर्थव्यवस्था के हर पहलू का गहराई से विश्लेषण किया। ये लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भारत के आर्थिक विकास के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा उपनिवेशवाद ही है।

38. निम्नलिखित में से कौन दादाभाई नौरोजी के उत्सारण सिद्धांत (Drain Theory) में विश्वास नहीं करता था? [I.A.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (d) सर सैयद अहमद खां
Solution:सर सैयद अहमद खां ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार थे और मुस्लिम समाज का विकास वे भारत में आंग्ल सत्ता के बने रहने में ही संभव मानते थे। अतः वे दादाभाई नौरोजी के उत्सारण सिद्धांत में विश्वास नहीं करते थे।

39. 'पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' नामक पुस्तक किस वर्ष प्रकाशित हुई? [U.P.P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) 1901 ई.
Solution:'पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' के लेखक दादाभाई नौरोजी हैं। यह पुस्तक वर्ष 1901 में लंदन के एस. सोनेश्चेन प्रकाशक द्वारा प्रकाशित की गई थी।

40. 'पावर्टी एंड द अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया' नामक पुस्तक किसने लिखी ? [U. P. P. C. S. (Mains) 2007]

Correct Answer: (d) दादाभाई नौरोजी
Solution:दादाभाई नौरोजी (1825-1917 ई.) ने 1865 ई. में डब्ल्यू. सी. बनर्जी के साथ मिलकर लंदन इंडिया सोसायटी का गठन किया, जिसका कार्य भारत के दुःख दर्दों का प्रचार करना था। 1892 ई. में लिबरल पार्टी के टिकट पर ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस के लिए चुने जाने वाले वे पहले भारतीय थे। दादाभाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक 'पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया' में स्पष्ट रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की आर्थिक दुरावस्था पर प्रकाश डाला तथा धन के बहिर्गमन अथवा धन के निकास सिद्धांत का सर्वप्रथम प्रतिपादन किया।