Solution:मूल रूप से हमारे संविधान में मौलिक कर्तव्यों का वर्णन नहीं था। हमारे संविधान में मौलिक कर्तव्यों की अवधारणा तत्कालीन सोवियत संघ से ली गई। नागरिकों के मौलिक कर्तव्य संविधान में वर्ष 1976 के 42वें संशोधन द्वारा (3-1-1977 से) जोड़े गए।इसके तहत भारतीय संविधान में भाग IV-A तथा अनुच्छेद 51-A जोड़ा गया, जिसमें मूलतः नागरिकों के लिए 10 मौलिक कर्तव्य थे; परंतु वर्ष 2002 के 86वें संविधान संशोधन द्वारा (1-4-2010 से) मौलिक कर्तव्यों की संख्या में एक वृद्धि कर दी गई तथा ये 10 से 11 हो गए। अनुच्छेद 51-A के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह-
(a) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे;
(b) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे;
(c) भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
(d) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
(e) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित समी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है;
(f) हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे;
(g) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्यजीव है, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणिमात्र के प्रति दया भाव रखे;
(h) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;
(i) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;
(j) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू ले;
(k) माता-पिता या संरक्षक, 6 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बच्चे या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा का अवसर प्रदान करे (यह कर्तव्य 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा जोड़ा गया)।
अतः उपर्युक्त प्रावधानों पर दृष्टिपात करने से यह स्पष्ट हो जाता है। कि आम चुनावों में मतदान मौलिक कर्तव्य नहीं है।