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ईसवी सन् के आरंभ में भारत ने चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम- एशिया, और रोमन सम्राज्य के साथ वाणिज्य संपर्क बनाए।
चौथी से छठी शताब्दियों के दौरान चीन गए भारतीय विद्वानों में गुणभद्र, बुद्धयश, जिनभद्र, परमार्थ, बोधि धर्म, धर्मगुप्त प्रमुख थे।
बौद्धों की एक बस्ती चीन स्थित 'तुनं-हुआड़' में बस गई, जहां से मरुभूमि के उस पार जाने वाली वणिकों की टोलियां अपनी यात्रा शुरू करती थीं।
1. भारत ने रेशम उपजाने का कौशल चीन से सीखा।
2. चीनियों ने बौद्ध चित्रकला भारत से सीखी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही हैं?
भारतीयों ने रेशम उपजाने का कौशल चीन से सीखा और चीनियों ने बौद्ध चित्रकला भारत से सीखी। अतः इस प्रकार कथन 1 और 2 दोनों सत्य हैं।
रामायण के दिनों से ही श्रीलंका के साथ भारत का संपर्क था। प्राचीन काल में श्रीलंका को ताम्रपर्णि के नाम से जाना जाता था।
1. अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म के प्रचारक श्रीलंका भेजे गए।
2. अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था।
ईसा-पूर्व तीसरी सदी में अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म के प्रचारक श्रीलंका भेजे गए। अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था।
समुद्रगुप्त के शासनकाल में श्रीलंका के शासक मेघवर्मा ने बोधगया में श्रीलंका के तीर्थयात्रियों के लिए एक विहारे बनवाने की अनुमति मांगी थी।
बौद्ध धर्म के दो प्रसिद्ध ग्रंथ दीपवंश और महावंश श्रीलंका में ही लिखे गए थे। श्रीलंका में समस्त पालि मूल ग्रंथ संगृहीत हुए और उन पर टिकाएं लिखी गईं।
1. नरसिंहवर्मन ने श्रीलंका के राजा से साम्राज्य छीना था।
2. चोल शासक राजराज प्रथम के शासनकाल में श्रीलंका चोल साम्राज्य का भाग था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हैं?
पल्लव शासक नरसिंहवर्मन ने श्रीलंका के राजा मानवर्मा को उनका राज्य प्राप्त करने में सहायता की थी। चोल शासक राजराज प्रथम के शासनकाल में श्रीलंका चोल साम्राज्य का भाग बना। इस प्रकार कथन 1 असत्य है, अतः सही उत्तर (b) है।
बर्मी लोगों ने बौद्ध धर्म की थेरवाद शाखा का विकास किया और बुद्ध की आराधना में अनेक मंदिर और प्रतिमाएं बनवाईं।