Solution:भारतीय परिषद अधिनियम, 1892 ने अप्रत्यक्ष चुनाव (Indirect Election) की एक सीमित और प्रारंभिक शुरुआत की। इस अधिनियम ने केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों में गैर-सरकारी सदस्यों की संख्या में वृद्धि की। यह पहली बार था।
कि कुछ गैर-सरकारी सीटों को जिला बोर्डों (District Boards), नगर पालिकाओं (Municipalities), विश्वविद्यालयों (Universities), व्यापार निकायों (Trade bodies) और जमींदारों (Zamindars) की सिफारिश पर भरा गया था। हालाँकि, इसमें "चुनाव" शब्द का स्पष्ट रूप से उपयोग नहीं किया गया था, लेकिन यह सीटों के आवंटन में भारतीय प्रतिनिधियों की भागीदारी की पहली औपचारिक शुरुआत थी।