Solution:माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत के अनुसार, यद्यपि जनसंख्या और खाद्य- सामग्री दोनों में वृद्धि होती है। परंतु वृद्धि दर में अंतर होने के कारण दोनों के मध्य असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। चूंकि जनसंख्या में वृद्धि ज्यामितीय दर से होती है अतः इसकी तुलना में गणितीय दर से बढ़ने वाली खाद्य-सामग्री पीछे रह जाती है। उदाहरण के लिए जहां 5 वर्षों में खाद्य-सामग्री में 1, 2, 3, 4, 5, अर्थात 5 गुनी वृद्धि होती है, वहीं जनसंख्या में इतनी ही अवधि में ज्यामितिक अनुपात से 1, 2, 4, 8, 16 अर्थात 16 गुनी वृद्धि हो जाती है। 5 और 16 (16-5 = 11) के मध्य का अंतर खाद्य और जनसंख्या के असंतुलन को प्रदर्शित करता है। माल्थस का कथन था कि यह असंतुलन भयंकर कष्टदायी परिणामों को उत्पन्न करता है। खाद्य-सामग्री और जीवन-स्तर में वृद्धि के साथ जनसंख्या बढ़ती है। उसने स्वयं लिखा है, "Prosperity was not to depend on population but population was to depend on prosperity."थामस रॉबर्ट माल्थस ने जनसंख्या नियंत्रण के दो प्रकार के प्रतिबंधों का उल्लेख किया है-
(1) नैसर्गिक या प्राकृतिक अवरोध (Positive or Natural Checks)
(2) प्रतिबंधात्मक अवरोध (Preventive Checks)
नैसर्गिक प्रतिबंध, वे प्रतिबंध हैं जो प्रकृति की ओर से लगाए जाते हैं। इसके द्वारा मृत्यु दर बढ़ जाती है फलतः खाद्य सामग्री से अतिरिक्त जनसंख्या भार कम होकर उसके बराबर हो जाती है। इन अवरोधों में युद्ध, बीमारी, अकाल, भूकंप, अतिवृष्टि, बाढ़ आदि अनेक प्राकृतिक प्रकोपों के साथ माल्थस ने खराब कार्य, बच्चों के असंतोषजनक पालन-पोषण एवं नागरिक जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों आदि को भी सम्मिलित किया है। माल्थस के अनुसार "प्रकृति की मेज सीमित अतिथियों के लिए ही लगी है, इसलिए जो बिना निमंत्रण के आएगा उसे भूखों मरना पड़ेगा।" उसने प्राकृतिक अवरोध को अत्यन्त दुःखद और कष्टमय कहा है। माल्थस ने जनसंख्या नियंत्रण का दूसरा प्रतिबंध मानवीय प्रयत्न को माना है। चूंकि प्राकृतिक प्रतिबंध मानव के लिए अत्यन्त दुःखद एवं कष्टकर हैं अतः मनुष्य को प्रतिबंधक अवरोधों से जनसंख्या पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए। इन अवरोधों को भी दो भागों में बांटा जा सकता है-
(i) नैतिक प्रतिबंध- वास्तव में नैतिक प्रतिबंध को ही माल्थस ने प्रतिबंधक अवरोध के रूप में मान्यता दी है। इनमें वे सब प्रतिबंध (उपाय) सम्मिलित हैं। जो मनुष्य अपने विवेक से जन्म दर को रोकने के लिए करता है- जैसे- संयम, ब्रह्मचर्य व विलम्ब-विवाह आदि।माल्थस ने केवल नैतिक प्रतिबंधों को ही उचित माना है तथा इन्हें ही अपनाकर जन्मदर पर नियंत्रण रखने की सलाह दी है। उसके अनुसार नैतिक प्रतिबंध (ब्रह्मचर्य) ही एक ऐसा तरीका है जिससे मानव जाति प्राकृतिक अवरोधों की मार (कष्ट) से बच सकती है।
(ii) कृत्रिम साधनों से अवरोध -इनके अंतर्गत जन्म नियंत्रण के उन समस्त मानव निर्मित साधनों को सम्मिलित किया जाता है, जिन्हें आज 'संतति निग्रह' के साधन कहा जाता है पर माल्थस ने इन्हें अधर्म (Vices) पाप (Sins) माना है। वह इनके प्रयोग का घोर विरोधी था।
इस प्रकार एक पादरी होने के नाते माल्थस न केवल नैतिक प्रतिबंधों को अपनाकर जनसंख्या (जन्म दर) को कम करने का सुझाव दिया है, बल्कि उसने सुझाव रखा था कि जनसंख्या बढ़ाने में लोगों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे विवेक से काम लें भविष्य पर बिना गम्भीरता से विचार के विवाह के लिए आतुर न हों।