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मिट्टी की अम्लीय प्रकृति हाइड्रोजन की उच्च सांद्रता द्वारा दर्शाई जाती है।
अपशिष्ट का संचय पर्यावरण कार्य नहीं है, जबकि जीवन निर्वाह, संसाधनों की आपूर्ति करना तथा जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना पर्यावरण कार्य के अंतर्गत शामिल हैं।
स्तरीकृत रेत और बजरी की एक लंबी, विसर्पी कटक को एस्केर के रूप में जाना जाता है।
जूट भारत के बाढ़ वाले मैदानों में सु-अपवाहित मृदा पर अच्छी तरह से उगता है, जहां प्रत्येक वर्ष मृदा नवीनीकृत होती रहती है।
(1) वन मृदा - वे नदी घाटी के किनारों में दोमट और सिल्टदार होती है।
(II) काली मृदा - सामान्यतः फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
वन मृदा का निर्माण उन वन क्षेत्रों में होता है, जहां पर्याप्त वर्षा होती है। वन मृदा नदी घाटी के किनारों में दोमट और सिल्टदार होती है। काली मिट्टी जिसे स्थानीय रूप से रेगुर / रेगड़ के नाम से जाना जाता है, इसमें फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
गेहूं की खेती सु-अपवाहित दोमट मृदा में सर्वोत्तम ढंग से होती है।
मिट्टी की ऊपरी मृदा परत में ह्यूमस की सांद्रता सर्वाधिक होती है। जैसे-जैसे हम गहराई में जाते हैं ह्यूमस की मात्रा कम होती जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अधिकांश जीवित जीव एवं वनस्पति मिट्टी की सबसे ऊपरी परत में ही जीवाश्म के रूप में दबे रहते हैं।
दक्कन के पठार के पूर्वी और दक्षिणी भाग में कम वर्षा वाले क्षेत्रों में क्रिस्टलीय आग्नेय चट्टानों पर लाल मिट्टी विकसित होती है।
पंजाब राज्य उपजाऊ मिट्टी के प्राकृतिक संसाधन से समृद्ध है। पंजाब को उपजाऊ कृषि भूमि के कारण "भारत का अन्न भंडार" कहा जाता है।
आयरन मिट्टी द्वारा प्रदत्त किए जाने वाले सूक्ष्म पोषक तत्व का उदाहरण है। मृदा से प्राप्त सूक्ष्म पोषक तत्व इस प्रकार हैं-बोरॉन, कॉपर, आयरन, मैंगनीज, मोलिब्डेनम, निकल, जिंक आदि।