मुगलकालीन प्रशासन (UPPCS)

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11. निम्नलिखित बातों में से कौन एक मुगल मनसबदारी व्यवस्था के विषय में सत्य नहीं है? [U. P. P. C. S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (c) उनका 'सवार' पद 'जात' पद से अधिक हो सकता था।
Solution:मनसबदारी व्यवस्था के अंतर्गत 33 वर्ग थे। उन्हें मशरुत अथवा सशर्त पद प्राप्त होते थे। अकबर ने 40वें वर्ष में जात एवं सवार जैसे दोहरी व्यवस्था लागू की। जिस मनसबदार से अपने जात या व्यक्तिगत दर्ज के अनुरूप सवार रखने की अपेक्षा की जाती थी, उसे उसके दर्ज की पहली कोटि में, जिससे जात के आधे सवार रखना अपेक्षित था, उसे दूसरी कोटि में और जिससे जात के आधे से भी कम सवार रखना अपेक्षित था, उसे तीसरी कोटि में रखा जाता था। सवार पद, जात पद से कभी ऊपर नहीं हो सकता था। इस व्यवस्था में सैनिक और असैनिक अधिकारियों का एक ही सेवा-संवर्ग था। लोग अधिकतर सरकारी सेवा में निम्नतम सोपान पर प्रवेश करके अमीर या अमीर-ए- उम्दा के दर्जे तक ऊपर जाने की आशा कर सकते थे।

12. मुगल मनसबदारी व्यवस्था के बारे में निम्न कथनों पर विचार कीजिए एवं नीचे दिए कूट से सही उत्तर चुनिए- [U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Mains) 2010 & U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010]

1. 'जात' एवं 'सवार' पद प्रदान किए जाते थे।

2. मनसबदार आनुवंशिक अधिकारी होते थे।

3. मनसबदारों के तीन वर्ग थे।

4. दीवान कार्यालय द्वारा इनको वेतन दिया जाता था।

कूट :

Correct Answer: (d) केवल 1 एवं 3 सही हैं।
Solution:मनसब शब्द का अर्थ 'श्रेणी' अथवा 'पद' है तथा 'मनसबदार' का अर्थ उस अधिकारी से था, जिसे शाही सेना में पद अथवा श्रेणी प्राप्त थी। अकबर की मनसबदारी व्यवस्था दशमलव प्रणाली पर आधारित थी। अकबर ने मनसबदारी व्यवस्था में 'जात' और 'सवार' के पदों को आरंभ किया। डॉ. ए.एल. श्रीवास्तव के अनुसार, 'जात' का पद हाथी, घोड़े आदि सभी की संख्या का द्योतक था, जबकि 'सवार' का पद केवल घुड़सवारों की संख्या को निश्चित करता था। मनसबदारों के तीन वर्ग थे, जिनमें प्रथम श्रेणी के अंतर्गत वे आते थे, जो निर्धारित मनसब की संख्या के बराबर सवार रखते थे। दूसरी श्रेणी में वे मनसबदार थे, जिनकी सवार संख्या उनके निर्धारित मनसब का आधा या आधे से अधिक होती थी। तृतीय श्रेणी में वे मनसबदार थे, जिनकी सवार संख्या निर्धारित मनसब के आधे से कम होती थी। मनसबदार  आनुवंशिक अधिकारी नहीं होते थे। इन्हें वेतन नकद अथवा जागीर के रूप में प्रदान किया जाता था। इस प्रकार कूट (d) सही उत्तर है।

13. मुगल भारत के संदर्भ में, जागीरदार और जमींदार के बीच क्या अंतर है/हैं? [I.A.S. (Pre) 2019]

1. जागीरदारों के पास न्यायिक और पुलिस दायित्वों के एवज में भूमि आवंटनों का अधिकार होता था, जबकि जमींदारों के पास राजस्व अधिकार होते थे तथा उन पर राजस्व उगाही को छोड़कर अन्य कोई दायित्व पूरा करने की बाध्यता नहीं होती थी।

2. जागीरदारों को किए गए भूमि आबंटन वंशानुगत होते थे और जमींदारों के राजस्व अधिकार वंशानुगत नहीं होते थे।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (d) न तो 1, न ही 2
Solution:मुगल प्रशासनिक प्रणाली में मनसबदार सैन्य और प्रशासनिक अधिकारी होता था। मनसबदार को सैन्य और प्रशासनिक व्यय तथा वेतन के बदले नकद या जागीर के रूप में भुगतान होता था। जिन मनसबदारों को जागीर प्राप्त होती थी, वे 'जागीरदार' कहलाते थे। इन्हें न्यायिक और प्रशासनिक दायित्वों के एवज़ में भूमि आबंटन अधिकार प्राप्त होते थे, तथापि इनके भूमि अधिकार केवल सेवाकाल तक ही रहते थे। इसके विपरीत जमींदार पहले से चले आ रहे बड़े भू-धारक होते थे। इनका कार्य अपने प्रभाव क्षेत्र से भू-राजस्व संग्रह कर राज्य को देना होता था, जिसके बदले उन्हें लगभग 10-11 प्रतिशत (कतिपय क्षेत्रों में यह 25 प्रतिशत तक था) संग्रह शुल्क प्राप्त होता था। इनके राजस्व अधिकार वंशानुगत होते थे तथा इनका मुख्य उत्तरदायित्व तो राजस्व उगाही होता था; परंतु इसके अतिरिक्त भी वे कुछ विशिष्ट प्रकार की सेवाएं (खिदमत) राज्य को देते थे। अपने क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने तथा विद्रोही तत्वों से निपटने में राज्य के अधिकारियों की सहायता के अतिरिक्त ये आवश्यकता पड़ने पर अपने सैनिक संसाधन भी राज्य को उपलब्ध कराते थे। इस प्रकार प्रश्नगत दोनों ही कथन सही नहीं हैं।

14. मुगलकालीन भारत में राज्य की आय का प्रमुख स्रोत क्या था? [U.P. P.C.S. (Pre) 1995]

Correct Answer: (c) भू-राजस्व
Solution:मध्यकालीन भारत में राज्य की आय का प्रमुख स्रोत भू-राजस्व था। बाबर के समय में संपूर्ण भूमि को जागीरों में बांट दिया गया। हुमायूं ने अपने समय में भूमि-सुधार के लिए कोई कार्य नहीं किया। शेरशाह ने अपने समय में एक सुव्यवस्थित लगान-व्यवस्था का प्रबंध किया; परंतु वह व्यवस्था इस्लाम शाह की मृत्यु के पश्चात नष्ट हो गई। अकबर, प्रथम मुगल सम्राट था, जिसने लगान व्यवस्था को सुचारू रूप से स्थापित किया और मध्य युग की श्रेष्ठतम लगान पद्धति का निर्माण किया। उसके शासनकाल में सामान्यतः उपज का 1/3 भाग भू-राजस्व के रूप में लिया जाता था। शाहजहां के काल में भूमि पर भू-राजस्व बढ़कर 50 प्रतिशत तक हो गया था। उसने भू-राजस्व वसूल करने के लिए ठेकेदारी प्रथा का प्रचलन शुरू किया।

15. मुगल प्रशासनिक शब्दावली में 'माल' प्रतिनिधित्व करता है- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]

Correct Answer: (a) भू-राजस्व का
Solution:मुगल प्रशासनिक शब्दावली में 'माल' शब्द भू-राजस्व से संबंधित था।

16. मुगल सम्राट जिसने तंबाकू के प्रयोग पर निषेध लगाया था- [U.P.P.C.S. (Mains) 2005 & Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (c) जहांगीर
Solution:पुर्तगालियों द्वारा 1605 ई. में तंबाकू भारत लाया गया, इसके बाद ही तंबाकू भारत के जनसामान्य में बहुत लोकप्रिय हो गया। कुछ ही वर्षों में तंबाकू पीने की आदत लोगों में इतनी अधिक प्रचलित हो गई कि इस नुकसानदेह आदत से बचने के लिए 1617 ई. में जहांगीर को निषेध जारी करना पड़ा।

17. मुगल प्रशासन में 'मदद-ए-माश' इंगित करता है- [46th B.P.S.C. (Pre) 2003]

Correct Answer: (b) विद्वानों को दी जाने वाली राजस्व मुक्त अनुदत्त भूमि
Solution:मुगल प्रशासन में विद्वानों एवं धार्मिक लोगों को दी जाने वाली राजस्व मुक्त अनुदान भूमि को 'मदद-ए-माश' कहा जाता था, इसे 'सयूरगल' भी कहा जाता था। दान दी जाने वाली समस्त भूमि का निरीक्षण सद्र करता था तथा सद्र का यह भी दायित्व था कि इन अनुदानों का दुरुपयोग न होने पाए। यह भूमि स्थानांतरित नहीं होती थी और अनुदान ग्राही के पास वंशानुगत रूप से रहती थी।

18. मध्यकालीन भारत के ऐतिहासिक स्रोतों में चकला शब्द का प्रयोग हुआ है। यह - [U.P.P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (c) सूबा और परगना के बीच की क्षेत्रीय इकाई था, लेकिन सरकार के समानार्थी नहीं था।
Solution:मुगल काल में प्रशासन की सुविधा की दृष्टि से प्रत्येक प्रांत को अनेक सरकारों अथवा जिलों में विभाजित किया गया था। प्रत्येक सरकार अनेक परगनों में विभाजित था। प्रत्येक परगने के अंतर्गत अनेक गांव होते थे। शाहजहां के काल में कुछ परगनों को एक में मिलाकर एक नई इकाई 'चकला' का संगठन किया गया।

19. मनसबदारी व्यवस्था के संदर्भ में, कौन-सा कथन सही है/हैं? [U.P.P.C.S. (Pre) 2019]

1. मनसबदारी व्यवस्था राज्य के कुलीन वर्ग से संबंधित थी, जिसे अकबर ने प्रारंभ किया।

2. मनसबदारी का पद पैतृक था।

नीचे दिए गए कूटों से सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:मुगल काल में मनसबदारी पद्धति की शुरुआत अकबर के काल में उसके शासन के 19वें वर्ष (1574-75 ई.) से मानी जाती है, जिसमें जात और सवार पद का विभाजन उसके शासनकाल के 40वें वर्ष में किया गया था। मनसब मुगल नौकरशाही में पद और वरीयता क्रम निर्धारित करता था। यह प्रशासनिक और सैन्य पद था। मनसबदारों की नियुक्ति और उनका वरीयता क्रम बादशाह निर्धारित करता था तथा केवल सेवाकाल तक ही यह पद रहता था; अर्थात यह वंशानुगत (पैतृक) पद नहीं था।

20. कथन (A): मुगलकाल में मनसबदारी प्रथा विद्यमान थी। [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]

कारण (R) : मनसबदारों का चयन योग्यता के आधार पर होता था।

Correct Answer: (b) कथन और कारण दोनों सही हैं; परंतु कारण, कथन को स्पष्ट नहीं करता है।
Solution:मनसबदारी व्यवस्था मूगल प्रशासनिक व्यवस्था का मूलाधार थी, अकबर के शासनकाल के 19वें वर्ष में पहली बार मनसब प्रदान किए जाने का साक्ष्य मिलता है। मुख्यतः मनसबदारों के चयन में योग्यता ही मानदंड होती थी। इस प्रकार कथन और कारण दोनों सही हैं; परंतु कारण, कथन को स्पष्ट नहीं करता है।