मूल अधिकार= भाग= 3

Total Questions: 54

1. (b) मौलिक अधिकार [U.P.P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (a) संवैधानिक अधिकार
Note:

मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवर्तित कराए जा सकते हैं। यह अनुच्छेद मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए संवैधानिक उपचारों का प्रावधान करता है।

 

2. निम्नलिखित में से किस एक अधिकार को डॉ. बी.आर. अम्बेडकर द्वारा संविधान की आत्मा कहा गया है? [I.A.S. (Pre) 2002 U.P. P.S.C. (GIC) 2010 U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004 U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) संवैधानिक उपचार का अधिकार
Note:

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 अर्थात संवैधानिक उपचारों के अधिकार को 'संविधान की आत्मा' कहा है। उनका कथन है- "यदि मुझसे पूछा जाए कि संविधान में कौन-सा विशेष अनुच्छेद सबसे महत्वपूर्ण है, जिसके बिना यह संविधान शून्य हो जाएगा, तो मैं इसके सिवाय किसी दूसरे अनुच्छेद का नाम नहीं लूंगा। यह संविधान की आत्मा है"। यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि संविधान की उद्देशिका को भी संविधान की आत्मा माना गया है। संविधान का अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचार का अधिकार प्रदान करता है। इसका उद्देश्य मूल अधिकारों के संरक्षण हेतु गारंटी तथा प्रभावी, सुलभ और संज्ञेय उपचारों की व्यवस्था करना है।

 

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [U.P.P.C.S. (Pre) 2016]

कथन (A): संविधान के अनुच्छेद 32 को डॉ. अम्बेडकर ने इसकी आत्मा कहा था।

कारण (R) : अनुच्छेद 32, मौलिक अधिकारों के अतिक्रमण के विरुद्ध प्रभावी उपचार का प्रावधान करता है।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए :

 

Correct Answer: (a) (A) तथा (R) दोनों ही सही हैं और (A) का सही स्पष्टीकरण (R) है।
Note:

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 अर्थात संवैधानिक उपचारों के अधिकार को 'संविधान की आत्मा' कहा है। उनका कथन है- "यदि मुझसे पूछा जाए कि संविधान में कौन-सा विशेष अनुच्छेद सबसे महत्वपूर्ण है, जिसके बिना यह संविधान शून्य हो जाएगा, तो मैं इसके सिवाय किसी दूसरे अनुच्छेद का नाम नहीं लूंगा। यह संविधान की आत्मा है"। यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि संविधान की उद्देशिका को भी संविधान की आत्मा माना गया है। संविधान का अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचार का अधिकार प्रदान करता है। इसका उद्देश्य मूल अधिकारों के संरक्षण हेतु गारंटी तथा प्रभावी, सुलभ और संज्ञेय उपचारों की व्यवस्था करना है।

 

4. नीचे उच्चतम न्यायालय को मौलिक अधिकारों के हनन रोकने के लिए रिट जारी करने की शक्ति के संबंध में दो कथन दिए गए हैं- [U.P.P.C.S. (Pre) 2023]

1. उच्चतम न्यायालय को यह शक्ति प्रदत्त है कि वह बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार- पृच्छा और उत्प्रेषण रिट, जो भी मूल अधिकारों को लागू करने के लिए समुचित हो, उस रिट का प्रयोग कर सकता है।

2. संसद को अधिकार है कि वह कानून बना कर किसी अन्य न्यायालय को अपनी आधिकारिक स्थानीय सीमाओं के भीतर उच्चतम न्यायालय की दी गई इन शक्तियों का प्रयोग कर सकती है।

उपर्युक्त कथनों से कौन-सा/से उत्तर सही है/हैं? नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए -

 

Correct Answer: (d) 1 और 2 दोनों
Note:

संविधान के अनुच्छेद 32 के खंड (2) के तहत उच्चतम न्यायालय को यह शक्ति प्रदत्त है कि वह मूल अधिकारों में से किसी को लागू कराने के लिए ऐसे निदेश या आदेश या रिट, जिनके अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा और उत्प्रेषण रिट हैं, जो भी समुचित हो, का प्रयोग कर सकता है। इस प्रकार कथन 1 सही है।

संविधान के अनुच्छेद 32 के खंड (3) के अनुसार, उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त शक्तियों पर प्रभाव डाले बिना, संसद, उच्चतम न्यायालय द्वारा खंड (2) के अधीन प्रयोक्तव्य किन्हीं या सभी शक्तियों का किसी अन्य न्यायालय को अपनी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर प्रयोग करने के लिए विधि द्वारा सशक्त कर सकेगी। इस प्रकार कथन 2 भी सही है।

 

5. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत का उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए विभिन्न 'रिट' जारी करने का अधिकार रखता है? [Jharkhand P.C.S. (Mains) 2016]

Correct Answer: (a) अनुच्छेद 32
Note:

भारतीय संविधान के भाग III द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत सांविधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान किया गया है। इस अनुच्छेद के खंड (2) के तहत भारत के उच्चतम न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए विभिन्न 'रिट' (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा और उत्प्रेषण) निकालने की शक्ति है। अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को अपने राज्यक्षेत्र के संदर्भ में भाग III द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए और किसी अन्य प्रयोजन के लिए विभिन्न 'रिट' निकालने का अधिकार है।

 

6. निम्नलिखित में से किस एक प्रलेख को किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का महानतम रक्षक माना जाता है? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]

Correct Answer: (b) बंदी प्रत्यक्षीकरण
Note:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय को मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए पांच प्रकार के रिट (प्रलेख) जारी करने की शक्ति प्राप्त है- (i) बंदी प्रत्यक्षीकरण, (ii) परमादेश, (iii) प्रतिषेध, (iv) उत्प्रेषण और (v) अधिकार-पृच्छा।

 

बंदी प्रत्यक्षीकरण प्रलेख को किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का महानतम रक्षक माना जाता है। यह उस व्यक्ति के संबंध में न्यायालय द्वारा जारी आदेश है, जिसे दूसरे के द्वारा हिरासत में रखा गया है। इसके द्वारा बंदीकरण अधिकारी को आदेश दिया जाता है कि बंदी व्यक्ति को निश्चित समय के अंदर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे।

 

7. व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए उच्च न्यायालय निम्नलिखित में से किस रिट को जारी कर सकता है ? [U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]

Correct Answer: (c) बंदी प्रत्यक्षीकरण
Note:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार, उच्च न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) रिट को जारी कर सकता है। बंदी-प्रत्यक्षीकरण का अर्थ है व्यक्ति को सशरीर उपस्थित करने की मांग। यह उस मामलों में लागू होती है, जहां किसी व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि उसे अवैध रूप से निरुद्ध किया गया है। यदि निरोध को अवैध पाया जाता है, तो निरुद्ध व्यक्ति को तत्क्षण आजाद कर दिया जाता है। चूंकि 44वें संविधान संशोधन के बाद अनुच्छेद 20 एवं 21 का आपात की घोषणा के काल में भी निलंबन नहीं किया जा सकता, अतः व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वातंत्र्य की सुरक्षा के लिए यह एक अति महत्वपूर्ण रिट हो गई है।

उल्लेखनीय है कि जहां उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को केवल मूल अधिकारों के उल्लंघन की दशा में राज्य के विरुद्ध जारी कर सकता है, वहीं उच्च न्यायालय उसे उन व्यक्तियों के खिलाफ भी जारी कर सकता है, जो अवैध या मनमाने ढंग से किसी अन्य व्यक्ति को निरुद्ध करते हैं।

 

8. व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के लिए निम्नलिखित में से कौन-सी रिट (writ) याचिका दायर की जा सकती है? [M.P.P.C.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (c) हैबियस कार्पस
Note:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार, उच्च न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) रिट को जारी कर सकता है। बंदी-प्रत्यक्षीकरण का अर्थ है व्यक्ति को सशरीर उपस्थित करने की मांग। यह उस मामलों में लागू होती है, जहां किसी व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि उसे अवैध रूप से निरुद्ध किया गया है। यदि निरोध को अवैध पाया जाता है, तो निरुद्ध व्यक्ति को तत्क्षण आजाद कर दिया जाता है। चूंकि 44वें संविधान संशोधन के बाद अनुच्छेद 20 एवं 21 का आपात की घोषणा के काल में भी निलंबन नहीं किया जा सकता, अतः व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वातंत्र्य की सुरक्षा के लिए यह एक अति महत्वपूर्ण रिट हो गई है।

उल्लेखनीय है कि जहां उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को केवल मूल अधिकारों के उल्लंघन की दशा में राज्य के विरुद्ध जारी कर सकता है, वहीं उच्च न्यायालय उसे उन व्यक्तियों के खिलाफ भी जारी कर सकता है, जो अवैध या मनमाने ढंग से किसी अन्य व्यक्ति को निरुद्ध करते हैं।

 

9. सुमेलित कीजिए : [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]

सूची-I सूची-II
A. बंदी प्रत्यक्षीकरण (i) पूर्णतया सूचित कीजिए
B. परमादेश (ii) किस अधिकार से
C. प्रतिषेध (iii) हम आदेश देते हैं
D. उत्प्रेषण (iv) हमें शरीर चाहिए
E. अधिकार पृच्छा (v) अधीनस्थ न्यायालय का लेख

 

A

B

C

D

E

(a)

i

iv

v

iii

i

(b)

iv

iii

v

ii

i

(c)

iv

iii

v

i

ii

(d)

iv

v

iii

i

ii

(e)

iii

ii

i

v

iv

Correct Answer: (c)
Note:

सही सुमेलित हैं-

सूची-I सूची-II
बंदी प्रत्यक्षीकरण हमें शरीर चाहिए
परमादेश हम आदेश देते हैं
प्रतिषेध अधीनस्थ न्यायालय का लेख
उत्प्रेषण पूर्णतया सूचित कीजिए
अधिकार पृच्छा किस अधिकार से

10. निम्नांकित में से कौन-सा सही सुमेलित नहीं है? [U.P. P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (c) प्रतिषेध - 'टू बी सर्टिफाइड'
Note:

'टू बी सर्टिफाइड' उत्प्रेषण रिट के लिए प्रयुक्त शब्दार्थ है, न कि प्रतिषेध रिट के लिए। शेष युग्म सही सुमेलित हैं।