मूल अधिकार= भाग= 3

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21. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की मूल संरचना सिद्धांत (बुनियादी ढांचा सिद्धांत) का प्रतिपादन निम्नलिखित में से किस मुकदमे में किया है? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]

Correct Answer: (c) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
Note:

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के वाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान की मूल संरचना (बुनियादी ढांचा) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया था, जिसका अनुमोदन मिनर्वा मिल्स (1980) के वाद में भी किया गया।

 

22. निम्नलिखित में से किस वाद ने भारतीय संविधान के मूल संरचना के सिद्धांत की रूपरेखा प्रतिपादित की ? [U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]

Correct Answer: (c) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
Note:

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के वाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान की मूल संरचना (बुनियादी ढांचा) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया था, जिसका अनुमोदन मिनर्वा मिल्स (1980) के वाद में भी किया गया।

 

23. मूल अधिकारों से संबंधित निम्नांकित निर्णयों का सही कालानुक्रम चुनिए : [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]

(A) गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य

(B) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य

(C) मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ

(D) ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य

सही उत्तर का चयन कीजिए :

 

Correct Answer: (c) (D), (A), (B), (C)
Note:

मूल अधिकारों से संबंधित निर्णयों का सही कालानुक्रम इस प्रकार है-

(D) ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)

(A) गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)

(B) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)

(C) मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980)

 

24. भारत में संपत्ति के अधिकार की क्या स्थिति है? [I.A.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) यह विधिक अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति को प्राप्त है।
Note:

44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग 12 (वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद) के अध्याय 4 (संपत्ति का अधिकार) के रूप में अंतःस्थापित किया गया है। इसके अनुच्छेद 300-क (विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। अतः यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत में संपत्ति का अधिकार एक विधिक या कानूनी अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति (नागरिक या गैर-नागरिक) को प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि नई एनसीईआरटी के अद्यतन संस्करण में संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में उल्लिखित किया गया है।

 

25. संपत्ति का अधिकार निम्न में से कौन-सी श्रेणी में सम्मिलित है? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) कानूनी अधिकार
Note:

44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग 12 (वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद) के अध्याय 4 (संपत्ति का अधिकार) के रूप में अंतःस्थापित किया गया है। इसके अनुच्छेद 300-क (विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। अतः यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत में संपत्ति का अधिकार एक विधिक या कानूनी अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति (नागरिक या गैर-नागरिक) को प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि नई एनसीईआरटी के अद्यतन संस्करण में संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में उल्लिखित किया गया है।

 

26. संपत्ति का अधिकार एक [U.P.P.C.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (e) (c) & (d)
Note:

44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग 12 (वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद) के अध्याय 4 (संपत्ति का अधिकार) के रूप में अंतःस्थापित किया गया है। इसके अनुच्छेद 300-क (विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। अतः यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत में संपत्ति का अधिकार एक विधिक या कानूनी अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति (नागरिक या गैर-नागरिक) को प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि नई एनसीईआरटी के अद्यतन संस्करण में संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में उल्लिखित किया गया है।

 

27. निम्नलिखित कथनों को पढ़िए तथा सही विकल्प को चुनिए- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]

कथन I : 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया।

कथन II: संपत्ति के अधिकार को संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300-A के तहत विधिक अधिकार बना दिया गया।

 

Correct Answer: (c) कथन I एवं कथन II दोनों ही सही हैं।
Note:

44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग 12 (वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद) के अध्याय 4 (संपत्ति का अधिकार) के रूप में अंतःस्थापित किया गया है। इसके अनुच्छेद 300-क (विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। अतः यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत में संपत्ति का अधिकार एक विधिक या कानूनी अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति (नागरिक या गैर-नागरिक) को प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि नई एनसीईआरटी के अद्यतन संस्करण में संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में उल्लिखित किया गया है।

 

28. वर्तमान समय में भारतीय संविधान के अंतर्गत संपत्ति का अधिकार है एक- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) वैधानिक अधिकार
Note:

44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग 12 (वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद) के अध्याय 4 (संपत्ति का अधिकार) के रूप में अंतःस्थापित किया गया है। इसके अनुच्छेद 300-क (विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। अतः यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत में संपत्ति का अधिकार एक विधिक या कानूनी अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति (नागरिक या गैर-नागरिक) को प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि नई एनसीईआरटी के अद्यतन संस्करण में संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में उल्लिखित किया गया है।

 

29. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2005]

1. अनुच्छेद 301 संपत्ति के अधिकार से संबद्ध है

2. संपत्ति का अधिकार एक विधिक अधिकार है, किंतु यह मूल अधिकार नहीं है

3. भारत के संविधान में अनुच्छेद 300-क को उस समय केंद्र में कांग्रेस सरकार द्वारा 44 वें संविधान संशोधन से अंतःस्थापित किया गया था।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हैं?

 

Correct Answer: (a) केवल 2
Note:

अनुच्छेद 301 व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता से संबंधित है न कि संपत्ति के अधिकार से। अतः कथन-1 गलत है। 44 वें संशोधन (1978) के पश्चात संपत्ति का अधिकार एक विधिक अधिकार है न कि मूल अधिकार। इस संशोधन द्वारा संपत्ति का अधिकार भाग 12 के अनुच्छेद 300-क में विधिक अधिकार के रूप में प्रतिस्थापित किया गया है। अतः कथन-2 सत्य है। भारतीय संविधान का 44वां संशोधन (1978) तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार द्वारा किया गया था, अतः

कथन-3 गलत है। इस प्रकार विकल्प (a) सही उत्तर होगा।

 

30. निम्नलिखित में से किसके द्वारा संपत्ति के मूल अधिकार का लोप किया गया ? [U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Mains) 2010]

Correct Answer: (c) संविधान (चौवालीसवां संशोधन) अधिनियम द्वारा
Note:

संविधान के 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 (20-6-1979 से प्रभावी) द्वारा संपत्ति के मूल अधिकार का लोप किया गया तथा इसे विधिक या कानूनी अधिकार का दर्जा दिया गया। तत्समय मोरारजी देसाई जनता पार्टी शासन में प्रधानमंत्री थे।