Correct Answer: (b) यह विधिक अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति को प्राप्त है।
Note: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग 12 (वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद) के अध्याय 4 (संपत्ति का अधिकार) के रूप में अंतःस्थापित किया गया है। इसके अनुच्छेद 300-क (विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। अतः यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत में संपत्ति का अधिकार एक विधिक या कानूनी अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति (नागरिक या गैर-नागरिक) को प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि नई एनसीईआरटी के अद्यतन संस्करण में संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में उल्लिखित किया गया है।