मौर्य साम्राज्य (UPPCS)

Total Questions: 51

31. अशोक के निम्नलिखित अभिलेखों में से किसमें दक्षिण भारतीय राज्यों का उल्लेख हुआ है? [U.P.P.C.S (Mains) 2016]

Correct Answer: (b) द्वितीय मुख्य शिलालेख
Note:

अशोक के अभिलेखों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है- (1) शिलालेख, (2) स्तंभ लेख एवं (3) गुहालेख। अशोक के द्वितीय बृहत शिलालेख में दक्षिण भारतीय राज्यों- चोल, पाण्ड्य, सतियपुत्त, केरलपुत्त आदि का उल्लेख मिलता है।

 

32. भारत का प्रथम अस्पताल एवं औषधि-बाग निर्माण करवाया था- [U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]

Correct Answer: (a) अशोक ने
Note:

सम्राट अशोक युद्ध के लिए इतना प्रसिद्ध नहीं हुआ, जितना एक धम्म विजेता एवं लोकोपकारी कार्यों से प्रसिद्ध हुआ। वह न केवल मानव वरन संपूर्ण प्राणी जगत के प्रति उदारता का दृष्टिकोण रखता था। इसी कारण उसने पशु-पक्षियों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया था। अशोक ने लोकहित के लिए छायादार वृक्ष, धर्मशालाएं बनवाईं तथा कुएं भी खुदवाए। अशोक ने ही अपने शासनकाल में मनुष्यों व पशुओं के लिए उपयोगी औषधियों हेतु प्रथम अस्पताल (औषधालय) एवं औषधि-बागों का निर्माण करवाया।

 

33. "अशोक ने बौद्ध होते हुए भी हिंदू धर्म में आस्था नहीं छोड़ी" इसका प्रमाण है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]

Correct Answer: (c) 'देवनामप्रिय' की उपाधि
Note:

अशोक 273 ई.पू. के लगभग मगध के राजसिंहासन पर बैठा तथा 269 ई.पू. के लगभग उसका राज्याभिषेक हुआ। उसके लगभग अभिलेखों में उसे 'देवनामप्रिय' (देवानामपिय), 'देवानां पियदसि' कहा गया है, जिसका अर्थ है-देवताओं का प्रिय या देखने में सुंदर। इससे उसकी हिंदू धर्म में आस्था के संकेत मिलते हैं।

 

34. निम्नलिखित में से किस स्रोत में अशोक के राज्यकाल में तृतीय बौद्ध समिति होने का उल्लेख मिलता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 1999]

(1) अशोक के अभिलेख

(2) दीपवंश

(3) महावंश

(4) दिव्यावदान

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-

Correct Answer: (b) 2, 3
Note:

सिंहली अनुश्रुतियों-दीपवंश तथा महावंश के अनुसार, अशोक के राज्यकाल में 'पाटलिपुत्र' में बौद्ध धर्म की तृतीय संगीति हुई। इसकी अध्यक्षता 'मोग्गलिपुत्त तिस्स' नामक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु ने की थी।

 

35. अशोक के शासनकाल में बौद्ध सभा किस नगर में आयोजित की गई थी? [45th B.P.S.C. (Pre) 2001]

Correct Answer: (b) पाटलिपुत्र
Note:

सिंहली अनुश्रुतियों-दीपवंश तथा महावंश के अनुसार, अशोक के राज्यकाल में 'पाटलिपुत्र' में बौद्ध धर्म की तृतीय संगीति हुई। इसकी अध्यक्षता 'मोग्गलिपुत्त तिस्स' नामक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु ने की थी।

 

36. निम्नलिखित मौर्य शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]

1. चंद्रगुप्त

2. अशोक

3. बिंदुसार

4. दशरथ

सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (d) 2 एवं 4
Note:

मौर्य शासकों अशोक और उसका पौत्र दशरथ बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।

दशरथ भी अशोक की तरह 'देवानामपिय' की उपाधि धारण करता था।

37. रज्जुक थे- [U.P.P.C.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (b) मौर्य शासन में अधिकारी
Note:

अशोक के अभिलेखों में 'रज्जुक' नामक अधिकारी का उल्लेख मिलता है। अपने चौथे स्तंभ लेख में अशोक रज्जुकों में पूर्ण विश्वास प्रकट करते हुए कहता है-"जिस प्रकार माता-पिता योग्य धात्री के हाथों में बच्चे को सौंप कर आश्वस्त हो जाते हैं, उसी प्रकार मैंने ग्रामीण जनता के सुख के लिए रज्जुकों की नियुक्ति की है।"

 

38. सार्थवाह किसे कहते थे? [U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]

Correct Answer: (b) व्यापारियों के काफिले को
Note:

मौर्य काल में व्यापारिक काफिलों (कारवां) को सार्थवाह की संज्ञा दी गई थी। अमरकोश के टीकाकार क्षीरस्वामिन ने लिखा है कि "जो पूंजी द्वारा व्यापार करने पान्थों को अगुआ (प्रमुख या अध्यक्ष) हो, वह सार्थवाह है (सार्थान् सघनान् सरतो वा पान्थान् वहति सार्थवाहः)।अतः प्रश्नगत विकल्पों में इसका निकटतम उत्तर विकल्प (b) होगा।

 

39. निम्नलिखित में से कौन-सा अधिकारी मौर्य प्रशासन का भाग नहीं था? [R.A.S./R.T.S. (Pre) (Re-Exam) 2013]

Correct Answer: (a) अग्रहारिक
Note:

अशोक के लेखों में उसके प्रशासन के कुछ महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के नाम मिलते हैं। अशोक के तृतीय शिलालेख में तीन पदाधिकारियों के नाम मिलते हैं। ये तीनों पदाधिकारी हैं-

1. युक्त-ये जिले के अधिकारी होते थे, जो राजस्व वसूल करते थे।

2. रज्जुक ये पहले केवल राजस्व विभाग का ही कार्य करते थे; किंतु बाद में उन्हें न्यायिक अधिकार भी प्रदान कर दिया गया।

3. प्रादेशिक-यह मंडल का प्रधान अधिकारी था। इसे न्याय का भी कार्य करना पड़ता था।

40. सारनाथ स्तंभ का निर्माण किया था- [U.P. Lower Sub. (Spl.) Pre 2008]

Correct Answer: (b) अशोक ने
Note:

सारनाथ स्तंभ का निर्माण अशोक ने कराया था। इस स्तंभ के शीर्ष पर चार सिंहों की आकृति बनी है, जो शक्ति का प्रतीक है। इस प्रतिकृति को भारत सरकार ने अपने प्रतीक चिह्न के रूप में लिया है। यह स्तंभ मौर्ययुगीन वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण है। मौर्ययुगीन सभी स्तंभ चुनार के बलुआ पत्थरों से निर्मित हैं।