मौर्य साम्राज्य (UPPCS)

Total Questions: 51

41. निम्नलिखित में से किसे सर्वश्रेष्ठ स्तूप मानते हैं? [U.P.P.C.S. (Mains) 2008]

Correct Answer: (c) सांची
Note:

स्थापत्य कला के दृष्टिकोण से सांची के स्तूप को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सांची, म.प्र. के रायसेन जिले में स्थित है। इसका निर्माण अशोक ने कराया था। इस स्तूप का आरंभिक काल तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व था। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है। जबकि भरहुत का स्तूप म.प्र. के सतना जिले में स्थित है। भरहुत के स्तूप की खोज एलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अमरावती का स्तूप आंध्र प्रदेश के पलनाडु जिले में कृष्णा नदी के दाहिने तट पर स्थित है। कर्नल कॉलिन मैकेंजी ने 1797 ई. में इस स्तूप का पता लगाया था। सारनाथ का धमेख स्तूप मूलरूप से अशोक के समय बनवाया गया था, जिसका वर्तमान स्वरूप गुप्तकाल में निर्मित हुआ। यह स्तूप बिना अधिष्ठान के समतल भूमि पर बनाया गया है।

 

42. सांची का स्तूप किस शासक ने बनवाया था? [U.P.P.C.S. (Pre) 1991]

Correct Answer: (b) अशोक
Note:

स्थापत्य कला के दृष्टिकोण से सांची के स्तूप को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सांची, म.प्र. के रायसेन जिले में स्थित है। इसका निर्माण अशोक ने कराया था। इस स्तूप का आरंभिक काल तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व था। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है। जबकि भरहुत का स्तूप म.प्र. के सतना जिले में स्थित है। भरहुत के स्तूप की खोज एलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अमरावती का स्तूप आंध्र प्रदेश के पलनाडु जिले में कृष्णा नदी के दाहिने तट पर स्थित है। कर्नल कॉलिन मैकेंजी ने 1797 ई. में इस स्तूप का पता लगाया था। सारनाथ का धमेख स्तूप मूलरूप से अशोक के समय बनवाया गया था, जिसका वर्तमान स्वरूप गुप्तकाल में निर्मित हुआ। यह स्तूप बिना अधिष्ठान के समतल भूमि पर बनाया गया है।

 

43. सांची का स्तूप किसने बनवाया था? [M.P.P.C.S. (Pre) 2006 M.P.P.C.S. (Pre) 1995 M.P.P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (d) अशोक
Note:

स्थापत्य कला के दृष्टिकोण से सांची के स्तूप को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सांची, म.प्र. के रायसेन जिले में स्थित है। इसका निर्माण अशोक ने कराया था। इस स्तूप का आरंभिक काल तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व था। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है। जबकि भरहुत का स्तूप म.प्र. के सतना जिले में स्थित है। भरहुत के स्तूप की खोज एलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अमरावती का स्तूप आंध्र प्रदेश के पलनाडु जिले में कृष्णा नदी के दाहिने तट पर स्थित है। कर्नल कॉलिन मैकेंजी ने 1797 ई. में इस स्तूप का पता लगाया था। सारनाथ का धमेख स्तूप मूलरूप से अशोक के समय बनवाया गया था, जिसका वर्तमान स्वरूप गुप्तकाल में निर्मित हुआ। यह स्तूप बिना अधिष्ठान के समतल भूमि पर बनाया गया है।

 

44. विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची का प्राचीन नाम यह भी था- [M.P.P.C.S. (Pre) 2020]

Correct Answer: (a) काकणाम
Note:

विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची, मध्य प्रदेश के रायसेन जिला में विदिशा के समीप स्थित है। यहां पर पर्वत के ऊपर कई स्तूपों का निर्माण किया गया है। इस कारण इसे महावंश में 'चेतिय' (स्तूप का दूसरा नाम) गिरि भी कहा गया है। चौथी सदी के गुप्त लेख में इसका नाम काकणाम (काकनाड) महाविहार मिलता है। यहां पर कुल 3 स्तूप हैं। स्तूप संख्या 1 प्रधान स्तूप है। स्तूप संख्या 2 में अशोक के धम्म महामात्रों के अवशेष तथा स्तूप संख्या 3 में सारिपुत्र तथा मौद्गलायन के भस्मपात्र उपलब्ध हुए हैं। इन स्तूपों का निर्माण अशोक के द्वारा कराया गया था, जिसे शुंग काल में इस अर्द्धगोलाकार स्मारक को प्रस्तर से आच्छादित किया गया।

 

45. भरहुत का स्तूप किस राजवंश की कला का सुंदर उदाहरण है? [Raj. P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (d) शुंगकालीन स्थापत्य
Note:

भरहुत एवं सांची के स्तूप की स्थापना मौर्य शासक अशोक के शासन काल में हुई थी। भरहुत स्तूप की पाषाण वेदिका एवं तोरणों का निर्माण शुंग काल में किया गया। सांची के स्तूप का परिवर्द्धन एवं सौंदर्याकरण भी इसी काल में हुआ। अतः प्रश्नगत विकल्पों में भरहुत का स्तूप शुंगकालीन स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है।

 

46. निम्नलिखित में से किस स्तूप के तोरण द्वार पर अशोक एवं उसकी दो रानियों के साथ बोधिवृक्ष तीर्थयात्रा का अंकन मिलता है? [M.P. P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (b) सांची
Note:

सांची का स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यहां पर स्तूप का निर्माण मौर्य शासक अशोक के द्वारा कराया गया था। इस स्तूप के दक्षिणी तोरण द्वार पर अशोक एवं उसकी दो रानियों के साथ बोधि वृक्ष तीर्थयात्रा (बोध गया) का अंकन किया गया है। इसके अतिरिक्त इस स्तूप के तोरण द्वार पर महात्मा बुद्ध के जन्म, महाभिनिष्क्रमण, उनके महापरिनिर्वाण के पश्चात कुशीनगर में उनके अवशेषों के बंटवारे आदि से संबंधित दृश्य अंकित किए गए हैं।

47. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Place (सूची-I) Monument/Ruin (सूची-II)
कौशाम्बी (Kaushambi) रानाभर स्तूप (Ranabhar Stupa)
कुशीनगर (Kushinagar) धमेख स्तूप (Dhamekh Stupa)
सारनाथ (Sarnath) सहेत-महेत (Sahet-Mahet)
श्रावस्ती (Shravasti) घोषिताराम मठ (Jetavana Monastery)
A B C D
(a) 2 1 3 3
(b) 4 3 2 1
(c) 2 3 1 4
(d) 4 2 1 3

 

 

Correct Answer: (c)
Note:

दिए गए स्थान और उनसे संबंधित स्मारकों का सुमेलन निम्नानुसार है-

Place (स्थान) Monument/Ruin (स्मारक/भग्नावशेष)
कौशाम्बी घोषिताराम मठ
कुशीनगर रानाभर स्तूप
सारनाथ धमेख स्तूप
श्रावस्ती सहेत-महेत

48. तीर्थयात्रा के समय सम्राट अशोक निम्नलिखित स्थानों पर गए। उन्होंने किस मार्ग का अनुगमन किया? [U.P.P.C.S. (Pre) 1999]

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-

Number Place
1 गया
2 कपिलवस्तु
3 कुशीनगर
4 लुम्बिनी
5 सारनाथ
6 श्रावस्ती
Correct Answer: (d) 4, 2, 1, 5, 3 तथा 6
Note:

अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर बौद्ध धर्म ग्रहण करने के उपरांत अशोक ने आखेट तथा विहार यात्राओं को रोक दिया तथा उनके स्थान पर धर्म यात्राओं को प्रारंभ किया। वह महात्मा बुद्ध के चरण-चिह्नों से पवित्र हुए स्थानों में राज्याभिषेक के 10 वर्ष बाद (आठवां शिलालेख) संबोधि (बोधगया) तथा 20 वर्ष बाद (रुम्मिनदेई अभिलेख) लुम्बिनी गया तथा उनकी पूजा की। इतिहासकार विंसेट आर्थर स्मिथ ने अपनी पुस्तक 'अशोका : द बुद्धिस्ट एम्परर ऑफ इंडिया' के सातवें अध्याय 'द इंडियन लीजेंड्स ऑफ अशोका' में साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर उपगुप्त के साथ अशोक की धम्म यात्राओं का क्रम इस प्रकार दिया है-लुम्बिनी, कपिलवस्तु, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर और श्रावस्ती। इस प्रकार क्रमवत विकल्प (d) सही उत्तर है।

 

49. अशोक के शिलालेखों (Inscriptions) में प्रयुक्त भाषा है- [44th B.P.S.C. (Pre) 2000]

Correct Answer: (b) प्राकृत
Note:

अशोक का इतिहास हमें मुख्यतः उसके अभिलेखों से ही ज्ञात होता है। उसके अभिलेखों का विभाजन 3 वर्गों में किया जा सकता है-

(1) शिलालेख, (2) स्तंभलेख और (3) गुहालेख। ये शिलालेख ये 14 विभिन्न लेखों का एक समूह है, जो भिन्न-भिन्न स्थानों से प्राप्त किए गए हैं। इनमें शामिल प्रमुख स्थान हैं- (1) शाहबाजगढ़ी, (2) मानसेहरा, (3) कालसी, (4) गिरनार, (5) धौली, (6) जौगढ़, (7) एर्रागुडी तथा (8) सोपारा। अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा एवं ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं। केवल दो अभिलेखों-शाहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है। तक्षशिला से आरमेइक लिपि में लिखा गया एक भग्न अभिलेख, शर-ए-कुना नामक स्थान से ग्रीक तथा आरमेइक लिपियों में लिखा गया द्विभाषीय (ग्रीक एवं आरमेइक भाषा) अभिलेख तथा लघमान नामक स्थान से आरमेइक लिपि में लिखा गया अशोक का अभिलेख प्राप्त हुआ है।

 

50. निम्नांकित में से कौन-सा अशोककालीन अभिलेख 'खरोष्ठी' लिपि में है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]

Correct Answer: (c) शाहबाजगढ़ी
Note:

अशोक का इतिहास हमें मुख्यतः उसके अभिलेखों से ही ज्ञात होता है। उसके अभिलेखों का विभाजन 3 वर्गों में किया जा सकता है-

(1) शिलालेख, (2) स्तंभलेख और (3) गुहालेख। ये शिलालेख ये 14 विभिन्न लेखों का एक समूह है, जो भिन्न-भिन्न स्थानों से प्राप्त किए गए हैं। इनमें शामिल प्रमुख स्थान हैं- (1) शाहबाजगढ़ी, (2) मानसेहरा, (3) कालसी, (4) गिरनार, (5) धौली, (6) जौगढ़, (7) एर्रागुडी तथा (8) सोपारा। अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा एवं ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं। केवल दो अभिलेखों-शाहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है। तक्षशिला से आरमेइक लिपि में लिखा गया एक भग्न अभिलेख, शर-ए-कुना नामक स्थान से ग्रीक तथा आरमेइक लिपियों में लिखा गया द्विभाषीय (ग्रीक एवं आरमेइक भाषा) अभिलेख तथा लघमान नामक स्थान से आरमेइक लिपि में लिखा गया अशोक का अभिलेख प्राप्त हुआ है।