यूरोपीय कंपनियों का आगमन (आधुनिक भारतीय इतिहास )

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41. निम्नलिखित में से प्रथम कर्नाटक युद्ध का कौन-सा तात्कालिक कारण था? [44ᵗʰ B.P.S.C. (Pre) 2000]

Correct Answer: (d) अंग्रेजों द्वारा फ्रांसीसी जहाजों का अधिग्रहण
Solution:कर्नाटक का प्रथम युद्ध (1746-48 ई.) ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध, जो 1740 ई. में आरंभ हुआ था, का विस्तार मात्र था। गृह सरकारों की आज्ञा के विरुद्ध ही दोनों दलों (अंग्रेज एवं फ्रांसीसी) में 1746 ई. में युद्ध प्रारंभ हो गया। अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों पर अधिकार कर लेना युद्ध का तात्कालिक कारण था।

42. कर्नाटक युद्ध किन-किन के मध्य लड़ा गया? [U.P.P.C.S. (Pre) 1995]

Correct Answer: (a) अंग्रेज व फ्रांसीसी
Solution:कर्नाटक का प्रथम युद्ध (1746-48 ई.) ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध, जो 1740 ई. में आरंभ हुआ था, का विस्तार मात्र था। गृह सरकारों की आज्ञा के विरुद्ध ही दोनों दलों (अंग्रेज एवं फ्रांसीसी) में 1746 ई. में युद्ध प्रारंभ हो गया। अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों पर अधिकार कर लेना युद्ध का तात्कालिक कारण था।

43. सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट के उपयोग से सही उत्तर चुनिए। [U.P.P.C.S (Pre) 2016]

सूची-I (युद्ध)सूची-II (घटना/समाप्ति)
A.प्रथम कर्नाटक युद्ध1.पेरिस की संधि से अंत
B.तृतीय कर्नाटक युद्ध2.ब्रिटिश की हार
C.द्वितीय कर्नाटक युद्ध 3.अनिर्णायक युद्ध
D.प्रथम मैसूर युद्ध4.एक्स ला चैपल की संधि से अंत

 

ABCD
(a)1342
(b)2413
(c)4132
(d)3142
Correct Answer: (c)
Solution:
सूची-I (युद्ध)सूची-II (घटना/समाप्ति)
A.प्रथम कर्नाटक युद्ध4.एक्स ला चैपल की संधि से अंत
B.तृतीय कर्नाटक युद्ध1.पेरिस की संधि से अंत
C.द्वितीय कर्नाटक युद्ध 2.ब्रिटिश की हार
D.प्रथम मैसूर युद्ध3.अनिर्णायक युद्ध

44. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रथम यूरोपियन व्यक्ति था, जिसने भू-क्षेत्र अर्जित करने के उद्देश्य से भारतीय राजाओं के झगड़ों में भाग लेने की नीति आरंभ की? [I.A.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (b) डूप्ले
Solution:डुप्ले ने पहली बार वे हथकंडे प्रयोग किए जो भारत को जीतने के लिए अंग्रेजों के मार्गदर्शक बनें। डूप्ले प्रथम यूरोपियन था, जिसने भूक्षेत्र अर्जित करने के उद्देश्य से भारतीय राजाओं के झगड़ों में माग लेने की नीति आरंभ की। यह डूप्ले ही था, जिसने पहली बार यूरोपीय सेना को भारतीय राजदरबारों में भारतीय व्यय पर नियुक्त करवाया तथा जिसने पहली बार यूरोपीय हितों के लिए भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप किया तथा भारत में यूरोपीय साम्राज्य की नींव रखी। उसके बारे में जी.बी. मालेसन ने लिखा है कि "उसकी योजनाओं का प्रभाव उत्तके जाने के पश्चात भी रहा। वह भूमि जिसे उसने अपनी सूझ-बूझ से जीता तथा उर्वर बनाया और वह क्षमता जो उसने दर्शाई, उसके लौटने के तुरंत पश्चात उसके प्रतिद्वद्वियों ने उपयोग की और अत्यधिक लाभ उठाया।"