रस (Part-2)

Total Questions: 50

1. श्रृंगार रस के दो प्रकार होते हैं: [MPSI (SI) Exam, 28th oct 2017 (02:00 PM)]

Correct Answer: (b) संयोग रस, वियोग रस
Solution:नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता है, तो वह 'श्रृंगार रस' कहलाता है। संयोग रस और वियोग रस श्रृंगार रस के दो प्रकार हैं।

2. किस रस को रसराज कहा जाता है? [UPSSSC ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा, 2016, UP. TET Exam IIst Paper (I-V), 2014, नवोदय विद्यालय (प्रवक्ता) परीक्षा, 2014 M.P. Proofessional Exam.18.12.2017]

Correct Answer: (c) श्रृंगार रस
Solution:श्रृंगार रस को रसराज कहा जाता है। इसे 'आद्यरस' या 'आदिरस' भी कहा जाता है। महाराज भोजराज ने श्रृंगार रस को 'रसराज' की संज्ञा दी है। इसका स्थायी भाव 'रति' है। केशव, मतिराम एवं देव भी श्रृंगार रस को 'रसराज' की संज्ञा दिए हैं।

3. 'अब लौ नसानी अब न नसैहों', इसमें कौन-सा रस है? [V.D.O. परीक्षा, 2023]

Correct Answer: (b) शान्त रस
Solution:प्रश्नोल्लिखित पंक्ति 'अब लौ नसानी अब न नसैहों, में शान्त रस है। शम या निर्वेद नामक स्थायी भाव का उत्कर्ष होने पर 'शान्त रस' की प्रतीति होती है। 'शम' का अर्थ 'शान्त हो जाना' और 'निर्वेद' का अर्थ 'वेदना रहित' होना है। ऐसी स्थिति में मनोविकार शान्त हो जाते हैं। यही मूलभूत कारण है कि नाटक में शान्त रस की स्थिति नहीं मानी गई है।

4. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है- [T.G.T. परीक्षा, 2009, T.G.T. पुर्नपरीक्षा, 2004, UP- TET Exam Ist Paper (I-V), 2015]

Correct Answer: (b) रति
Solution:श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति अथवा प्रीति है। यह रति या प्रीति विविध प्रकार की होती है, किन्तु श्रृंगार का सम्बन्ध विशेष रूप से दाम्पत्य रति से है।

5. "मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई जा के सिर मौर मुकुट मेरो पति सोई।।" उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा रस है? [T.G.T. परीक्षा, 2011]

Correct Answer: (a) श्रृंगार रस
Solution:प्रस्तुत पंक्तियों में श्रृंगार रस का वर्णन है। यह पंक्ति मीराबाई द्वारा रचित है, जिन्होंने श्रीकृष्ण को पति के रूप में स्वीकार करते हुए इन पंक्तियों की रचना की है।

6. उल्लिखित पंक्तियों में कौन-सा रस है-छहरै सिर पै छवि मोर पखा, उनकी नाथ में मुकुता थहुरै। फहरै पियरो पट बेनी इतै, उनकी चुनरी के झवा झहरै। [M.P. Professional Exam.14.12.2017]

Correct Answer: (a) श्रृंगार रस
Solution:उल्लिखित पंक्तियों में 'श्रृंगार रस' का वर्णन है। विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भाव के संयोग से इस रस की निष्पत्ति होती है। यह रस-दशा ही हृदय का स्थायी भाव होता है। श्रृंगार रस का स्थायी भाव 'रति' होता है।

7. किस रस का संचारी उद्दीपन विभाव बादल की घटाएँ, कोयल का बोलना, बसन्त ऋतु आदि होते हैं? [T.G.T. परीक्षा, 2004]

Correct Answer: (a) श्रृंगार
Solution:श्रृंगार रस का उद्दीपन विभाव बादल की घटाएँ, कोयल का बोलना, बसन्त ऋतु, उद्यान, कुंज, चन्द्रिका, नायक-नायिका की प्रेम चेष्टाएँ आदि हैं। आलम्बन हर्ष, लज्जा, उत्सुकता आदि संचारी भाव हैं।

8. अँखियाँ हरि दरसन की भूखी। [राजस्व लेखपाल (द्वितीय पाली) परीक्षा, 2015]

कैसे रहें रूप रस राँची, ए बतियाँ सुनि रूखीं। उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?

 

Correct Answer: (b) वियोग श्रृंगार रस
Solution:प्रश्नोक्त पंक्ति में वियोग श्रृंगार रस है। वियोग श्रृंगार को विप्रलम्भश्रृंगार भी कहते हैं। पूर्णराग, मान, प्रवास और करुणा इसके भेद हैं, जबकि रति इसका स्थायी भाव है।

9. हास्य रस का स्थायी भाव हैः [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल पुनर्परीक्षा 25 अक्टूबर, 2018 (II-पाली)]

Correct Answer: (a) हास
Solution:हास्य रस का स्थायी भाव 'हास' है। भद्दा वेश तथा मही आकृति इसके आलम्बन तथा विकृति चेष्टा इसके उद्दीपन भाव हैं।

10. आचार्य भरत ने किस रस के मूल में 'विकृति भाव' माना है? [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र.पुलिस), परीक्षा, 2024]

Correct Answer: (d) हास्य
Solution:आचार्य भरतमुनि 'रससूत्र' के प्रतिष्ठापक आचार्य हैं। इन्होंने हास्य रस के मूल में 'विकृति भाव' माना है। वस्तुतः भरतमुनि के अनुसार, यदि किसी नाट्य में विदूषक आदि पात्र अपने विकृत आचार-विचार एवं व्यवहार द्वारा विकृत वाक्य प्रयोग या आंगिक क्रियाओं द्वारा विकृत वेश धारण करते हैं, तो वहाँ हास्य रस उत्पन्न होता है।