श्री रघुनाथ कृपालु कृपा ते सन्त सुभाव गहोंगो।
जथा लाभ सन्तोष सदा काहूँ सो कछु न चहौंगो।
परहित निरत निरन्तर मन-क्रम वचन नेम निवहोंगो।'
उपर्युक्त पंक्तियों में निहित रस कौन-सा है?
Correct Answer: (d) शान्त रस
Solution:'श्री रघुनाथ कृपालु नेम निवहोंगो।' वाक्य में शान्त रस है। शान्त रस का स्थायी भाव निर्वेद (वैराग्य) है।